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लोकतंत्र के शासन पर आधारित है भारत और पोलैंड के संबंध: पीएम मोदी

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‘यूक्रेन और पश्चिम एशिया में चल रहा संघर्ष चिंता का विषय’ PM Modi बोले- रणभूमि में नहीं हो सकता समस्या का समाधान
UN और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में हो रिफॉर्मः प्रधानमंत्री

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत और पोलैंड अपने राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर हम हमने संबंधों को रणनीतिक साझेदारी में बदलने का निर्णय लिया है।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत और पोलैंड के बीच संबंध लोकतंत्र और कानून के शासन जैसे साझा मूल्यों पर आधारित हैं। दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को बड़े स्तर पर ले जाया जाएगा और इसमें निजी निजी क्षेत्रों को भी जोड़ा जाएगा।
रूस-यूक्रेन युद्ध पर क्या बोले पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस और यूक्रेन युद्ध को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि किसी भी समस्या का समाधान रणभूमि में नहीं हो सकता है। उन्होंने शांति और स्थिरता की बहाली के लिए बातचीत और कूटनीति का समर्थन करते हैं।
यूक्रेन और पश्चिम एशिया में चल रहा संघर्ष हम सभी के लिए गहरी चिंता का विषय है। भारत का ये दृढ़ विश्वास है कि किसी भी समस्या का समाधान रणभूमि में नहीं हो सकता। किसी भी संकट में मासूम लोगों की जान की हानि संपूर्ण मानवता के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। हम शांति और स्थिरता की जल्द से जल्द बहाली के लिए बातचीत और कूटनीति का समर्थन करते हैं।- नरेंद्र मोदी, भारत के प्रधानमंत्री

 

पीएम मोदी ने पोलैंड की कंपनियों को किया आमंत्रित
प्रधानमंत्री मोदी ने पोलैंड की कंपनियों को मेक इन इंडिया (Make In India) और मेक फॉर द वर्ल्ड (Make For The world) में शामिल होने के लिए भारत में आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी, हरित, हाइड्रोजन, नवीकरणीय ऊर्जा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भी हमारी साझा प्राथमिकताएं हैं। भारत ने फिनटेक, फार्मा और स्पेस जैसे क्षेत्रों में कई उपलब्धियां हासिल की हैं। हमें इन क्षेत्रों में पोलैंड के साथ अपने अनुभव साझा करने में खुशी होगी।
UN में हो रिफॉर्मः पीएम मोदी
पीएम मोदी ने इस दौरान UN और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में रिफॉर्म करने की भी वकालत की। उन्होंने कहा कि भारत और पोलैंड अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी करीबी तालमेल के साथ आगे बढ़ते रहे हैं। हम दोनों सहमत हैं कि वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ तथा अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में रिफॉर्म वर्तमान समय की मांग है।