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अक्षय तृतीया पर्व पर होगी एटा गौरव विशू दीदी सहित 13 दीक्षार्थियों की मंगल गोद भराई

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वैरागियों के वैराग्य की अनुमोदना से भरती हैं खाली झोलियां – भावलिंगी संत आचार्य विमर्श सागर जी महाराज

देहरा तिजारा (अलवर राजस्थान)– आखा तीज (अक्षय तृतीया) के पावन पर्व पर अक्षय क्षेत्र देहरा तिजारा के बड़े बाबा 1008 श्री चंद्र प्रभु भगवान की चरण छाया में एवं भावलिंगी संत राष्ट्रीयोगी श्रमणाचार्य श्री विमर्श सागर जी महामुनिराज के मंगल आशीर्वाद एवं पावन सानिध्य में गुरुदेव के ही संघस्थ 13 दीक्षार्थी शिष्यों का हो रहा है प्रथम गोद भराई का महा आयोजन।
10 मई 2024 शुक्रवार के पावन दिवस पर आगामी 15 नवंबर 2024 को होने वाली भगवती जिन दीक्षा को प्राप्त करने वाले भव्य आत्माओं की प्रथम गोद भराई के महा आयोजन में देश भर से हजारों श्रद्धालु भक्तगढ़ अतिशय क्षेत्र पर पधार कर भव्य दीक्षार्थियों की गोद भरकर उनके परम वैराग्य की अनुमोदना करेंगे।

क्या है गोद भराई का महत्व

जैन धर्म में जैन धर्म में दीक्षा लेने वाले भाव्यजीवो की दीक्षा से पूर्व दीक्षार्थी भव्य आत्माओं के वैराग्य की प्रशंसा एवं अनुमोदना के साथ ही आप जैसा उत्कृष्ट वैराग्य हमें भी प्राप्त हो इस पवित्र भावनाओं से भरकर श्रावक श्राविकाएं मांगलिक द्रव्यों से दीक्षार्थियों की गोद भरते हैं पूज्य आचार्य श्री इस अवसर की महत्वता को बताते हुए कहते हैं कि जो कोई मां भावपूर्वक दीक्षार्थियों के मंगल द्रव्यों से गोद बढ़ती है उनकी गोद कभी सुनी नहीं रहती।

कहां होगा दीक्षाओं का महा आयोजन कहां होगा विमर्श भक्तों का महाकुंभ

15 नवंबर 2024 को परम पूज्य भावलिंगी संत आचार्य श्री विमर्श सागर जी महामुनिराज के पवित्र कर कमल से बाल ब्रह्मचारी विशू दीदी सहित 13 दीक्षार्थियों को भगवती जिन दीक्षा प्रदान की जाएगी लेकिन कहां यह निश्चित नहीं किया गया है देश की राजधानी दिल्ली प्रदेश की जैन समाज सहित बड़ोत जैन समाज, अतिश्य क्षेत्र तिजारा जैन समाज, अलवर जैन समाज तथा रेवाड़ी जैन समाज के श्रद्धालु भक्तगण आचार्य श्री के चरणों में बारंबार निवेदन कर रहे हैं कि इस वर्ष का चातुर्मास एवं दीक्षाओं का महाकुंभ हमारे नगर में संपन्न किया जाए पूज्य आचार्य श्री श्रुत पंचमी पर्व के पश्चात निश्चित करेंगे कि इस वर्ष का सौभाग्य किसी समाज को प्राप्त होगा।

कौन होंगे भगवती जिन दीक्षा प्राप्त करने वाले महापात्र

भावलिंगी संत आचार्य श्री से जिन दीक्षा प्राप्त करने वाले संघर्ष शिष्य शिष्याओं में सर्वप्रथम विमर्शनुरागनी बहन बाल ब्रह्मचारी विशू दीदी है जिन्होंने सिद्ध क्षेत्र आहार जी में भगवान शांतिनाथ एवं गुरुदेव आचार्य विमर्श सागर जी के आशीर्वाद से असाध्य रोग से मुक्त होकर नवजीवन प्राप्त किया था और अपनी गुरु भक्ति का अनुपम परिचय दिया था अगले क्रम में आचार्य गुरुवर की ग्रस्त जीवन की छोटी बहन बाल ब्रह्मचारी महिमा दीदी है आगे ,बाल ब्रह्मचारी मेघा दीदी, बाल ब्रह्मचारी ज्योति दीदी, बाल ब्रह्मचारी सोनली दीदी, बाल ब्रह्मचारिणी सृष्टि दीदी, बाल ब्रह्मचारी रिया दीदी, ब्रह्मचारिणी गुंजन दीदी, बाल ब्रह्मचारी दीपा दीदी, ब्रह्मचारिणी रीता दीदी, बाल ब्रह्मचारी प्रतीक्षा दीदी, ब्रह्मचारिणी मित्रावती दीदी एवं ब्रह्मचारी प्रवीण भैया जी है इन 13 महापात्राओं को आगामी नवंबर माह में जिन दीक्षा प्रदान की जाएगी।
इन्हीं 13 दीक्षार्थी की आगामी 10 मई को अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर आचार्य गुरुदेव के मंगल आशीर्वाद पूर्वक गोद भराई की जाएगी।

जिन शासन का सबसे महत्वपूर्ण दिवस “अक्षय तृतीया महापर्व”

जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ स्वामी को तप धारण करने के पश्चात 13 महा बीत जाने पर राज सोम- श्रेयांश के राजमहल में प्रथम आहार की प्राप्ति हुई थी उसे दिन आहार सामग्री क्षय को प्राप्त नहीं हुई थी अतः”दान तीर्थ प्रवर्तन” के रूप में यह अक्षय तृतीया पर्व मनाया जाता है इस दिन सुधी श्रावक श्राविकाओं को अवश्य ही आहार दान करना चाहिए।
अतिशय क्षेत्र तिजारा पर 10 में को देश भर से पधारने वाले हजारों गुरुभक्तों को आहार दान एवं दीक्षार्थियों की अनुमोदना यह दोनों महान अवसर प्राप्त होंगे कोई भी पुण्य आत्मा इस पूर्ण कर से चूक नहीं सकता।

3 मई शुक्रवार को अतिशयक्षेत्र देहरा तिजारा जी के बड़े बाबा भगवान चंद्रप्रभु के दरबार में चंद्रप्रभु अर्चना की जाएगी । 10 मई को प्रातः वेला में जिनआराधना पश्चात अक्षय तृतीया पर्व मनाया जाएगा पश्चात चतुर्विधि संघ की आहारचार्य संपन्न होगी जिसमें हजारों श्रावक ,श्राविकाएं आहार दान देकर महापुण्य अर्जन करेंगे मध्यान 1:00 से बाल ब्रह्मचारी विशू दीदी सहित 13 भव्य दीक्षार्थियों की मंगल गोद भराई की जाएगी स्थानीय जैन समाज सहित देशभर से आने वाले हजारों गुरु भक्तों को यह महान वैराग्य अनुमोदन का सुअवसर प्राप्त होगा।
संध्या बेला में सुप्रसिद्ध गीतकार भजन सम्राट रूपेश जैन द्वारा गुरु चरणों में “विमर्श स्वरांजलि” समर्पित की जाएगी।