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श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय से पैरामेडिकल पाठ्यक्रम में उत्तीर्ण विद्यार्थियों को मिलेगा पैरामेडिकल परिषद में पंजीयन

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रायपुर। श्री रावत्तपुरा सरकार विश्वविद्यालय का उददेश्य विश्वविद्यालय में रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम विकसित कर छत्तीगढ़ राज्य में विभिन्न संस्थाओं में तकनीकी रूप से दक्ष प्रोफेशनल उपलब्ध कराना है। श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय वर्तमान में ओप्टोमेट्री (आंख की जांच) हेतु स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर के पाठ्यक्रम संचालित हैं। विश्वविद्यालय में नर्सिंग, फार्मेसी, लेबोरेटरी, विज्ञान लेबोरेटरी एवं डायलिसिस हेतु स्नातक स्तर के प्रशिक्षण पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। चिकित्सा विज्ञान में पैरामेडिकल विज्ञान में दक्ष विशेषज्ञों की महती आवश्यकता है। राज्य में विभिन्न शासकीय एवं गैर-शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय तथा चिकित्सालयों की सफलता एवं श्रेष्ठता चिकित्सा से अधिक निदान प्रक्रिया पर निर्भर करता है। पैरामेडिकल स्टॉफ की दक्षता पर यह निर्भर होता है कि रोगी को क्या बीमारी है जिससे चिकित्सक उपचार को अंतिम रूप दे सके।
श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय में पैरामेडिकल के समस्त पाठ्यक्रम स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर तक उपलब्ध है, जिसमें ओप्टोमेट्री स्नातक में 60 सीट तथा स्नतकोत्तर में 30 सीटे हैं। इसी प्रकार स्नातक मेडिकल लेबोरेटरी में 60 सीट तथा स्नातक डायलिसिस में 60 सीटें हैं। स्नातक नर्सिंग में 350 सीटें उपलब्ध हैं। इसी प्रकार स्नातक फार्मेसी में 100 सीट तथा स्नातकोत्तर फार्मेसी में 30 सीटें उपलब्ध हैं।
विश्वविद्यालय द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त उत्तीर्ण विद्यार्थियों का पैरामेडिकल परिषद् में पंजीयन नहीं किया जा रहा था, जिससे व्यथित होकर प्रशिक्षणार्थियों द्वारा माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर में प्रकरण क्र WPC No. 49 of 2024 एवं WP(C) 89 of 2024 याचिका दायर की थी, जिसमें माननीय उच्च न्यायालय द्वारा सभी पक्षों की सुनवाई उपरांत निर्णय दिया गया
‘तथ्यों और उपरोक्त प्रस्तुत प्रस्तुतियों को ध्यान में रखते हुए, यह स्पष्ट है कि विश्वविद्यालय को डिग्री प्रदान करने का अधिकार है और प्रतिवादी नंबर 2 छत्तीसगढ़ पैरामेडिकल काउंसिल 2024:CGHC: 16723 तटस्थ उद्धरण 6 के नाम की प्रविष्टियों पर विचार करने और पंजीकृत करने का अधिकार है। पैरा मेडिकल के चिकित्सक, विश्वविद्यालय ने याचिकाकर्ताओं को यूजीसी की धारा 22 (1) के अनुसार डिग्री प्रदान की है। अधिनियम, 1956 और पैरामेडिकल काउंसिल ने याचिकाकर्ताओं के नाम पंजीकृत नहीं किए हैं। इस समय, प्रतिवादी नंबर 2 को इस निर्देश के साथ याचिका का निपटारा किया जाता है कि यह इस संबंध में प्रविष्टियां करके याचिकाकर्ताओं को परिषद के रजिस्टर में उनका नाम दर्ज करके पंजीकरण प्रदान करें। रजिस्टर में याचिकाकर्ताओं का नाम उचित समय तक रखा और बनाए रखा जाए। प्रतिवादी नंबर 2 को प्रैक्टिस का अपेक्षित प्रमाणपत्र जारी करने का भी निर्देश दिया जाता है। यदि यह पाया जाता है कि याचिकाकर्ताओं ने गलत तरीके से डिग्री प्राप्त की है, तो प्रतिवादी नंबर 2 अधिनियम, 2001 की धारा 40 के तहत याचिकाकर्ताओं की प्रविष्टियों पर रोक लगाने के लिए स्वतंत्र होगा।”
उक्त निर्णय से श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण 500 से अधिक पैरामेडिकल विद्यार्थियों के पैरामेडिकल परिषद् में पंजीयन का मार्ग खुल गया तथा उन्हें विधिवत् रूप से कार्य करने हेतु आवश्यक प्रमाण पत्र भी प्राप्त हो जायेगा। जिससे वे विभिन्न शासकीय एवं अशासकीय चिकित्सा क्षेत्रों में रोजगार पा सके।
वर्तमान में उपरोक्त निर्णय उपरांत विश्वविद्यालय द्वारा संचालित पैरामेडिकल स्नातक एवं स्नातकोत्तर प्रशिक्षण हेतु प्रवेश के लिए विद्यार्थियों में उत्साह दिखा।
विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा यह सुनिश्चित किया गया है कि पैरामेडिकल स्नातक एवं स्नातकोत्तर प्रशिक्षण हेतु आवश्यक दक्ष शिक्षकों द्वारा उन्हें प्रशिक्षित किया जायेगा। जिससे विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण विद्यार्थी विभिन्न चिकित्सा संस्थानों में रोजगार पाकर विश्वविद्यालय का नाम रोशन करें।