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आंजनेय विश्वविद्यालय में दो दिवसीय फिल्म मेकिंग वर्कशॉप का शुभारंभ, थीम: ‘द 6 शॉट वंडर’

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अभिनय केवल संवाद का नहीं यह भावनाओं और स्थितियों को पर्दे पर प्रस्तुत करने की कला है : अभिनेता भगवान तिवारी
•लॉन्ग शॉट और क्लोजअप के बीच की कड़ी है ‘द 6 शॉट वंडर’ : अंकित शुक्ला

रायपुर। आज आंजनेय विश्वविद्यालय में दो दिवसीय फिल्म मेकिंग वर्कशॉप का आयोजन किया गया। जिसमें बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता भगवान तिवारी ने छात्रों और कला प्रेमियों को फिल्म निर्माण और अभिनय की बारीकियों से अवगत कराया। वर्कशॉप की थीम ‘द 6 शॉट वंडर’ रखी गई, जिसमें शॉट फिल्मों के निर्माण और उनकी कला पर विशेष ध्यान दिया गया।
वर्कशॉप के पहले दिन, अभिनेता भगवान तिवारी ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए प्रतिभागियों को अभिनय के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “अभिनय सिर्फ संवाद बोलने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भावनाओं और स्थितियों को गहराई से समझने और उसे पर्दे पर प्रभावी रूप से प्रस्तुत करने की कला है।” सभी प्रतिभागियों ने न केवल फिल्म मेकिंग की तकनीकी जानकारियाँ प्राप्त कीं, बल्कि लाइव डेमोंस्ट्रेशन और प्रैक्टिकल सेशन के माध्यम से भी सीखने का अवसर पाया।
असफलताएं और बाधाएं रास्ते के हिस्से हैं : भगवान तिवारी
अभिनेता भगवान तिवारी ने कहा कि अंबिकापुर से लगभग दो सौ किलोमीटर दूर उस समय की एक छोटी से जगह रामानुजगंज से निकल मुंबई तक का सफ़र सरल नहीं था। सफलता प्राप्त करना आसान नहीं होता; इसके लिए कड़ी मेहनत, समर्पण और धैर्य की आवश्यकता होती है। जीवन में आगे बढ़ने के लिए अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, और हर कदम पर कठिनाइयों से जूझना पड़ता है। तपने का मतलब है, अपने आप को निखारने के लिए संघर्षों की आग से गुजरना। असफलताएं और बाधाएं रास्ते का हिस्सा होती हैं, लेकिन उन्हें पार करके ही सफलता का स्वाद चखा जा सकता है। इसलिए, यदि आप अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं, तो खुद को तपाने और संघर्ष करने के लिए तैयार रहना होगा। यही असली सफलता का मार्ग है।
फिल्म उद्योग में एक उज्ज्वल भविष्य आपका इंतजार कर रहा है: विभागाध्यक्ष अंकित शुक्ला
फिल्म मेकिंग विभाग के विभागाध्यक्ष अंकित शुक्ला ने बताया कि – शॉट से सीन, सीन से सीक्वेंस, सीक्वेंस जुड़कर पूरी फिल्म का निर्माण करते हैं। फिल्म निर्माण एक सामूहिक प्रयास है, जिसमें कई लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह केवल निर्देशक और अभिनेता तक सीमित नहीं होता, बल्कि लेखक, सिनेमेटोग्राफर, संपादक, संगीतकार, मेकअप आर्टिस्ट, सेट डिजाइनर और तकनीकी विशेषज्ञ जैसे कई पेशेवरों की जरूरत होती है। इसलिए फिल्म उद्योग में करियर की अपार संभावनाएं हैं। यहां विभिन्न कौशल और रचनात्मकता की मांग रहती है, जिससे हर व्यक्ति अपनी योग्यता के अनुसार योगदान दे सकता है। उन्होंने प्रतिभागियों से कहा कि अगर आपके पास किसी विशेष क्षेत्र में रुचि और विशेषज्ञता है, तो फिल्म उद्योग में एक उज्ज्वल भविष्य आपका इंतजार कर रहा है।
इस अवसर पर चांसलर श्री अभिषेक अग्रवाल, प्रो-चांसलर श्रीमती दिव्या अग्रवाल, डायरेक्टर जनरल डॉ बी सी जैन, वाइस चांसलर डॉ. टी रामाराव, प्रो- वाइस चांसलर श्री सुमित श्रीवास्तव, डीन डॉ रुपाली चौधरी, डीन स्टूडेंट वेलफेयर डॉ. प्रांजली गनी सहित वर्कशॉप में कला प्रेमी, रंगमंच कलाकार और सिनेमा में रुचि रखने वाले बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।