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एस.आर.यू में विश्व सेरेब्रल दिवस के अवसर जनसंपर्क विभाग और विशेष शिक्षा विभाग द्वारा आईएएटी के सहयोग से हाइब्रिड मोड वेबिनार का किया गया आयोजन…

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  • कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सेरेब्रल पाल्सी से सम्बन्धित होने वाले विकारों के प्रति समाज में जागरूकता फैलाना…..

रायपुर। आज श्री रावतपुरा सरकार यूनिवर्सिटी में विश्व सेरेब्रल पाल्सी दिवस के उपलक्ष में मुख्य अतिथि डॉ. चानन गोयल (न्यूरो फिजियोथेरेपिस्ट) और डॉ. रुचिरा राज पाण्डेय (ऑडियोलॉजी पैथोलोजिस्ट) ने मुख्य अतिथि के रूप में हाइब्रिड मोड वेबिनार के माध्यम से विषय “सेरेब्रल पाल्सी वाले व्यक्तियों की बेहतर जीवनशैली के लिए सहायता” पर विश्रित जानकारी प्रादान की गई | इस कार्यक्रम में 100 से अधिक विद्यार्थी और शिक्षकों ने ऑनलाइन एवं ऑफलाइन माध्यम से वेबिनार में भाग लिया।
कार्यक्रम की शुरुवात दीप प्रज्वल्लन और राज्य गीत के साथ हुई, तत्पश्चात मुख्य जनसंपर्क अधिकारी श्री राजेश तिवारी और यूनिवर्सिटी के कुलसचिव डॉ. सौरभ कुमार शर्मा द्वारा विश्व सेरेब्रल दिवस कार्यक्रम में मंचासीन अतिथियों एवं वेबिनार के मुख्य वक्ताओं का स्वागत किया और कहा कि इस कार्यक्रम के मुख्य उद्येश समाज में सेरेब्रल पाल्सी के सम्बन्ध में जागरूकता बढ़ाने के लिए यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों को शिक्षा प्राप्ति के साथ समाज सेवा के लिए यह पहला कदम है जो आगामी वर्षों में सेरेब्रल पाल्सी वाले व्यक्तियों की जीवनशैली को बेहतर बनाने के लिए सहायता प्रदान करेंगे।
न्यूरो फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. चानन गोयल ने सेरेब्रल पाल्सी के परिचय और फिजियोथेरेपी के माध्यम से बतया की सेरेब्रल पाल्सी कोई एक बीमारी नहीं बल्कि विकारों का समूह है. जिसमे ब्रेन में विकार पाया जाता है. यह बीमारी ज्यादातर बच्चों में पाई जाती है. यह विकार बच्चों में जन्म से पहले भी यदि माता की आयु ज्यादा होने से से, अनुचित दवाइयों के सेवन से, किसी प्रकार के इन्फेक्शन से, और अल्कोहल के उपयोग से माता के शारीर से बच्चो में हो सकता हैं और समय से पहले यदि किसी शिशु का जन्म होता है तो उसमे भी यह बीमारी देखने को मिल सकती हैं।
डॉ. गोयल ने इस बीमारी के लिए कुछ रेड फ्लैग्स भी साझा किये जैसे की – 4 महीने में बच्चे का गर्दन न संभाल पाना, 8 महीने में बच्चे का बैठ न पाना, साल भर की उम्र में बच्चे का खड़ा न हो पाना और डेढ़ साल तक बच्चे का न चलना इस बीमारी का लक्ष्ण हो सकते है।
तत्पश्चात वेबिनार के अन्य मुख्य वक्ताओं द्वारा कार्यक्रम के विषय में विश्त्रित जानकारी प्रदान की गई जिसमें, ऑडियोलॉजी पैथोलोजिस्ट डॉ. रुचिरा राज पाण्डेय ने बताया कि भाषा के पहलू सेरेब्रल पाल्सी वाले बच्चों पर कैसे प्रभाव डालते हैं और हम स्पीच थेरेपी के माध्यम से इस प्रकार की समस्या को कैसे हल कर सकते हैं। डॉ अनुभूति कोशले डीन विज्ञान संकाय द्वारा सेरेब्रल पाल्सी वाले बच्चों के लिए पोषण की भूमिका के बारे में संचिप्त जानकारी प्रदान की गई।
सेरेब्रल पाल्सी के विषय में डॉ.लुकेश कुमार भुयार ने बच्चों के लिए प्रौद्योगिकी की भूमिका के बारे में बताया और कैसे हम सहायक प्रौद्योगिकी का उपयोग करके उन्हें आत्मनिर्भर बना सकते हैं। प्रीति के मिश्रा ने इस बारे में बात की कि सेरेब्रल पाल्सी के कारण क्या हैं और हम कम उम्र में पहचान करके कैसे हस्तक्षेप कर सकते हैं।
कार्यक्रम की समन्वयक विशेष शिक्षा विभाग सहायक प्राध्यापक तृप्ति सारस्वत ने कार्यक्रम के उद्येश स्टीरियोटाइप और स्टिग्मा तोड़ना, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा में सुधार करना , जीवन की गुणवत्ता बढ़ाना सभागार में सभी के समक्ष विस्तृत रूप से प्रस्तुत किया और बताया कि दुनिया भर में इस सेरेब्रल पाल्सी की दर 17 मिलियन है, उन्हें समर्थन, समावेशन, समझ की आवश्यकता है।