नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पश्चिम बंगाल में 2010 से ‘77 वर्गों (समुदायों)’ को दिए गए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के दर्जे को रद्द करने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले को विपक्ष के लिए ‘‘एक करारा तमाचा’’ बताया और आरोप लगाया कि विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन का ‘‘तुष्टीकरण का जुनून’’ हर सीमा को पार कर गया है।
उच्च न्यायालय ने क्या कहा..?
उच्च न्यायालय ने बुधवार को अपने फैसले में कहा कि इन वर्गों को ओबीसी घोषित करने में ‘‘धर्म वास्तव में एकमात्र मापदंड जान पड़ता है।’’ पीठ ने कहा कि अदालत का मन इस संदेह से मुक्त नहीं है कि ‘‘राजनीतिक लाभ के लिए उक्त समुदाय (मुसलमान) को वस्तु के रूप में समझा गया।’’ उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘यह उन घटनाओं की श्रृंखला से स्पष्ट है जिनके फलस्वरूप 77 वर्गों को ओबीसी श्रेणियों में डाला गया और उन्हें इस श्रेणी में डालकर वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया गया।’’
मोदी ने यहां द्वारका में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जब भी वह ‘मुस्लिम’ शब्द बोलते हैं, तब उन पर सांप्रदायिक बयान देने का आरोप लगाया जाता है। उन्होंने कहा कि वह तो बस ‘‘तथ्यों को सामने लाकर’’ विपक्ष को ‘‘बेनकाब’’ कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘कलकत्ता उच्च न्यायालय ने ‘इंडी’ गठबंधन को बड़ा तमाचा जड़ा है। अदालत ने 2010 से जारी किए गए सभी ओबीसी प्रमाणपत्र रद्द कर दिए हैं। क्यों? क्योंकि पश्चिम बंगाल सरकार ने महज वोट बैंक की खातिर मुसलमानों को अवांछित ओबीसी प्रमाण पत्र जारी किए।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष CAA के खिलाफ है लेकिन अपने वोट बैंक की खातिर घुसपैठियों का समर्थन कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘वे बटला हाउस मुठभेड़ के लिए आंसू बहाते हैं और वे तीन तलाक का विरोध करते हैं। ये तुष्टीकरण में निपुण हैं।’’
‘वे वोट जिहाद कर रहे हैं’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘खान मार्केट गैंग का एक मात्र तरीका है—जब भी मोदी ‘मुस्लिम’ शब्द का इस्तेमाल करता है, वे उस पर सांप्रदायिक चीजें कहने का आरोप लगा देते हैं। मैं उन्हें तथ्यों के साथ बस बेनकाब कर रहा हूं। वे वोट जिहाद कर रहे हैं।’’
मोदी ने कहा, ‘‘जिन लोगों ने संविधान के साथ विश्वासघात किया, अब समय आ गया है कि देश ऐसे सांप्रदायिक लोगों को पहचाने तथा मेरे मुसलमान भाइयों को भी उन लोगों को पहचानना चाहिए।’’