समय,जीवन में अनेकों सोगातें लेकर आता है- आचार्य श्री विमर्श सागर जी।
दिल्ली । श्री महावीर दिगम्बर जैन मंदिर कृष्णानगर दिल्ली में चातुर्मास के लिये पधारे परम पूज्यनीय जिनागम पंथ प्रवर्तक, जीवन है पानी की बूँद ” (महाकाव्य) के मूल रचयिता भावलिंगी संत श्रमणाचार्य श्री 108 विमर्शसागर जी महामुनिराज का ऐतिहासिक चातुर्मास पूरी दिल्ली (N.C.R.) में चर्चा का विषय बना हुआ है। प्रतिदिन प्रातः 7:45 से धर्मसभा का आयोजन होता है। प.पू. भावलिंगी संत श्रमणाचार्य श्री विमर्श सागर जी मुनिराज ने करते हुये धर्म सभा में भक्तामर महिमा पर व्याख्यान करते हुये कहा –
समय हमारे जीवन में अनेकों सौगाते लेकर आता है। कोई अपने पुरुषार्थ से सौगात की दुर्भाग्य में बदल लेता है और कोई अपने पुरुषार्थ से सौगात को दुर्भाग्य में परिवर्तित कर लेता है।
आचार्य मानतुंग स्वामी दिगम्बर जैन संत परम्परा के एक महान साधक थे । उन महान आचार्य की जब राजा भोज मे कुपित हो 48 काल कोठरियों में कैद कर दिया तो सारी दुनिया ने एक स्वर में कहा कि ये बड़ी दुभाग्य भी बात है, पर कभी कभी दुर्भाग्य के क्षणों में, दुख, पीड़ा के काल में भी सौभाग्य छिपा होता है और कभी कभी सुख और आनंद के क्षणों में भी दुर्भाग्य छिपा होता है। आचार्य मानतुंग स्वामी यो काल कोठरी में बंद कर दिया गया, आचार्य भगवन ने उन दुःख की घड़ियों की भी सौभाग्य में बदल दिया। समय को बदलने का हुनर हमारे अंदर होना चाहिये। समय अच्छा या बुरा नहीं होता,व्यक्ति का चिन्तन ही अच्छा या बुरा होता है।
आप सुबह उठते हैं और उठते ही आपको यदि गुरु की याद आती है आपके चिन्तन में अगर सद्गुरु आते हैं तो आपका समय, सौभाग्य बन रहा है और यदि सुबह उठते ही आपके संसार,शरीर और भोग आपके चिन्तन के विषय बनते हैं तो आपका समय दुर्भाग्य बन रहा है। कर्म कभी समय को अच्छा भी कभी बुरा बनाने का प्रयास करता है। लेकिन जिन भक्ति ऐसा अस्त है जिसके सामने कर्म भी शक्ति क्षण हो जाती है।रत्नश्रय ग्रुप द्वारा गुरुदेव को युगसंत- रत्नश्रय अभिषेक ग्रुप दिल्ली को 151 वाँ अभिषेक भावलिंगी संत के सानिध्य में हुआ गुरुदेव का पाद प्रक्षालन शास्त्र भेंट ,वस्त्र भेंट कर गुरुपूजन के बाद आचार्य श्री विमर्श सागर जी को रत्नश्रय ग्रुप द्वारा युगसंत अलंकरण भेंट किया गया आज का पुन्यार्जक परिवार प्रेमचंद गौरव सौरव जैन थे ।