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बिजली कंपनी के भंडार गृह अग्निकांड की जांच की रफ्तार धीमी, समय बढ़ाने की करेंगे मांग

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  • साजिश या घोटाले को दबाने अग्निकांड तो नहीं? इस बिंदु पर भी जांच
  • जांच कमेटी ने अब तक दस से अधिक से पूछताछ कर दर्ज किए उनके बयान
  • क्षेत्रीय भंडार गृह में लगी भीषण आग मामले में कर्मचारियों की लापरवाही सामने आई

 रायपुर- बिजली कंपनी के गुढिय़ारी स्थित क्षेत्रीय भंडार गृह अग्निकांड मामले की जांच की रफ्तार इतनी धीमी है कि कम से कम दस दिन का समय और लगेगा जबकि शासन को एक हफ्ते में जांच रिपोर्ट देना है। अग्निकांड के सात दिन शुक्रवार को पूरे हो रहे है। छह सदस्यीय जांच कमेटी ने अब तक दस से अधिक अधिकारियों-कर्मचारियों से पूछताछ कर उनके बयान दर्ज किए है। रिकार्ड रूम को सील, कर दिया गया है, ताकि कोई छेड़छाड़ न कर सके, हालांकि यह काम पहले दिन ही पूरा करना था लेकिन जिम्मेदारों ने ध्यान नहीं दिया।

जांच समिति के अध्यक्ष व कार्यपालक निदेशक भीम सिंह कंवर ने बताया कि जांच के निर्धारित छह बिंदुओं के अलावा साजिश और घोटाले के एंगल से भी कमेटी जांच कर रही है। इसके अलावा अन्य पहलुओं को भी खुला रखा गया है। समिति ने भंडारगृह का बुधवार को निरीक्षण कर वहां कार्यरत कर्मचारियों से जानकारी भी ली है। गौरतलब है कि इस भीषण अग्निकांड में बिजली कंपनी को 200 करोड़ की क्षति होने का अनुमान है।

जांच समिति को अग्निकांड की एक सप्ताह में जांच रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए है। भीमसिंह कंवर ने बताया कि नए पहलु मिलने पर समय सीमा बढ़ाने की जरूरत पड़ेगी, इसके लिए मांग करेंगे। जांच तेजी से की जा रही है, हालांकि उन्होंने जांच का हवाला देकर आग में हुए नुकसान, अधिकारी-कर्मचारियो के बयान के बारे में जानकारी देने से इंकार किया। उनका कहना है कि रिकार्ड रूम अभी सील है। दस्तावेजों की जांच के बाद ही कुछ जानकारी दे पायेगे, इसके लिए थोड़ा इंतजार करना होगा।

जिम्मेदारों पर गिरेगी गाज, जांच में मिली घोर लापरवाही

क्षेत्रीय भंडार गृह में लगी भीषण आग में करोड़ों के ट्रांसफार्मर, मीटर, केबल, आयल समेत अन्य उपकरण खाक होने के मामले में प्रारंभिक तौर पर स्टोर प्रभारी अधीक्षण अभियंता संजीव सिंह, कार्यपालक निदेशक ज्योति नन्नौरे समेत अन्य कर्मचारियों की लापरवाही सामने आई है। लिहाजा छह सदस्यीय जांच कमेटी इन्हे दोषी मानकर चल रही है।

हालांकि कंपनी में यह भी चर्चा है कि इससे पहले भी भंडारगृह समेत अन्य कंपनी के सेवा भवन, दफ्तर में लगी आग में जिस तरह से लीपापोती कर मामले को दबा दिया गया, उसी तरह से इस बड़ी अग्निकांड को भी दबाने की पूरी कोशिश की जा रही है। जिम्मेदार अफसरों को बचाकर छोटे अधिकारी-कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाया जा सकता है।

इन बिंदुओं पर चल रही जांच

– आग लगने के कारणों के संबंध।

– अग्नि दुर्घटना के जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारी,एजेंसी के संबंध।

– साजिश और घोटाले को दबाने आग तो नहीं लगाई गई।

– दुर्घटना से कंपनी को वित्तिय व भौतिक रूप से हुई क्षति।

– भंडार गृह संचालन के वैकल्पिक व्यवस्था के संबंध में सुझाव।

– भविष्य में इस प्रकार की और अन्य दुर्घटनाओं के रोकथाम के लिए सुझाव।