नई दिल्ली | भारत को दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए 2048 तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा, बल्कि देश 2031 में ही यह उपलब्धि हासिल कर सकता है। साथ ही देश में 2060 तक दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की क्षमता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने 9 जुलाई को लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में दिए भाषण में यह बात कही। उन्होंने कहा- अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को प्राप्त करने के संकल्प को देखते हुए यह कल्पना करना संभव है कि भारत अगले दशक में काफी आगे निकल जाएगा।
9.6% प्रति वर्ष की आर्थिक वृद्धि के साथ विकसित देश बन सकता है भारत
पात्रा ने कहा कि यह अनुमान लगाया गया है कि यदि भारत अगले 10 वर्षों में 9.6% प्रति वर्ष की दर से आर्थिक रूप से बढ़ता है, तो यह निम्न मध्यम वर्ग की आय के जाल से बाहर निकल सकता है और विकसित देश बन सकता है। इसका असर प्रति व्यक्ति आय में भी दिखना चाहिए। हालांकि, 2047 तक विकसित देशों के लिए प्रति व्यक्ति आय सीमा को बढ़ाकर 34,000 अमेरिकी डॉलर (करीब 28 लाख रुपये) करना होगा।
मैक्रोइकोनॉमिक पॉलिसी और वित्तीय स्थिरता सकारात्मक ट्रैक पर
डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने कहा कि मैक्रोइकोनॉमिक पॉलिसी और वित्तीय स्थिरता भी भारतीय रुपये को अंतरराष्ट्रीय बनाने के लिए सकारात्मक ट्रैक पर है। भारत में मुद्रास्फीति को वैश्विक मुद्रास्फीति दर के साथ समायोजित करने की आवश्यकता है, ताकि रुपये के आंतरिक और बाहरी मूल्य को संरक्षित किया जा सके। इससे रुपये के लिए अंतरराष्ट्रीयकरण की जमीन तैयार होगी और भारत कल के लिए दुनिया की आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभर सकेगा।
मौद्रिक नीति कार्रवाई के कारण लक्ष्य के आसपास मुद्रास्फीति
पात्रा ने कहा कि मौद्रिक नीति कार्रवाई और आपूर्ति संबंधी उठाए गए कदमों के कारण मुद्रास्फीति दर 4% के लक्ष्य के आसपास आ गई है। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2024-25 में मुद्रास्फीति 4.5% और वित्त वर्ष 2025-26 में 4.1% रहने का अनुमान लगाया है।