प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की पहल पर Safe Cyber Space अभियान के तहत शुरू हुआ ‘I4C’ आज देश की साइबर सुरक्षा का एक मजबूत स्तम्भ बना है
आज शुरू हुई I4C की चार प्रमुख पहलें साइबर अपराध के खिलाफ लड़ाई को और पुख्ता, मजबूत और सफल बनाने में बड़ा योगदान देंगे
साइबर सुरक्षा केवल डिजिटल दुनिया तक ही सीमित नहीं है बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का एक अहम पहलू है
कोई एक संस्था या इंस्टीट्यूशन साइबर स्पेस को सुरक्षित नहीं कर सकते इसके लिए इसके सभी स्टेक होल्डर को एक प्लेटफॉर्म पर आकर साथ में काम करना होगा
राष्ट्रीय स्तर पर ‘सस्पेक्ट रजिस्ट्री’ बनाने और इसके साथ राज्यों को जोड़ने से साइबर अपराध के रोकथाम में मदद मिलेगी
5 साल में लगभग 5 हज़ार साइबर कमांडो होंगे तैयार
तीन नए आपराधिक कानूनों में देश को साइबर सुरक्षित बनाने के लिए सभी कानूनी इंतजाम किए गए हैं
गृह मंत्री ने साइबर धोखाधड़ी न्यूनीकरण केंद्र (CFMC) राष्ट्र को समर्पित किया और समन्वय प्लेटफॉर्म (संयुक्त साइबर अपराध जांच सुविधा प्रणाली), ‘Cyber Commandos’ कार्यक्रम और Suspect Registry का शुभारंभ किया
नई दिल्ली। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में I4C के प्रथम स्थापना दिवस समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया और साइबर अपराध की रोकथाम के लिए प्रमुख पहलों का शुभारंभ किया।गृह मंत्री ने साइबर धोखाधड़ी न्यूनीकरण केंद्र (CFMC) राष्ट्र को समर्पित किया और समन्वय प्लेटफॉर्म (संयुक्त साइबर अपराध जांच सुविधा प्रणाली) का शुभारंभ किया। श्री अमित शाह ने ‘Cyber Commandos’ कार्यक्रम और Suspect Registry का भी उद्घाटन किया। साथ ही गृह मंत्री ने I4C के नए लोगो, विजन और मिशन का भी लोकार्पण किया। इस अवसर पर केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री बंडी संजय कुमार, केन्द्रीय गृह सचिव गोविन्द मोहन, निदेशक आईबी, विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा), विभिन्न राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक/वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, अनेक सरकारी संगठनों के अधिकारी, विभिन्न बैंकों/वित्तीय मध्यस्थों, फिनटेक, मीडिया, साइबर कमांडो, NCC और NSS कैडेट शामिल होंगे।
अपने संबोधन में गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की पहल पर Safe Cyber Space अभियान के तहत 2015 में I4C की स्थापना हुई थी, तब से यह लगातार एक साइबर सुरक्षित भारत का मजबूत स्तंभ बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि 2015 से 2024 की 9 साल की यात्रा में ये विचार एक इनीशिएटिव और फिर एक इंस्टीट्यूशन में परिवर्तित हुआ है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि साइबर सुरक्षा के बिना किसी भी देश का विकास असंभव है। उन्होंने कहा कि तकनीक मानव जीवन के लिए आशीर्वाद साबित होती है और आज सभी नई पहलों में तकनीक का बहुत उपयोग हो रहा है। लेकिन तकनीक के बढ़ते उपयोग से कई खतरे भी पैदा हो रहे हैं और इसीलिए साइबर सुरक्षा अब केवल डिजिटल दुनिया तक सीमित न रहकर राष्ट्रीय सुरक्षा का अहम पहलू भी बन गई है। श्री शाह ने कहा कि I4C जैसे प्लेटफॉर्म इस प्रकार के खतरों से निपटने में बहुत बड़ा योगदान कर सकते हैं। उन्होंने I4C से सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ मिलकर जागरूकता, समन्वय और साझा प्रयास को जारी रखने का आह्वान किया। गृह मंत्री ने कहा कि कोई भी एक संस्था अकेले साइबर स्पेस को सुरक्षित नहीं रख सकती। यह तभी संभव है जब कई स्टेकहोल्डर्स एक ही मंच पर आकर एक ही तरीके और रास्ते पर आगे बढ़ें।
अमित शाह ने कहा कि आज यहां I4C के चार प्रमुख साइबर प्लेटफॉर्म्स का शुभारंभ किया गया है। उन्होंने कहा साइबर धोखाधड़ी न्यूनीकरण केंद्र (CFMC) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की परिकल्पना थी, जिसका आज शुभारंभ हुआ है। उन्होंने कहा कि इसके साथ-साथ आज साइबर कमांडो, समन्वय प्लेटफॉर्म और सस्पेक्ट रजिस्ट्री का भी शुभारंभ हुआ है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत जैसे विशाल देश में हर राज्य के पास साइबर सस्पेक्ट रजिस्ट्री अलग-अलग रहने से किसी उद्देश्य की पूर्ति नहीं होगी क्योंकि राज्यों की अपनी सीमा है लेकिन साइबर अपराधियों की कोई सीमा नहीं है। उन्होंने कहा कि ये समय की मांग थी कि राष्ट्रीय स्तर पर एक सस्पेक्ट रजिस्ट्री बनाई जाए और राज्यों को इसके साथ जोड़कर साइबर अपराध से लड़ने के लिए एक साझा मंच तैयार किया जाए। इस पहल से आने वाले दिनों में साइबर अपराधों की रोकथाम में हमें बहुत मदद मिलेगी।
अमित शाह ने कहा कि आज से I4C एक जनजागरूकता अभियान भी शुरू कर रहा है। देश के 72 से अधिक टीवी चैनल्स, 190 रेडियो एफएम चैनल्स, सिनेमाघरों और कई अन्य प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से इस अभियान को गति देने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जब तक पीड़ित को साइबर अपराध से बचने का तरीका नहीं पता होगा तब तक यह अभियान सफल नहीं हो सकता। श्री शाह ने कहा किसाइबर अपराध हेल्पलाइन 1930 और I4C के अन्य प्लेटफॉर्म्स के बारे में जागरूकता फैलाने से इसकी उपयोगिता बढ़ेगी और अपराधों को रोकने में मदद मिलेगी। गृह मंत्री ने सभी राज्य सरकारों से इस अभियान से जुड़कर गांवों और शहरों तक जागरूकता फैलाने का अनुरोध किया।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि साइबर धोखाधड़ी न्यूनीकरण केंद्र (सीएफएमसी)के साथ बैंक, वित्तीय संस्थान, टेलीकॉम कंपनी, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर और पुलिस को एक ही मंच पर लाकर इस केन्द्र का विचार रखा गया है। श्री शाह ने कहा कि आने वाले दिनों में यह साइबर अपराध की रोकथाम का एक प्रमुख प्लेटफॉर्म बनेगा। उन्होंने कहा कि इस केन्द्र को अलग-अलग डेटा का AI के उपयोग से साइबर अपराधियों के काम करने के तरीकों (MO)की पहचान कर इसकी रोकथाम का काम करना चाहिए।श्री शाह ने कहा कि साइबर कमांडो कार्यक्रम के तहत 5 साल में लगभग 5 हज़ार साइबर कमांडो तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।
अमित शाह ने कहा कि need to know के स्थान पर duty to share आज के समय की मांग है और इसके लिए समन्वय प्लेटफॉर्म से अधिक कारगर कुछ नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि data-driven approach के साथ समन्वय प्लेटफॉर्म को आगे बढ़ाया गया है और देश में एक साझा डेटा कोष बनाने का यह पहला प्रयास है। गृह मंत्री ने कहा कि आज शुरू हुए चार इनीशिएटिव I4C और देशभर की पुलिस ने साथ में मिलकर लिए हैं, ये साइबर अपराध के खिलाफ लड़ाई को और पुख्ता, मजबूत और सफल बनाने में बड़ा योगदान देंगे।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि देश में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या 31 मार्च 2014 को 25 करोड़ थी, जो 31 मार्च 2024 को 95 करोड़ है। उन्होंने कहा कि डाउनलोड स्पीड बढ़ने और लागत कम होने से डेटा की खपत में भी बहुत बढ़ोतरी हुई है। पहले औसत उपयोग 0.26 GB था जो लगभग 78 गुना बढ़ोतरी के साथ आज 20.27GB हो गया है। श्री शाह ने कहा कि डिजिटल इंडिया के इनीशिएटिव के कारण देश में कई सुविधाएं ऑनलाइन हो गई हैं। 35 करोड़ जनधन खाते और 36 करोड़ रुपे डेबिट कार्ड के साथ 2024 में 20 लाख 64000 करोड़ रुपये का लेनदेन डिजिटल मधयुम सेहुआ है। उन्होंने कहा कि विश्व का 46% डिजिटल ट्रांजेक्शन वॉल्यूम आज भारत में हो रहा है। गृह मंत्री ने कहा कि जब डिजिटल अकाउंट और डिजिटल ट्रांजेक्शन बढ़ते हैं, तो डिजिटल फ्रॉड से सुरक्षा की ज़रूरत भी बहुत अधिक बढ़ जाती है।
अमित शाह ने कहा कि 2014 में देश की मात्र 600 पंचायत इंटरनेट से जुड़ी थीं, आज 2,13,000 पंचायत जुड़ी हैं। उन्होंने कहा कि डिजिटल ट्रांजेक्शन और डिजिटल डेटा का उपयोग बढ़ने से इसे साइबर फ्रॉड से सुरक्षित करने की जिम्मेदारी भी बहुत अधिक बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि साइबर अपराधियों द्वारा महत्वपूर्ण व्यक्तिगत डेटा की बिक्री, ऑनलाइन उत्पीड़न, महिला और बाल शोषण, फर्जी समाचार और टूल किट, मिस इनफॉरमेशन कैंपेन जैसी बहुत सारी चुनौतियां हमारे सामने हैं और इनसे निपटने के लिए हमें बहुत कुछ करने की जरूरत है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि तीन नए आपराधिक कानूनों – भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम –मेंदेश को साइबर सुरक्षित बनाने के लिए सभी कानूनी इंतजाम किए गए हैं। उन्होंने कहा कि कई टेक्नोलॉजी ड्रिवन इनीशिएटिव के माध्यम से इन्हें कानूनी जामा पहनाने का काम किया गया है। इन्वेस्टिगेशन साइंटिफिक बनाने और क्वालिटी आफ इन्वेस्टिगेशन में सुधार के लिए भी कई प्रयास किए गए हैं। उन्होंने कहा कि आज अनेक प्रकार के नए-नए फ्रॉड में छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल होने लगे हैं। श्री शाह ने कहा कि हमें इन समस्याओं से निपटने के लिए जल्दी ही विस्तार भी करना होगा और अपराधों का बहुत सटीक तरीके से विश्लेषण और उसके आधार पर रोकथाम की प्रक्रिया के बारे में निरंतर सोच कर आगे भी बढ़ना होगा।
अमित शाह ने कहा कि I4C ने 9 साल की अपनी यात्रा और गृह मंत्रालय का अधिकृत हिस्सा बनने के बाद एक साल के छोटे से कालखंड में बहुत अच्छा काम किया है। I4C की सबसे बड़ी उपलब्धि 1930 राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर है। उन्होंने कहा कि इसे पॉपुलर करने की जिम्मेदारी सभी राज्य सरकारों और स्टेकहोल्डर्स की है।गृह मंत्री ने 1930 हेल्पलाइन को पॉपुलर करने के लिए एक जागरूकता पखवाड़ा आयोजित करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि सभी राज्य सरकारें और गृह मंत्रालय इनीशिएटिव लेकर मिलकर 6 महीने बाद एक जागरूकता पखवाड़ा आयोजित करें।श्री शाह ने कहा कि सभी प्लेटफार्म्स पर एक साथ राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर 1930 को पॉपुलर करने का एक अभियान चलेगा तो निश्चित रूप से फ्रॉड के शिकार लोगों सुरक्षित महसूस करेंगे, तुरंत इसकी रोकथाम होगी और फ्रॉड करने वालों के मन में भी भय उत्पन्न होगा।
गृह मंत्री ने कहा कि अब तक I4C ने 600 से अधिक एडवाइजरी जारी की हैं, साइबर अपराधियों द्वारा संचालित कई प्रकार की वेबसाइट्स, सोशल मीडिया पेज, मोबाइल एप्स और अकाउंट्स को ब्लॉक किया है। उन्होंने कहा कि I4C के तहत दिल्ली में एक राष्ट्रीय साइबर फॉरेंसिक प्रयोगशाला भी स्थापित की गई है।अब तक 1100 से अधिक अधिकारियों को साइबर फॉरेंसिक में प्रशिक्षित किया गया है और इस अभियान को जिलों और तहसील तक ले जाने का हमारा बहुत महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि साइबर अपराध की शिकाय़तों को ध्यान में रखते हुए मेवात, जामताड़ा, अहमदाबाद, हैदराबाद, चंडीगढ़, विशाखापट्टनम और गुवाहाटी में सात ज्वाइंट साइबर कोआर्डिनेशन टीम्स गठित की गई हैं और इनके बहुत अच्छे नतीजे मिले हैं। उन्होंने कहा कि I4C ने cyberdost के नाम से विभिन्न सोशल मीडिया हैंडल पर एक प्रभावी जागरूकता अभियान भी चलाया है। श्री शाह ने कहा कि इन सभी प्रयासों से हम एक मुकाम पर जरूर पहुंचे हैं लेकिन हमारा लक्ष्य अभी काफी दूर है।उन्होंने कहा कि लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें सटीक तरीके से रणनीति बनाकर और उस पर एकसाथ, एक ही दिशा में आगे बढ़ना होगा।
साइबर धोखाधड़ी न्यूनीकरण केंद्र (CFMC): साइबर धोखाधड़ी न्यूनीकरण केंद्र की स्थापना नई दिल्ली स्थित भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) में की गई है, जिसमें प्रमुख बैंकों, वित्तीय मध्यस्थों, भुगतान एग्रीगेटर्स, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं, आईटी मध्यस्थों और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के प्रतिनिधि शामिल हैं। ये सभी हितधारक ऑनलाइन वित्तीय अपराधों से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई और निर्बाध सहयोग के लिए मिलकर काम करेंगे। सीएफएमसी कानून प्रवर्तन में “सहकारी संघवाद” का एक उदाहरण पेश करेगा।
समन्वय प्लेटफॉर्म (संयुक्त साइबर अपराध जांच सुविधा प्रणाली) : यह प्लेटफॉर्म एक वेब-आधारित मॉड्यूल है जो साइबर अपराध के डेटा संग्रह, डेटा साझाकरण, अपराध मानचित्रण, डेटा विश्लेषण, सहयोग और देश भर में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए समन्वय मंच के लिए वन स्टॉप पोर्टल के रूप में कार्य करेगा।
‘साइबर कमांडो’ कार्यक्रम: इस कार्यक्रम के तहत देश में साइबर सुरक्षा परिदृश्य के खतरों का मुकाबला करने के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और CPOs में प्रशिक्षित ‘साइबर कमांडो’ की एक विशेष शाखा स्थापित की जाएगी। प्रशिक्षित साइबर कमांडो डिजिटल स्पेस को सुरक्षित करने में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और केंद्रीय एजेंसियों की सहायता करेंगे।
Suspect Registry: इस पहल के हिस्से के रूप में वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र की धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन क्षमताओं को मजबूत करने के लिए बैंकों और वित्तीय मध्यस्थों के सहयोग से राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) के आधार पर विभिन्न पहचानकर्ताओं की एक संदिग्ध रजिस्ट्री बनाई जा रही है।