भारत रत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर जयंती के उपलक्ष्य में डॉ. सुखदेवे जी ने किए विचार व्यक्त…
रायपुर– श्री रावतपुरा सरकार यूनिवर्सिटी के समाज कार्य विभाग एवं राजनीति विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वाधान में विषय “छत्तीसगढ़ में अम्बेडकर” पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. आर. के. सुखदेवे (सामाजिक कार्यकर्ता, छत्तीसगढ़ तर्कशील परिषद के अध्यक्ष एवं संपादक ‘तथागत’ मासिक पत्रिका, रायपुर) ने विद्यार्थियों से छत्तीसगढ़ में डॉ. भीमराव अम्बेडकर के योगदान के वषय में विस्तार पूर्वक विचार व्यक्त किये।
कार्य्रक्रम को संबोधित करते हुए यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर एस.के. सिंह ने विद्यार्थियों को भारतीय संविधान के शिल्पकार डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा प्राप्त विभिन्न विषयों में शिक्षा, समाज कल्याण और राष्ट्र की उन्नति के लिए किये गए अथक प्रयासों से प्रेरणा प्राप्त कर उनके शीर्ष नेतृत्व के मार्ग में चलने की बात कही।
यूनिवर्सिटी के कुलसचिव डॉ. सौरभ कुमार शर्मा अपने वक्तव्य में कहा कि आंबेडकर एक महान समाज सुधारक, विधिवेत्ता एवं अर्थशास्त्री थे। उन्हें किताबों से अधिक मोह था, उनका स्वयं का निजी पुस्तकालय था, जिसमें 50,000 से अधिक किताबें थी। उन्होंने कई विषयों में डिग्रीयाँ हासिल की, जिसमें मुख्य रूप से कोलंबिया यूनिवर्सिटी तथा लंदन स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स से पीएचडी हासिल शामिल है “रुपये की समस्या” जैसे विषयों पर उन्होंने शोध कार्य किया। और आज़ादी के बाद उसी शोध पर रिजर्व बैंक स्थापित हुआ।
अपने विचार व्यक्त करते हुए, मुख्य वक्ता डॉ. आर. के. सुखदेवे जी ने बताया कि आंबेडकर एक समाज सुधारक के रूप में हमारे समक्ष आते हैं। इनकी शिक्षा, कानून और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में अभूपूर्व योगदान रहा है। आंबेडकर जी ने पुरुष एवं महिलाओं में समानता की बात की। हिंदु कोड बिल, श्रम कानून जैसे महत्वपूर्ण कानून लाये, जिसके परिणाम स्वरूप श्रमिकों को उनके अधिकार प्राप्त हुए। महिलाओं को बराबरी का हक मिला। अंबेडकर जी का छत्तीसगढ़ से भी संस्मरण जुड़ा हुआ है।
जब भारत गुलाम था, तो छत्तीसगढ़, सीपी और बरार के हिस्से में आता था। उस समय सतनाम पंथ के प्रवर्तक गुरु घासीदास जी के पोते मुकतावन दास को अमरवती जेल में बिना किसी कारण के डाल दिया गया था, उन्हें जेल से छुड़ाने के लिए भोरिंग गाँव से नकुल देव ढीढी ने आंबेडकर जी से संपर्क किया। और उनका केस लड़ा, कोर्ट में महज 5 मिनट की बहस के उपरांत मुकतावन दास जी को छोड़ दिया गया। आंबेडकर जी को छत्तीसगढ़ बुलाया गया था, वे 12 दिसंबर 1945 को रेलगाड़ी के माध्यम से रायपुर के सप्रे शाला(तात्कालिन लॉरी स्कूल) में आए थे। रायपुर उस समय दुल्हन की तरह सजा था। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि “ मैं रायपुर पहली बार आया हूँ। आप सभी शिक्षित हों और अन्य लोगों को शिक्षित करने का प्रयास करें। सारे लोग छितरे न रहें, संगठित रहें। संगठित होने से दूसरे लोग आपका लोहा मानेंगे। इस देश को स्वतंत्रता मिलने वाली है, लोगों की समानता, शिक्षा के लिए इस कारवाँ को आगे बढ़ाना है कुछ लोग इस देश को बाँटने में लगे हैं, मैं देश को बाँटने के पक्ष में बिल्कुल भी नहीं हूँ।’
इस महत्वपूर्ण आयोजन का संचालन ‘समाज कार्य’ के सहायक प्रोफेसर डॉ. नरेश गौतम ने किया। आभार ज्ञापन ‘राजनीति विज्ञान विभाग’ के असोसिएट प्रोफेसर डॉ. मनीष पांडे ने किया है। इस आयोजन के सहयोगी श्री योगमय प्रधान की महावपूर्ण भूमिका रही है।
आयोजन के अंत में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी शपथ पत्र के माध्यम से यूनिवर्सिटी के कुलसचिव डॉ. सौरभ कुमार शर्मा द्वारा कार्यक्रम में उपश्थित सभी विद्यार्थियों एवं स्टाफ मेम्बेर्स को आगामी लोकसभा चुनाव में अपनी सहभागिता की शपथ भी दिलाई गई।