
आचार्य गुरुदेव श्री विद्यासागरजी महाराज ने हायकू लिखा है “धर्म प्रवाह प्रवाहित हुआ क्या विना विवाह”
आचार्य भगवन कहते है कि धर्म का प्रवाह प्रवाहित करने के लिये विवाह भी आवश्यक है साधू हमेशा आत्मकल्याण के लिये मुनि बनने का उपदेश देता है लेकिन यदि मुनि न बन पाओ तो गृहस्थ धर्म को अपनाकर संतति को आगे बड़ाना भी एक धर्म है।जैन समाज की घटती हुई जनसंख्या पर चिंता प्रकट करते हुये कहा कि आज का युवा एक संतान पर केन्द्रित होकर रह गया है संतति का उपदेश दैना किसी आचार्य परमेष्ठी या साधू का काम नहीं है उनकी अपनी सीमायें है वह आपको उपदेश दे सकते है गृहस्थ जीवन का यह दाईत्व है,जैसे आप तीर्थों का निर्माण करते है,उन तीर्थों की सुरक्षा तथा अपनी संपत्ति की सुरक्षा के लिये नये नन्हे अहिंसक हाथ भी पैदा करें।
उन्होंने कहा गुरुदेव के आशीर्वाद से शीतलधाम में दसवें तीर्थंकर भगवान शीतलनाथ के तीर्थ का निर्माण कार्य चल रहा है, समवसरण एवं सहस्त्रकूट जिनालय में बहुत सारे लोग अपनी प्रतिमायें विराजमान करने का संकल्प लेकर अपना दान दे चुके होंगे जो लोग रह गये है उन सभी का भी योगदान उसमें होंना चाहिये। उपरोक्त जानकारी देते हुये प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया सोमवार 13 मई से20 मई तक श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान अरिहंत विहार जैन मंदिर परिसर में वैद्य परिवार द्वारा आयोजित किया जा रहा है। मुनिसंघ के सानिध्य मे प्रातः7:30 बजे घटयात्रा श्री आदिनाथ जिनालय खरीफाटक रोड़ से प्रारंभ होकर अरिहंत विहार जैन मंदिर पहुचेगी।आज प्रातः जैन पाठशालाओं की शिक्षिकाओं तथा छात्र छात्राओं ने आचार्य गुरूदेव की पूजन अष्टद्रव्य से की। मुनि श्री विनम्रसागर महाराज का पड़गाहन कर आहार दान का सौभाग्य अभय वैद्य सी.ए परिवार को मिला।