Home रायपुर आंजनेय विश्वविद्यालय में पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे ने किया ध्वजारोहण

आंजनेय विश्वविद्यालय में पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे ने किया ध्वजारोहण

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रायपुर। आंजनेय विश्वविद्यालय में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे ने ध्वजारोहण किया। इस अवसर पर उन्होंने वीर शहीदों को नमन करते हुए कहा कि आज हम जिस आजादी की खुली हवा में सांस ले रहे हैं, वह हमारे वीर सपूतों की कुर्बानियों का परिणाम है। इस दिन को हम उन्हीं की बदौलत उत्सव के रूप में मना पा रहे हैं। डॉ. दुबे ने शहीद भगत सिंह का एक प्रेरक प्रसंग सुनाया। उन्होंने बताया कि जब भगत सिंह को फांसी दी जाने वाली थी, तब उनकी माता से पूछा गया कि आप क्यों रो रही हैं। इस पर उन्होंने कहा कि मैं इसलिए रो रही हूं क्योंकि मैंने देश के लिए सिर्फ एक ही पुत्र को जन्म दिया। साथ ही कविताओं के माध्यम से देशभक्ति की भावना को जागृत किया।
इस अवसर पर आंजनेय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री अभिषेक अग्रवाल ने अपने संबोधन में सभी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज हम 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं। इस स्वतंत्रता के महत्व को नई पीढ़ी को समझाना हमारे लिए बहुत जरूरी है। चूंकि हम सभी शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं इसलिए हमारा दायित्व और भी बढ़ जाता है। हम सबको मिलकर देश की उन्नति के लिए प्रयास करना है और भारत को फिर से पूरे विश्व में ‘विश्वगुरु’ की पहचान दिलाने का संकल्प पूरा करना है।
कार्यक्रम में एसबीए सोसाइटी के चेयरमैन श्री राजेश अग्रवाल भी उपस्थित थे। उन्होंने इस पावन अवसर पर सभी शिक्षकों से आग्रह किया कि वे शिक्षा के माध्यम से समाज की उन्नति को निरंतर आगे बढ़ाने का प्रयास करें।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. टी. रामाराव ने सभी को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दीं। साथ ही, उन्होंने स्वतंत्रता के बाद से अब तक देश द्वारा प्राप्त की गई उपलब्धियों पर अपने विचार साझा किए जिसमें सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, शैक्षिक और अंतरिक्ष के क्षेत्र में हुई महत्वपूर्ण प्रगति शामिल थी।
कार्यक्रम के अंत में शिक्षा संकाय की संकायाध्यक्ष प्रो. निधि शुक्ला ने आभार प्रदर्शन दिया। कार्यक्रम में एसबीए सोसाइटी के डायरेक्टर श्री जितेंद्र नाहर, विश्वविद्यालय के डायरेक्टर जनरल डॉ. बी. सी. जैन, विभिन्न संकायों की संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, प्राध्यापकगण, कर्मचारीगण एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।