Home राजिम हां मैं मजदूर हूं मेहनत और उत्साह से भरपूर हूं

हां मैं मजदूर हूं मेहनत और उत्साह से भरपूर हूं

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अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर प्रयाग साहित्य समिति ने की मासिक काव्य गोष्ठी

राजिम–  शहर के पद्म तालाब के पास एकांत विला में प्रयाग साहित्य समिति की काव्य गोष्ठी अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर संपन्न हुई। कार्यक्रम में अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार नूतन लाल साहू नूतन ने कहा कि मजदूर ही है जिनके भरोसे हमें अन्न मिलता है छत मिलता है और सब कुछ मिलता है। आज के दिन ही नहीं बल्कि साल भर के पूरे 365 दिन इनका सम्मान होना चाहिए। इस मौके पर उन्होंने मजदूरों के ऊपर एक शानदार कविता भी सुनाई, जिसे सुनकर खूब तालियां मिली। कार्यक्रम के अध्यक्षता करते हुए प्रयाग साहित्य समिति के अध्यक्ष टीकमचंद सेन दिवाकर ने मजदूरों की व्यथा को उजागर करते हुए पंक्ति सुनाएं- हां वह मजदूर है जिनसे हंसी जिनसे खुशी काफी दूर है, हां वह मजदूर है। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित करेली बड़ी हाई स्कूल के प्राचार्य एवं कवि किशोर जांगड़े ने कहा कि रंगों का त्यौहार हो।एक दूसरे में ना तकरार हो। सबके दिलों में प्यार हो। बैर किसी को किसी से हो ना, ऐसा एक संसार हो। व्यंग्यकार संतोष सेन ने संस्कृति और संस्कार पर शानदार कविताएं पढ़ी पंक्ति देखिएगा-जो दूसरों से छीन के खाएं वह विकृति है, वह अपना खाए हम अपना खाएं यह प्रकृति है और हमारा पड़ोसी खाया है या नहीं खाया है इस बात की चिंता करके खाएं, यह हमारी संस्कृति है। कवयित्री सरोज कंसारी ने भजन प्रस्तुत कर समां बांध दिया। प्रस्तुत है कुछ अंश-नजर नहीं चुराईये किसी गरीब से, उसके अंग झांकिएं जरा करीब से, उसके अंग में बसे सीताराम है, दूसरे फलक में बसे राधे श्याम है। शायर जितेंद्र सुकुमार साहिर ने मजदूर की पीड़ा को व्यक्त करते हुए नई कविता पढ़ी, पंक्ति देखिए- हां मैं मजदूर हूं.. मेहनत और उत्साह से भरपूर हूं, औरों के लिए बनाया न जाने कितनी इमारत, पर खुद झोपड़ी में रहने मजबुर हूं, हां मैं मजदूर हूं। संचालन करते हुए कवि एवं साहित्यकार संतोष कुमार सोनकर मंडल ने कहा कि जीवन बहुत बड़ी है। श्रम कई प्रकार से किया जाता है। जो परिश्रम करते हैं वही आगे बढ़ते हैं। इसलिए मेहनत करिए आपको आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता है। मजदूर एक एक ईंट करके पूरे घर बना लेते हैं। उन्होंने इस मौके पर एक छत्तीसगढ़ी में शानदार कविता पढ़ी-नदियां नरवा गाये करमा ददरिया सुवा,मन घलो गद होगे मार भरे हावे कुंआ। आभार प्रकट जितेंद्र साहू ने किया।