- लगातार चार बार रायगढ़ क्षेत्र से लोकसभा सदस्य भी रहे सीएम साय
- CM विष्णुदेव साय बोले, साय मतांतरण रोकने के लिए सख्त कानून तैयार
रायपुर- आदिवासियों को हिंदुओं से अलग बताने वालों के सामने मतांतरण विरोधी सशक्त चेहरा बन चुके छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय (Vishnu Deo Sai) सौम्य, सरल छवि के साथ अब सख्त प्रशासक के रूप में प्रभावशाली भूमिका में आ गए हैं। गांव के पंच के रूप में 1989 में सार्वजनिक जीवन की शुरुआत करने वाले आदिवासी समाज के नेता विष्णुदेव साय 35 वर्ष की राजनीतिक यात्रा के बाद अब छत्तीसगढ़ के चौथे मुख्यमंत्री हैं। वह तीसरी बार विधायक निर्वाचित हुए हैं तो 1999 से 2019 तक लगातार चार बार रायगढ़ क्षेत्र से लोकसभा सदस्य भी रहे। प्रदेश अध्यक्ष से लेकर केंद्रीय मंत्री तक का दायित्व निभाने के बाद भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता के रूप में जमीन से जुड़े रहना उन्हें विशिष्ट बनाती है।
सवाल: हिंदुओं और आदिवासियों को अलग बताने की कोशिश होती है। क्या इसमें वामपंथी और ईसाई मिशनरियों के बीच किसी तरह का तालमेल दिखता है?
जवाब: हां तालमेल की बात आती हैं। बताते हैं कि कई संस्थाएं ऐसी यहां काम कर रही हैं जो कि आदिवासियों को यह कहकर भ्रम में डाल रही हैं कि वह हिंदू नहीं हैं। वह मतांतरित हो जाते हैं और मुख्य धारा से कट जाते हैं। मतांतरण रोकने के लिए अभी भी नियम है। कार्रवाई भी हो रही है। अगर कोई जबरदस्ती या प्रलोभन देकर मतांतरण कराने की कोशिश करता है तो उस पर कार्रवाई के अभी भी प्रविधान हैं लेकिन वर्तमान कानून कड़ा नहीं है। अभी और कड़ा बनाएंगे। इसे पूरी तरह रोकने के लिए अगले ही सत्र में सख्त कानून ला रहे हैं। धर्मस्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा था कि कानून लाएंगे। हमारी टीम कानून को अंतिम रूप देने में जुटी है। मतांतरण रोकने के लिए अभी प्रभावशाली तरीके से कार्रवाई नहीं हो पा रही है।
सवाल: कवासी लखमा समेत कांग्रेस के कई नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर रहे हैं, कैसे देखते हैं?
जवाब: कवासी लखमा ही नहीं, यह कांग्रेस की संस्कृति है। कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में हार दिख रही है। उनके नेता जिस तरह से बात कर रहे हैं, उसे देश की जनता स्वीकार नहीं करेगी। इससे कांग्रेस को लाभ नहीं होने वाला है, बल्कि उनको हानि ही होगी। कभी सिर फोड़ने की बात करते हैं, कभी मरने की बात करते हैं। इस तरह की बयानबाजी ठीक नहीं है।
सवाल: कांग्रेस जातिगत गणना की बात करती है। भाजपा के पास इसका क्या जवाब है?
जवाब: भाजपा हर वर्ग के लिए काम करती है। कांग्रेस सिर्फ समाज को बांटना जाति है। कभी धर्म के नाम पर तो कभी जाति के नाम पर। ऊंच नीच के नाम पर बंटवारे का प्रयास किया जा रहा है। मुस्लिम वर्ग के लिए भी हमारी सरकार ने पिछले वर्षों में बेहतर काम किया। मुस्लिम वर्ग की महिलाओं के लिए ट्रिपल तलाक का कानून केंद्र सरकार ने पास कर दिया। इससे महिलाओं को राहत हुई। हर वर्ग के लिए केंद्र सरकार ने काम किया है।
सवाल: कांग्रेस महिलाओं के लिए न्याय की गारंटी देते हुए फार्म भरवा रही है, इसे किस तरह देखते हैं?
जवाब: मैं तो हर भाषण में पूछ रहा हूं कि कांग्रेस की न्याय गारंटी पर विश्वास है तो जनता नकारती दिख रही है। विधानसभा चुनाव में हमने महतारी वंदन योजना फार्म भरवाए थे तो उसमें किसी कैंडीडेट का नाम नहीं था। कांग्रेस हर लोकसभा क्षेत्र में अपने प्रत्याशियों की फोटो के साथ फार्म भरवा रही है। मैं अपने भाषणों में जनता से पूछता हूं कि कांग्रेस के लोग एक-एक लाख रुपये देने के लिए फार्म भरवा रहे हैं, आपको कांग्रेस पर विश्वास है? जनता हाथ से इशारा करके कह रही है कि उन्हें विश्वास नहीं है।
सवाल: नियद नेल्लानार योजना (आपका अच्छा गांव) को कहां तक आगे ले जाएंगे ?
जवाब: हमारे बजट में भी नियद नेल्लानार योजना के लिए बजट है। केंद्र सरकार का भी सहयोग मिल रहा है। वनांचलों के कई गांवों में बिजली, पानी और सड़क की सुविधा नहीं है। उनके लिए बुनियादी सुविधा बढ़ाने के लिए यह योजना कारगर साबित हो रही है। कुछ गांव ऐसे हैं जहां के युवा भी आज बुनियादी व अत्याधुनिक सुविधाओं के बारे में नहीं जानते हैं। उनके पास मोबाइल-टीवी नहीं है। सभी लोगों तक सुविधा पहुंचाने की योजना है।
सवाल: आप छत्तीसगढ़ सहित दूसरे राज्यों में भी दौरा कर रहे हैं, अभी कहां-कहां जाएंगे?
जवाब: अभी मैंने मध्य प्रदेश और झारखंड में चुनावी सभाएं की है। महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा और तेलंगाना भी जाएंगे। सात मई को प्रदेश में मतदान समाप्त होने के बाद केंद्रीय नेतृत्व के दिशानिर्देश में दौरा जारी रहेगा। झारखंड में गोड्डा लोकसभा में भी गए थे। वहां रेलवे, एयरपोर्ट, हाईवे निर्माण से जनता खुश है। जनता भी बोल रही है कि विकास कार्य हुए हैं।
सवाल: अभी लोकसभा चुनाव की व्यवस्तता के चलते दिनचर्या में किस तरह का बदलाव आया है?
जवाब: सुबह साढ़े बजे जग जाते हैं। सुबह नाश्ते के दौरान ही बच्चों के साथ बैठ पाते हैं। व्यस्तता के कारण योग के लिए समय नहीं निकल पा रहा है। पत्नी जब गांव से आती हैं तभी मुलाकात हो पा रही है। कई बार सभाएं ऐसे समय में रहती हैं कि भोजन करने के लिए हेलीकाप्टर में ही समय निकालना पड़ता है।
सवाल: चुनावी दिनचर्या का कोई रोचक संस्मरण।
जवाब: हर दौरा रोचका और नयापन लिए होता है। लोगों से नई-नई बातें सुनने और समझने को मिलती है। कई बार तो समय की कमी के कारण भोजन भी संभव नहीं हो पाता। एक दिन कुछ विधायक हमारे साथ थे। टिफिन में दो लोगों के लिए भोजन था परंतु चार लोगों ने भोजन का आनंद लिया। इसी तरह एकबार तो हेलीकाप्टर भोजन की व्यवस्था कर दी गई। सोचा रास्ते में ही सभी खा लेंगे परंतु प्लेट नहीं होने के कारण भोजन रहते हुए भी नहीं खा सके।