जीवन निर्माण की आधार शिला, संकल्प- आचार्य श्री विमर्शसागर जी
दिल्ली । एक व्यक्ति किसी संत के पास पहुंचा और निवेदन- किया भगवन ऐसा आशीर्वाद दूंगा दीजिये जिससे मेरा जीवन कृतार्थ हो सके। संत ने कहा मैं तुझे आशीर्वाद अवश्य दूंगा लेकिन पहले मेरे आशीर्वाद को ग्रहण करने के लिए पात्र लेकर आ व्यक्ति बोला संत जी में कुछ समझा नहीं, आखिर वो कौन सा पात्र होता है जिसमें आपका आशीर्वाद ग्रहण किया जाता है। संग जी ने कहा मेरे आशीर्वाद ग्रहण करने के लिए संकल्प पत्र चाहिये। हमारे पास यदि संकल्प पत्र न हो तो गुरु का आशीष हमारे पास आकर भी हमारे पास ठहर नही सकता उक्त उदगार कृष्णा नगर जैन मंदिर के चातुर्मासिक प्रवास क्र रहे जीनागम पंच प्रवर्तक ,आदर्श महाकवि भावलिंगी संत श्रमणाचार्य श्री 108 विमर्शसागर जी महामुनिराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुये व्यक्त किये।
आचार्य श्री ने कहा- एक संकल्प ही काफी है जीवन भी बदलने के लिए । जीवन में जब तक संकल्प नहीं आता तब तक विकल्प दूर नहीं होते। जीवन निर्माण कमी और आत्म निर्माण कभी आधारशिला है। संकल्प अगर संकल्प उन्मार्ग का है तो आगे की सारी यात्रा, आगे रखा जाने वाला हर कदम हमारा उन्मार्ग होगा और यदि संकल्प सन्मार्ग का है तो हमारी आगे की सारी यात्रा हमारा हर सन्मार्ग पर होगा। जीवन में संकल्प महत्वपूर्ण भूमिका हुआ करती है। तीन प्रकार के संकल्पों ये ही संसार का जीवन चक्र अनादि से घूमता रहा है-
शुभ संकल्प – पुण् वर्धक भगवान जिनेन्द्र की पूजा, भक्ति आराधना रूप संकल्प, संसार शरीर, भोगों से विरक्ति रूप संकल्प, मोक्ष मार्ग भी साधना रूप संकल्प, आदि सभी शुभ संकल्प है।
अशुभ संकल्प संसार वर्धक सभी प्रकार के पाप रूप संकल्प अशुभ है।
शुद्ध संकल्प शुद्धात्मा की प्राप्ति भी उसी में रमण रूप संकल्प शुद्ध संकल्प है।
आचार्य श्री विमर्शसागर जी महामुनिराज के मंगल उपपेश से पूर्व- धर्मसभा के पुण्यार्थी श्रावक श्री सौरभ जैन सपरिवार एवं नितिन जैन सपरिवार को दीप प्रज्ज्व्ला ,गुरुवाद प्रक्षालन,शास्त्र भेंट एवं गुरुपूजन का सौभाग्य प्राप्त हुआ साथ ही आचार्य सौरभ सागर चातुर्मास समिति में पधारकर गुरु आशीष प्राप्त किया प्रतिदिन 7:45 पर मंगल प्रवचन शाम 6:30 पर टू डेज सोलुसम कार्यक्रम संपन्न हो रहा है।