- भाजपा को जीत बरकरार रखने की चुनौती
- रूपकुमारी और ताम्रध्वज के बीच सीधा मुकाबला
- इस सीट पर 2004 में कांग्रेस को मिली थी आखिरी जीत
महासमुंद। लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में छत्तीसगढ़ की महासमुंद और कांकेर लोकसभा की दो सीटों पर 26 अप्रैल को मतदान हुआ। बात करें महासमुंद की तो यहां मुख्य मुकाबला भाजपा की रूपकुमारी चौधरी और कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू के बीच है। सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित और ओबीसी बहुलता वाले महासमुंद लोकसभा सीट भाजपा के लिए बीते तीन चुनाव से अभेद गढ़ में तब्दील हो गया है।
यहां वर्ष 2004 के चुनाव में कांग्रेस से अजीत जोगी ने भाजपा के विद्याचरण शुक्ल को हराया था। यही इस सीट पर कांग्रेस की आखिरी जीत रही, बाद के तीन चुनाव में यहां से भाजपा ने हैट्रिक लगाई, दो बार चन्दूलाल साहू जीते, बीते चुनाव में यहां से चुन्नीलाल साहू जीते। इस सीट पर भाजपा की बादशाहत कायम रखने की चुनौती है, वहीं कांग्रेस अपनी खोई हुई शक्ति पाने बेताब है।
कहानी जब मिली ताम्रध्वज को उम्मीदवारी
भाजपा से उम्मीदवार की घोषणा के बाद क्षेत्र में साहू समाज की नाराजगी दबे स्वर में सामने आई। क्योंकि यहां भाजपा ने 2004 एक बार वीसी शुक्ल को उम्मीदवार बनाया, जबकि इसके पहले चन्द्रशेखर साहू व बाद में चन्दूलाल व चुन्नीलाल साहू को उम्मीदवार बनाया। भाजपा यहां हर बार साहू नेताओ पर दांव लगाती रही, इस बार तिलस्म टूटा और अघरिया समाज की नेत्री को अवसर मिला। साहू समाज की नाराजगी जानकार कांग्रेस के रणनीतिकारों ने साहू चेहरा ढूंढा और ताम्रध्वज को उम्मीदवार बनाया।
दोनों पार्टी के स्टार प्रचारक पहुंचे महासमुंद
महासमुंद लोकसभा सीट में भाजपा व कांग्रेस के स्टार प्रचारकों ने चुनावी सभा ली है। पीएम नरेंद्र मोदी ने धमतरी जिले में सभा ली। कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट की तीन से चार स्थानों पर आम सभा हुई।
महासमुंद में 15 साल का इतिहास
बिलासपुर लोकसभा सीट पर भाजपा का बीते 15 साल से कब्जा चला आ रहा है। यहां जनता ने वीसी, जोगी जैसे बड़े कद के नेता को भी धूल चटाया है। महासमुंद संसदीय सीट की जनता ने पूर्व केंद्रीय मंत्री वीसी शुक्ल को 2004 में पराजित किया तो पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी को 2014 में पराजित किया।