नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव 2024 की राजनीतिक व्यस्तताओं के बाद आध्यात्मिक यात्रा पर तमिलनाडु के कन्याकुमारी में प्रवास किया। विवेकानंद मेमोरियल में 45 घंटे के ध्यान के बाद प्रधानमंत्री ने भारत के भावी विकास और देश की वास्तविक ताकत का उल्लेख करते हुए खास संदेश दिया है।
पीएम मोदी ने कहा, कन्याकुमारी का यह स्थान हमेशा से मेरे मन के अत्यंत करीब रहा है। कश्मीर से कन्याकुमारी…यह हर देशवासी के अंतर्मन में रची-बसी हमारी साझी पहचान है। कन्याकुमारी संगमों के संगम की धरती है। हमारे देश की पवित्र नदियां अलग-अलग समुद्रों में जाकर मिलती हैं और यहां उन समुद्रों का संगम होता है। और यहां एक और महान संगम दिखता है-भारत का वैचारिक संगम! यहां विवेकानंद शिला स्मारक के साथ ही संत तिरुवल्लूवर की विशाल प्रतिमा, गांधी मंडपम और कामराजर मणि मंडपम हैं।
भारत की ताकत एक अवसर है…
रिपोर्ट के मुताबिक एक जून को कन्याकुमारी से दिल्ली लौटते समय शाम 4.15 बजे से सात बजे के बीच नोट लिखा। उन्होंने इसकी शुरुआत में लिखा, ‘कन्याकुमारी में तीन दिवसीय आध्यात्मिक यात्रा के बाद मैं अभी दिल्ली के विमान में सवार हुआ हूं।’ बकौल प्रधानमंत्री मोदी, ‘आज के वैश्विक परिदृश्य में, एक युवा राष्ट्र के रूप में भारत की ताकत एक अवसर है, ऐसे समय में हमें पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए।’
भारत का गवर्नेंस मॉडल दुनिया के कई देशों के लिए मिसाल
तीन दिवसीय ध्यान के दौरान अपने विचारों के बारे में बताते हुए पीएम ने लिखा, ‘वैराग्य, शांति और मौन के बीच, मेरा मन निरंतर भारत के उज्ज्वल भविष्य के बारे में, भारत के लक्ष्यों के बारे में सोच रहा था।’ उन्होंने कहा कि भारत हजारों वर्षों से विचारों का उद्गम स्थल रहा है। हमने जो अर्जित किया उसे कभी निजी संपत्ति नहीं माना। हमने इसे कभी आर्थिक या भौतिक मापदंडों से नहीं मापा, इसलिए ‘इदं न मम’ यानी यह मेरा नहीं है, भारत के चरित्र का अंतर्निहित और स्वाभाविक हिस्सा बन चुका है। भारत का गवर्नेंस मॉडल दुनिया के कई देशों के लिए मिसाल बन चुका है।