बस्तर | पद्मश्री हेमचंद मांझी अब 72 वर्ष को हो गए हैं, जब वे 15 साल के थे तब से लोगों को ईलाज कर रहे हैं। वन औषधियों को लेकर उनके ज्ञान का कोई मुकाबला नहीं है। जड़ी- बुटी से वे कई लोगों के असाध्य रोगों का ईलाज कर चुके हैं। बस्तर और छत्तीसगढ़ ही नहीं देश और दुनिया से लोग उनके पास ईलाज कराने आते हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से उन्हें नक्सलियों की तरफ से लगातार जान से मारने की धमकी मिल रही है। नक्सली उनके कुछ रिश्तेदारों की हत्या कर चुके हैं। ऐसे में अपनी और परिवार की सुरक्षा के लिए उन्हें अपना गांव छोड़ना पड़ा है। इसके बावजूद उन्हें सुरक्षा नहीं मिल पा रही थी। इससे आहत मांझी ने पद्म पुरस्कार लौटाने की घोषणा कर दी थी। मामला सरकार के संज्ञान में आते ही उन्हें सुरक्षा उपलब्ध करा दी गई है।