नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण से एक दिन पहले कांग्रेस में बैठकों का दौर हुआ। कार्य समिति की बैठक में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आग्रह पर सोनिया गांधी को कांग्रेस संसदीय दल का चेयरपर्सन चुन लिया गया। दूसरे बड़े घटनाक्रम में कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के लिए एक लाइन में प्रस्तावित किया गया।
हालांकि कि राहुल लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाने के लिए तैयार नहीं दिखें वो ये मीटिंग में ये कह कर बात को आगे बढ़ा दिए कि उन्हें सोचने का वक्त चाहिए…। राहुल की दुविधा ये है कि वो वायनाड और रायबरेली दोनों से जीतकर आए हैं। ऐसे में पहले इस बात का फैसला करना मुश्किल होगा कि वो किस सीट का प्रतिनिधितत्व करेंगे। ऐसे में दो दूनी एक वाली बात होगी।
वायनाड छोड़ा तो केरल में पार्टी नाराज होगी और रायबरेली छोड़ना उनके लिए आसान नहीं होगा। करीब 15 साल बाद यूपी में इस बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए सीटों का सूखा खत्म हुआ है। और यहीं सवाल राहुल के लिए दुविधा बन गया है। ऐसे में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाने के लिए उन्हें सोचने के लिए वक्त तो लगेगा। राहुल के सामने कुल जमा सवाल तो ये वो चाहे वायनाड चुने या रायबरेली..उत्तर तो दो दूनी एक..ही आना है।