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मान्यता रद होने वाले रायपुर के दो स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की डिग्री होगी मान्य, पेरेंट्स की चिंता हुई खत्‍म

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रायपुर- छत्‍तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के दो स्कूलों की मान्यता रद होने के बाद यहां पढ़ने वाले छात्रों के अभिभावक अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। द्रोणाचार्य पब्लिक स्कूल राजेंद्र नगर और वाइकन स्कूल विधानसभा में हजारों छात्र अध्ययनरत हैं। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से दोनों स्कूलों की मान्यता रद होने से छात्रों को भविष्य अनिश्चित हो गया है। हालांकि छात्रों को घबराने की जरुरत नहीं है।

जानकारों की मानें तो 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षा देने वाले छात्रों की डिग्री मान्य रहेगी। वहीं नवमी और ग्यारहवीं कक्षा का नामांकन करवा चुके छात्रों को भी परेशान होने की जरूरत नहीं है। इन छात्रों को सीबीएसई द्वारा आसपास संचालित सीबीएसई स्कूलों में प्रवेश के लिए विकल्प दिया जाएगा।

छात्र-छात्राएं अपनी सुविधा के अनुसार सीबीएसई द्वारा दिए गए विकल्प स्कूल में जाकर प्रवेश ले सकते हैं। नामांकन के बाद सीबीएसई स्कूल बदलने की अनुमति नहीं देता है, लेकिन विशेष परिस्थितियों में सीबीएसई खुद पहल करता है। मान्यता रद होने के कारण स्कूल अस्तित्व में नहीं है। इस परिस्थिति में छात्रों के हितों को देखते हुए सीबीएसई फैसला लेकर उन्हें स्कूल चुनने का विकल्प देता है।

आरटीई के छात्रों के सामने खड़ा होगा संकट

आरटीई के तहत इन स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के सामने संकट खड़ा होगा। आरटीई में स्कूल बदलने का प्रावधान नहीं है। ऐसी परिस्थिति में इन छात्रों का क्या होगा? इसका जवाब अभी किसी के पास नहीं है। शासन स्तर पर मामला पहुंचने के बाद इस पर निर्णय होगा।

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने बताया कि ड्रीम स्कूल बंद होने के बाद ये परिस्थिति उत्पन्न हुई थी। आरटीई के छात्रों को क्यूरो स्कूल में शिफ्ट किया गया था। बचे हुए छात्रों को अन्य स्कूल में प्रवेश का विकल्प दिया गया था। शिफ्टिंग का नियम नहीं है, लेकिन सरकार विशेष परिस्थितियों में निर्णय ले सकती है।

कोर्ट में मान्यता रद को चुनौती देने की तैयारी

स्कूल प्रबंधन कोर्ट में जाकर मान्यता रद वाले आदेश को चुनौती देने की तैयारी में हैं। होली के बाद प्रबंधन कोर्ट जाएगा। स्कूल प्रबंधन के जिम्मेदारों ने बताया छात्रों के भविष्य के साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ नहीं होने देंगे। हम लोग अलग-अलग विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। जिन अभिभावकों को कोई दिक्कत है वो स्कूल आकर बात कर सकते हैं। हम उन्हें अपने प्लान के बारे में जानकारी देंगे।

आगे क्या होगा

सीबीएसई की तरफ से यदि स्कूलों की मान्यता को बहाल नहीं करती तो इन स्कूलों को राज्य के बोर्ड से मान्यता लेने का विकल्प होगा। नर्सरी से आठवीं कक्षा तक स्कूल का पंजीयन जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में रहता है। उन्हें यहां से स्कूल चलाने की मान्यता प्राप्त रहती है। नवमी से बारहवीं कक्षा संचालित करने के लिए छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल से मान्यता लेकर स्कूल संचालित कर सकते हैं।