रायपुर/ बिलासपुर– सिगनल एवं दूरसंचार के क्षेत्र में मील का पत्थर ऑटो सिग्नलिंग रेलवे का भविष्य है। यह ज्यादा से ज्यादा ट्रेन चलाने के साथ-साथ प्रमुख जंक्शन स्टेशन के ट्रेफिक को नियंत्रित करने में मदद करता है । पहले जहॅा दो स्टेशनों के बीच एक ही ट्रेन चल सकती थी वहीं ऑटो सिग्नलिंग के द्वारा दो स्टेटशन की बीच दूरी के अनुसार 4, 5 या 6 ट्रेने भी आ सकती है। ऑटो सिग्नलिंग व्यवस्था बिना किसी अतिरिक्त स्टेशनों के निर्माण और रखरखाव के ज्यादा से ज्यादा ट्रेन चलाने की सुविधा प्रदान करती है । वर्तमान में बिना नई लाईन का निर्माण करे सेक्शन की क्षमता बढाने का यह सर्वोत्तम उपाय है ।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने अप्रैल महीने मे ऑटो सिग्नलिंग के क्षेत्र मे उच्च मापदंड के हर नवीन सोपान को पूरा करते हुए 14 किलोमीटर आटो सिग्नलिंग के काम को पूरा किया है । कुम्हारी से सरोना (7 Km), बिलासपुर-गतोरा चतुर्थ लाइन (7 Km) को ऑटो सिग्नल मे बदला गया है । इस कार्य के सम्पन्न होने से नागपुर से सरोना तक ऑटो सिग्नलिंग पुर्ण हो गया है । सरोना से रायपुर भी अगले तीन माह मे पूर्ण कर लिया जायेगा ।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने अप्रैल महीने मे ऑटो सिग्नलिंग के क्षेत्र मे उच्च मापदंड के हर नवीन सोपान को पूरा करते हुए 14 किलोमीटर आटो सिग्नलिंग के काम को पूरा किया है । कुम्हारी से सरोना (7 Km), बिलासपुर-गतोरा चतुर्थ लाइन (7 Km) को ऑटो सिग्नल मे बदला गया है । इस कार्य के सम्पन्न होने से नागपुर से सरोना तक ऑटो सिग्नलिंग पुर्ण हो गया है । सरोना से रायपुर भी अगले तीन माह मे पूर्ण कर लिया जायेगा ।
दक्षिण पूर्व मध्यस रेलवे के प्रधान मुख्य सिगनल एवं दूरसंचार इंजीनियर श्री सुरेश कुमार सोलंकी के कुशल दिशा निर्देश में यह जोन अपने ऑटो सिग्नलिंग लक्ष्य के प्रति निरंतर अग्रसित हो रहा है । आने वाले समय में ऑटो सिग्नलिंग व्यवस्था दक्षिण पूर्व मध्य रेल्वे में अत्याधिक मालवाहक ट्रेनों की आवाजाही के कारण देर से चलने वाली पैसेंजर ट्रेनों पर बहुत हद तक विराम लगा सकता है, क्योंकि इस व्यवस्था से एक ब्लॉक सेक्शन में एक से ज्यादा ट्रेनों की आवाजाही सुनिश्चित किया जा सकेगा साथ ही कवच एवं केंद्रीकृत यातायात प्रणाली को लागू करने में भी लाभप्रद सिद्ध होगी ।