नवोदित उद्यमियों को वैश्विक स्तर पर नवीनतम प्रवृत्तियों और अवसरों से अवगत कराना है : प्रो. डॉ. उमेश मिश्रा
मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाने के लिए शैक्षिक संस्थानों और समाज के सभी वर्गों को मिलकर काम करना होगा : प्रो. यंग सु चुंग
आईपीआर उद्यमियों को उनके विचारों और आविष्कारों की कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है : डॉ. अमित दुबे
रायपुर। दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के पहले दिन उद्घाटन सत्र में साउथ कोरिया के प्रो. यंग सु चांग ने भाग लिया। यह सम्मेलन विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को एक मंच पर लाने और उनके विचारों का आदान-प्रदान करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया । प्रो. यंग सु चांग ने अपने उद्घाटन भाषण में सम्मेलन की महत्ता पर प्रकाश डाला और वैश्विक चुनौतियों पर अपने दृष्टिकोण साझा किए। उनका भाषण उपस्थित प्रतिभागियों के लिए प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक रहा। प्रो. चुंग ने इस बात पर भी जोर दिया कि मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाने के लिए शैक्षिक संस्थानों और समाज के सभी वर्गों को मिलकर काम करना चाहिए। प्रो. डॉ. उमेश मिश्रा ने “ग्लोबल होराइजंस इन एंटरप्रेन्योर डेवलपमेंट: इनोवेशन, अपॉर्चुनिटी एंड इम्पैक्ट” जैसे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन के बारे में जानकारी साझा करते हुए कहा कि ऐसे सम्मेलनों का उद्देश्य नवोदित उद्यमियों को वैश्विक स्तर पर नवीनतम प्रवृत्तियों और अवसरों से अवगत कराना है।
उन्होंने बताया कि ऐसे सम्मेलन विभिन्न देशों के उद्यमियों, शोधकर्ताओं, और विशेषज्ञों को एक मंच पर लाता है, जहां वे अपने अनुभव, चुनौतियां और सफलताएं साझा कर सकते हैं। प्रो. मिश्रा ने इस बात पर भी जोर दिया कि यह सम्मेलन न केवल ज्ञान का आदान-प्रदान करता है, बल्कि वैश्विक नेटवर्किंग के लिए भी एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है। विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री अभिषेक अग्रवाल ने कहा कि ऐसे आयोजनों से उद्यमिता के क्षेत्र में नवाचार और विकास को बढ़ावा मिलता है, जो अंततः वैश्विक अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाता है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. टी रामाराव ने “ग्लोबल होराइजंस इन एंटरप्रेन्योर डेवलपमेंट: इनोवेशन, अपॉर्चुनिटी एंड इम्पैक्ट” सम्मेलन की तैयारी के संबंध में कहा कि इस दौरान पैनल डिस्कशन, वर्कशॉप, और नेटवर्किंग सत्रों का आयोजन किया गया, जिससे प्रतिभागियों को व्यावहारिक ज्ञान और अनुभव साझा करने का अवसर मिला।
प्रथम तकनीकी सत्र के दौरान डॉ. अमित दुबे ने “रोल ऑफ इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स इन एंटरप्रेन्योरशिप” के बारे में बताया कि बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) उद्यमिता में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि आईपीआर न केवल नवाचार और रचनात्मकता को प्रोत्साहित करता है, बल्कि उद्यमियों को उनके विचारों और आविष्कारों की कानूनी सुरक्षा भी प्रदान करता है। डॉ. दुबे ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आईपीआर के विभिन्न प्रकार, जैसे कि पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट, और ट्रेड सीक्रेट्स, उद्यमियों को उनके उत्पादों और सेवाओं के अद्वितीय पहलुओं की सुरक्षा करने में मदद करते हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि एक मजबूत आईपीआर रणनीति उद्यमियों को अपने ब्रांड की पहचान बनाने और बाजार में अपनी स्थिति को मजबूत करने में सक्षम बनाती है। डॉ. दुबे ने उद्यमियों को यह सलाह दी कि वे अपने व्यवसाय की शुरुआत से ही आईपीआर के महत्व को समझें और इसे अपने व्यवसायिक योजना का अभिन्न हिस्सा बनाएं।
तकनीकी सत्र के दूसरे वक्ता डॉ. सूरज मुक्ति ने “टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप” के बारे में बताया कि तकनीकी नवाचार उद्यमिता के विकास और सफलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि तकनीकी नवाचार नए व्यापारिक अवसरों का सृजन करता है और उद्यमियों को नए उत्पादों और सेवाओं को विकसित करने में सक्षम बनाता है। डॉ. मुक्ति ने यह भी बताया कि आधुनिक तकनीकों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, और ब्लॉकचेन, उद्यमियों को अपनी व्यावसायिक प्रक्रियाओं को अधिक कुशल और प्रभावी बनाने में मदद कर रही हैं। उन्होंने कहा कि तकनीकी नवाचार न केवल उत्पादन लागत को कम करता है, बल्कि उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार और ग्राहक संतुष्टि में वृद्धि भी करता है। कार्यक्रम के दौरान महानिदेशक डॉ बी सी जैन, प्रति कुलाधिपति श्री सुमित श्रीवास्तव, कार्यक्रम सयोजक डॉ. शिल्पा शर्मा, डॉ. जैसमीन जोशी सहित सभी संकायाध्यक्ष,प्राध्यापक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
सम्मेलन के पहले दिन 20 से अधिक शोधर्थियों और प्राध्यापकों ने शोध पत्र का वाचन किया। दूसरे दिन तीसरे तकनीकी सत्र का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान 15 से अधिक शोध पत्रों का वाचन किया जाएगा शोध। दोपहर 2 बजे के बाद समापन सत्र का आयोजन किया जाएगा।