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धर्म से कर्म नष्ट होते हैं जिनालय और संत समागम से धर्म प्राप्त होता हैं-आर्यिका श्री दिव्यांशु मति जी

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बांसवाड़ा | प्रथमाचार्य चारित्रचक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज की मूल बाल ब्रह्मचारी पट्ट परंपरा के पंचम पट्टाधीश वात्सल्य वारिधी आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज अपने संघ सहित कमर्शियल कॉलोनी बांसवाड़ा में विराजित है। दिगंबर मंदिर जिनालय में आयोजित बांसवाड़ा में जन्मी नगर गौरव आर्यिका श्री दिव्यांशु मति माताजी ने प्रवचन में बताया
आप सभी को मानव जन्म पूर्व संचित पुण्य कारण मिला हैं इस भव जन्म में जो कार्य करेंगे उसका फल अगले भव में मिलेगा। समाज प्रवक्ता हिमांशु ने बताया कि माताजी ने धर्म की विवेचना में बताया कि धर्म प्रतिदिन भगवान के दर्शन,अभिषेक,पूजन, भक्ति स्वाध्याय संत समागम से होता हैं धर्म से कर्म नष्ट होते हैं जिनालय में भगवान के दर्शन करते समय यह भावना करना चाहिए कि आपके गुण हमे भी प्राप्त हो भगवान की पूजन करते समय जन्म जरा के नाश,संसार के कष्ट दूर करने,अक्षय पद प्राप्त करने, क्षुधा रोग के नाश , मोह कर्मो के नाश करने हेतु भक्ति श्रद्धा पूर्वक पूजन करना चाहिए।दिनेश बखारिया,मांगीलाल कोठरी, सुरेश दोसी, जितेंद्र सेठ ने बाहर से पधारे भक्तो का स्वागत कर बहुमान किया |