रायपुर– हजारों की संख्या में शिक्षा मंत्री के बंगले पहुंचे बीएड उपाधि धारक सहायक शिक्षक, सभी सहायक शिक्षक एक विशेष किस्म का टी-शर्ट पहने हुए आए नजर , जिसमें लिखा हुआ था बीएडधारी सहायक शिक्षक हैं असहाय, छत्तीसगढ़ सरकार करें न्याय बीएड और डीएड का मामला आज कल जोर-जोर से चर्चा पर है। यह मामला केवल छत्तीसगढ़ का ही नहीं है बल्कि यह पूरे देश का मामला है। पूरे देश भर में लाखों शिक्षकों की नियुक्ति एनसीटीई एवं राज्यों के शिक्षक भर्ती नियमावली एवं सीधी भर्ती के माध्यम से हुई है। ज्ञात हो की एनसीटीई वह इकाई है जो शिक्षक भर्ती के लिए पूरे देश में योग्यता का निर्धारण करती है जिसके नियमों को मानने के लिए हर राज्य बाध्य है। इन्हीं नियमों के आधार पर सभी राज्यों ने अपने राज्यों में शिक्षक भर्ती के लिए नियमावली बनाई। एनसीटीई के नियमों के आधार पर ही छत्तीसगढ़ में भर्ती नियम बनाकर राजपत्र में प्रकाशन किया गया। लोक शिक्षण संचनालय के माध्यम से व्यापम के द्वारा जून 2023 में सहायक शिक्षक पद के लिए परीक्षा आयोजित की गई, जिसमें बीएड उपाधि धारक सहायक शिक्षकों ने मेरिट में अपनी जगह बनाई एवं नियुक्त होकर पिछले 8 माह से छत्तीसगढ़ सुदूर अंचल बस्तर और सरगुजा संभाग में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अचानक से हाई कोर्ट का एक निर्णय आता है की बीएड वालों को उनके पद से 6 सप्ताह के भीतर पद मुक्त किया जाए और सिर्फ डीएड वालों को लिया जाएं।
जबकि व्यापम द्वारा आयोजित परीक्षा में बीएड एवं डीएड दोनों ही अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी और टॉप करने वालों को नियुक्ति प्रदान की गई। अब हाई कोर्ट की इस फैसले से 4500 से अधिक सहायक शिक्षकों एवं उनके परिवार पर आजीविका का संकट खड़ा हो गया है। अगर इनको नौकरी से पद मुक्त कर दिया जाता है तो आखिर हजारों की संख्या में इन परिवारों का क्या होगा? क्योंकि इनमें से बहुत सारे अभ्यर्थियों ने सरकारी नौकरी एवं अच्छी सैलरी वाली तनख्वाह को छोड़कर इस नौकरी को ज्वाइन किया। आज यह सभी मानसिक रूप से पीड़ित है। इन सभी का कहना है कि नौकरी के आधार पर ही हमारा विवाह तय हुआ। पूरे परिवार में हमने खुशियां मनाई, मिठाई बांटी और अब ऐसी नौबत आ गई है जिनकी सगाई हुई है वह सगाई भी टूट गई। बहुत सारे अभ्यर्थियों ने रेलवे, विद्युत विभाग, आंगनवाड़ी, आत्मानंद स्कूल में व्याख्याता जैसे पदों को छोड़कर नियुक्ति हासिल की। यह शासन के द्वारा प्रदान की गई नौकरी है क्योंकि इसमें हम सभी सुरक्षित रहेंगे। लेकिन आज स्थिति ठीक इसके विपरीत है। इनको अपनी नौकरी बचाने के लिए राजधानी में अलग-अलग मंत्रियों के यहां गुहार लगानी पड़ रही है।
राजधानी में आज हजारों की संख्या में बीएड सहायक शिक्षकों ने प्रदेश के शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के बंगले में गुहार लगाने पहुंचे। उनका कहना है कि राजपत्र के नियमों के अनुसार ही हमारी भर्ती हुई है और अचानक हमें इस तरीके से बाहर करने का आदेश आ जाता है जिसे हम सभी व्यथित हैं। हमारे परिवार का क्या होगा? आज हमारा परिवार इसी नौकरी पर निर्भर है अगर हमें नौकरी से निकाल दिया जाता है तो रोजी रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा। सरकार के बनाए नियमों के आधार पर ही हमारी भर्ती हुई है और अगर ऐसा फैसला आ जाता है तो इसके लिए आखिर कौन जिम्मेदार है इसमें तो हमारा किसी भी प्रकार से दोष नहीं है। हमने विज्ञापन के आधार पर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी की और मेरिट पर स्थान बनाया। आखिर इन सबके लिए जिम्मेदार कौन है? आखिर हम निर्दोष लोगों को सजा क्यों दी जा रही है। हमें इस बात की सजा दी जा रही है कि हमने ज्यादा पढ़ लिख लिया।
हमारे डीएड वालों से ज्यादा नंबर आ गए। एक बात बताइए क्या 40 नंबर पाने वाला ज्यादा गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान करेगा या 100 नंबर पाने वाला आज मेरिट पर आए लोगों को बाहर किया जा रहा है। अब युवा कैसे सरकार और सिस्टम पर विश्वास करेगा। अगर यही स्थिति रही तो लोगों का सरकार एवं व्यवस्था से विश्वास उठ जाएगा। जो समाज के लिए गंभीर खतरा हो सकता है। आज देश में सर्वाधिक आबादी युवाओं की है देश की आबादी में 65% संख्या युवाओं की है। सरकार मुश्किल से लोगों को रोजगार दे पाती है हम रोजगार पाने के लिए कई कई सालों तक लाखों रुपए बहाकर डिग्री हासिल करते हैं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं और उसके बाद मुश्किल से कोई विज्ञापन आता है और जिसमें सेलेक्ट होने के बाद हम सबको ऐसे बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा तो या दुर्भाग्य जनक है।यह वह विद्यार्थी है जो शिक्षक पद पर चयनित होने से पहले टीईटी की भी परीक्षा पास की। उक्त बातें हजारों की संख्या में मंत्री जी के निवास पहुंचे बीएड सहायक शिक्षकों ने मीडिया से कही। बीएड उपाधि धारक सहायक शिक्षकों ने मंत्री जी से मुलाकात कर अपनी नौकरी को सुरक्षित रखने की मांग की। जिस पर उन्हें सकारात्मक आश्वासन मिला।