- हम सुखी रहें और विश्व को प्रसन्न रखें यही है विकसित भारत की संकल्पना… मुख्य अतिथि प्रो. बलदेव भाई शर्मा
- मात्र आर्थिक ही नहीं मानवीय और सांस्कृतिक विकास है विकसित भारत की पहचान… प्रो. बलदेव भाई शर्मा
रायपुर– श्री रावतपुरा सरकार यूनिवर्सिटी रायपुर में “विकसित भारत @2047: अ चैलेंजिंग रिजॉल्यूशन” विषय पर समाज विज्ञान (सोशल साइंस) संकाय द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया, संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य भारत सरकार की बहु-उद्देश्यभावी योजना ‘विकसित भारत@2047’ विषय पर देश के सभी नागरिकों, शोधार्थियों और शिक्षाविदों को सहयोगी बना कर सभी स्तरों पर एक सफल विमर्श करना है। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश के सभी शोधार्थीयों , विद्यार्थीयों , शिक्षाविदयों का कुल पंजीयन ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से 250 से अधिक रहा।
संगोष्ठी का शुभारंभ मुख्य अतिथि एवं विशेष अतिथि के द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया, तत्पश्चात मंचासीन माननीय कुलपति प्रो. एस के सिंह, उप- कुलसचिव मनोज कुमार सिंह, मुख्य अतिथि के.टी.यू.जे.एम विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. बलदेव भाई शर्मा और विशेष अतिथि प्रोफेसर रवीन्द्र ब्रह्मे ने राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य विषय “विकसित भारत @2047: अ चैलेंजिंग रिजॉल्यूशन” विषय पर आधारित सौवेनिर ( प्रोसीडिंग) का विमोचन किया जिसमें प्रतिभागियों के 100 शोध सारांश का विस्तारपूर्वक उल्लेख दिया गया है।
स्वागत उद्बोधन में एस.आर. यू के कुलपति प्रो. एस के सिंह ने समाज विज्ञान संकाय को विषय “विकसित भारत @2047: अ चैलेंजिंग रिजॉल्यूशन” का चुनाव करने के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा कि विकसित भारत @2047 की परिकल्पना के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आर्थिक विकास के मानकों जैसे जी.डी.पी और प्रति व्यक्ति आय के साथ मानव विकास सूचकांक, हरित सूचकांक, विश्व प्रसन्नता सूचकांक में भी भारत का विकास होने से ही समृद्ध और विकसित भारत का सपना पूर्ण हो सकता है।
तत्पश्चात इस संगोष्ठी के मुख्य समन्वयक डॉ. मनीष कुमार पाण्डेय ने “विकसित भारत @2047: अ चैलेंजिंग रिजॉल्यूशन” विषय पर आयोजित संगोष्ठी की रुपरेखा प्रस्तुत की जिसमें उन्होंने भारत के विकास में आने वाली बाधाओं की तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए माननीय मंच और सभागार में उपस्थित विद्वतजनों का एक सार्थक विमर्श के लिए आह्वान किया।
विशेष अतिथि पं. रविशंकर शुक्ल विश्विद्यालय रायपुर के स्कूल ऑफ़ स्टडीज एवं इकॉनोमिक्स के डीन प्रो. रवीन्द्र ब्रह्मे ने संगोष्ठी के विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि आज देश को विकास के बहुत से अवसर उपलब्ध हैं और किसी भी देश का आर्थिक विकास उसके सकारात्मक और नकारात्मक वातावरण पर निर्भर करता है। इसके साथ प्रो. रवीन्द्र ने कहा कि , इतिहास में विकास के प्राकृतिक अवसर सभी को प्राप्त हुए हैं और भारत के लिए भी आगामी 30 साल विकसित राष्ट्र बनाने का स्वर्णिम समय है।
राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य अतिथि, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय रायपुर के माननीय कुलपति प्रो. बलदेव भाई शर्मा ने अपने व्यक्तव्य में कहा कि भारत को जानने और समझने के लिए युवाओं को डिग्री प्राप्त करने वाली पुस्तकों के साथ- साथ मानवीय मूल्यों ,सांस्कृतिक और राष्ट्रीय गरिमा से सम्बंधित पुस्तकों का अध्ययन करना भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत का संकल्प सिर्फ आर्थिक विकास ही नहीं विश्व स्तर पर सुख एवं शांति प्रदान करना भी विकास का मूल आधार है, यही कारण है कि आज विश्व में चल रहे विभिन्न देशों के मध्य युद्धों के समाधान में भारत की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है।
तीन तकनीकी सत्रों में हाइब्रिड माध्यम से देश के अनेक उच्च शिक्षण संस्थानों के 100 से अधिक विद्यार्थियों, शोधार्थियों और शिक्षाविदों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये, जिसमें राष्ट्र के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक समस्याओं से संबन्धित विषयों पर व्यापक विमर्श किया गया। वहीं दूसरी तरफ विज्ञान और तकनिकी क्षेत्र से सम्बंधित शोध पत्रों में नवाचार, उद्यमशीलता, हरित उर्जा, सतत विकास जैसे अनेक विषयों पर गंभीर चिन्तन प्रस्तुत किया गया।
अंततः संगोष्ठी के समापन समरोह में सहायक समन्वयक डॉ. नरेश गौतम ने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों, शिक्षकों, विद्यार्थियों और इस संगोष्ठी के सफल संपादन में योगदान देने वाले विश्विद्यालय के सभी कर्मचारियों का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर समाज विज्ञान संकाय की अधिष्ठाता डॉ. अवधेश्वरी भगत, आयोजक सचिव डॉ.अंजली यादव, डॉ. पुष्पा भारती, सचिव डॉ. सुजाता घोष, डॉ. चित्रा पाण्डेय, सुश्री. सम्प्रिती भट्टाचार्य, चीफ पी.आर.ओ श्री राजेश तिवारी एवं संपूर्ण विश्विद्यालय परिवार उपस्थित रहा ।श्री रावतपुरा सरकार यूनिवर्सिटी के प्रतिकुलाधिपति श्री हर्ष गौतम ने राष्ट्रीय संगोष्ठी के सफलता पूर्वक समापन की शुभकामनाए दी।