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श्री प्रवीण जैन झांसी को श्रद्धांजलि : सेवा, समर्पण और पत्रकारिता में ‘प्रवीण’ आवाज हुई मौन

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ललितपुर– सुबह-सुबह (6 मई 2024) खबर पढ़ी कि देव, शास्त्र, गुरु के अनन्य उपासक, वरिष्ठ पत्रकार, वरिष्ठ समाजसेवी, अनेक संस्थाओं में विभिन्न पदों पर पदासीन रहकर निरंतर समाजसेवा और प्रभावना में संलग्न, बेहद सरल, आकर्षक, विद्वतापूर्ण प्रभावशाली व्यक्तित्व के स्वामी, हर पल समाज और देश की सेवा में तत्पर रहने वाले, भाईसाब प्रवीण जी जैन झांसी का असामयिक निधन हो गया है। देह परिवर्तन की इस सूचना को पढ़कर विश्वास ही नहीं हुआ, तुरंत मैंने उनके बड़े भाईसाब प्रदीप जी जैन रायपुर (संपादक दैनिक विश्व परिवार रायपुर) को खबर की पुष्टि के लिए फोन लगाया, वे रायपुर से झांसी के लिए पहुँचने के लिए रास्ते में थे उन्होंने बताया हाँ, प्रवीण भैया अब हम सबके बीच नहीं हैं, यह सुनकर मैं स्तब्ध रह गया। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों हुए एक्सीडेंट के बाद वे लगभग ठीक हो गए थे, हां डॉक्टरों ने आराम की सलाह दी थी। कल 5 मई को करगुवा जी में बाहर से आए कुछ वरिष्ठ समाज के गणमान्य लोगों से उन्होंने मुलाकात भी की थी। लेकिन शाम को उनकी अचानक तबियत बिगड़ने लगी और फिर यह दुःखद खबर सुनने को मिली।
दुनिया में कुछ लोग ऐसे होते हैं जो इस दुनिया से जाने के बाद भी अपनी अमिट छाप छोड़ जाते हैं और देह से जाने के बाद भी लोगों के मन-मस्तिष्क में सदैव स्मरणीय रहते हैं, उनके कार्य उन्हें सदैव जीवंतता बनाए रखते हैं। ऐसे ही एक विशिष्ट महनीय व्यक्तित्व थे भाईसाब प्रवीण जैन जी झांसी। वे अपने कार्यों से झांसी में जैन समाज तक सीमित नहीं थे बल्कि अपने अनूठे सेवा कार्यों, समाजसेवा, पत्रकारिता के कारण पूरी झांसी में लोकप्रिय थे।समाज में सेवा, समर्पण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर उनकी एक अलग पहचान थी, वे कर्मठता से कार्य करने के लिए जाने जाते थे।
उनके निधन का समाचार एक अव्यक्त रिक्तता के वास्तविक आभास जैसा है। वे अभी लगभग 55 बचपन वर्ष के थे यह समय उनके जाने का नहीं था। अभी आपकी समाज को बहुत जरूरत थी। ऐसे प्रसंग हमें वैराग्य और संसार की क्षणभंगुरता की भी याद दिलाते हैं। कभी निःशब्द न होने वाले सबको निःशब्द कर गए।

एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा ।
आँख हैरान है क्या शख़्स ज़माने से उठा ।।

कुशल मंच संचालक, कुशल संपादक, अच्छे समाजसेवी, सामाजिक संगठनों में अग्रणी भूमिका निभाने वाला, पत्रकार संगठनों में अग्रणी व्यक्तित्व के आकस्मिक निधन का समाचार बहुत ही कष्टदायी है। आपकी सादगी,निर्भीकता,निडरता, सहज-सरल मिलनसार व्यक्तित्व एवं धार्मिक कार्यों के प्रति समर्पण समाज के लिए एक आदर्श प्रस्तुत करेंगे। करगुवां जी-झांसी तीर्थक्षेत्र के विकास, उन्नयन के लिए वे सदैव तत्पर रहे।
मैं अपने विद्यार्थी जीवनकाल से ही भाईसाब प्रवीण जी परिचित था। अनेक अवसरों पर आयोजनों में आपके साथ रहा। मिलने पर और फोन पर विविध विषयों पर आपसे खूब चर्चा होती रही। जब भी आपसे कोई कार्य के लिए बात हुई आपने तत्परता से वह तुरंत पूर्ण की।
आपके पिता जी स्वर्गीय बाबू कैलाशचंद्र जी भी जहाँ एक अच्छे पत्रकार थे वहीं बड़े समाजसेवी थे । आपने अपने पिता जी के पदचिन्हों पर चलकर पूरा जीवन मानो समाजसेवा के लिए समर्पित कर दिया था।आपने समाजसेवा के क्षेत्र में एक मिसाल कायम की । पत्रकारिता के क्षेत्र में आपका योगदान स्तुत्य रहा। दैनिक विश्व परिवार झांसी को वर्षों से आप निरंतर निकाल रहे हैं जिसके माध्यम से धर्म और समाज की आवाज को निरंतर बुलंद किया। आपकी प्रशासनिक पकड़ भी बहुत अच्छी थी। कोई भी बात शासन-प्रशासन तक मजबूती से रखना है तो उसके लिए झांसी में प्रवीण जी को ही याद किया जाता था। आपके बड़े भाई प्रदीप जी रायपुर भी दैनिक विश्व परिवार रायपुर के संस्करण का जहाँ कुशल संचालन कर रहे हैं वहीं वह भारतीय प्रेस परिषद के सदस्य भी रहे हैं। प्रवीण जी उत्तर प्रदेश पत्रकार संघ के विभिन्न पदों पर रहे हैं।
प्रवीण जी समाज के सुदृढ़ स्तंभ एवं साधु संतों और जैन सामाजिक कार्यों के लिए हमेशा तन, मन एवं धन से तत्पर रहने वाले व्यक्ति थे। साधु संतों के चौके में आहार देते हुए, पड़गाहन करते हुए,पद विहार में चलते हुए प्रवीण जी को देखा जा सकता था। बड़े बड़े पंचकल्याणक, गजरथ महोत्सवों में आपने महामंत्री के पद पर रहकर आयोजन को ऐतिहासिक सफलता के साथ संपन्न कराया।
इस दुःखद समाचार से हम सब स्तब्ध हैं,वह असाधारण वक्ता एवं कुशल नेतृत्व के धनी थे।
उनका असामायिक निधन न केवल उनके परिवार अपितु पूरे समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दे और परिजनों को संबल प्रदान करें ! मेरी संवेदना।
मैं अनेक स्मृतियों के साथ उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ!
!!ॐ शांति ॐ!!
रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई ।
आप जैसे गए ऐसे भी कोई जाता नहीं ।।