Home रायपुर जिस प्रकार वाहन मे ब्रेक जरुरी उसी प्रकार जीवन मे संयम जरुरी

जिस प्रकार वाहन मे ब्रेक जरुरी उसी प्रकार जीवन मे संयम जरुरी

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रायपुर। श्री चंद्रप्रभ दिगम्बर जैन मंदिर समिति शंकर नगर के श्री विपुल जैन व सुधांशु जैन ने बताया कि पर्युषण पर्व के छठवें दिवस उत्तम संयम धर्म , सुगंध दशमी के पावन अवसर पर श्री चंद्रप्रभ दिगम्बर जैन मंदिर शंकर नगर मे पाण्डुकशीला पर भगवान 1008 श्री शान्तिनाथ जी को विराजमान कर प्रथम कलश, ईष्टे मनोरथ कलश एवं बीजाक्षरों के मन्त्रों द्वारा शांतिधारा करने का सौभाग्य श्री राजकुमार जी राशु, जीनाश बड़जात्या एवं अरविन्द, अजय, अभय, आरव पहाड़िया परिवार को प्राप्त हुआ, श्रीजी की आरती के पश्चात जबलपुर से आमंत्रित अतिथि विदुषी दीदी स्नेहलता जी द्वारा बारह भावना पर स्वाध्याय हुआ तथा आज के धर्म उत्तम संयम पर प्रवचन मे बताया गया की सामान्य रूप से संयम का अर्थ नियंत्रण (कंट्रोल )के रूप मे लिया जा सकता है, जो जीवन के किसी भी क्षेत्र के लिए हो सकता है, जिस प्रकार वाहन चलाते समय ब्रेक रूपी संयम जरुरी है वर्ना जीवन खतरे मे आ सकता है, उसी प्रकार साधारण जीवन मे अपने वाणी, व्यवहार, खानपान व अन्य सभी क्रियाओ मे संयम रखे तो जीवन को ऐतिहासिक रूप दिया जा सकता है, जैन धर्म के अनुसार संयम का अर्थ प्राणी रक्षण एवं इन्द्रियों का दमन करना ही संयम है, मानव अपने इन्द्रियों स्पर्शन,रसना, घ्राण, नेत्र, कर्ण इन पांच से भी ज्यादा महत्वपूर्ण मन है, व्यक्ति इन पांच इन्द्रियों से जितना पापों का संग्रह नहीं करता उससे ज्यादा मन के द्वारा पाप संचित करता है, अतः मानव उत्तम संयम धर्म को अंगीकार कर अपने लौकिक व पार लौकिक जीवन को कल्याण मार्ग मे प्रशस्त कर सकता है और इस मानव जीवन को सफल बना सकता है,
आज सम्पूर्ण दिगम्बर जैन मंदिरों मे सुगंध दशमी के पावन अवसर पर जिनालयों मे 1008 भगवान शीतलनाथ जी की पूजा कर अग्नि मे धूप दशांग की आहुति देकर अपने अष्ट कर्मों की निर्जरा की जाती है तथा समाज के सभी वर्ग के भक्तगण स्थानीय सभी मंदिरों के दर्शन करने सामूहिक व पारिवारिक रूप से जाते है, संध्या मे आरती के साथ सुगंध दशमी की कथा का वाचन किया जाता है।