- भाजपा का प्रत्याशी तय होने से कांग्रेस में फंस गया पेंच
- प्रचार में आगे निकली भाजपा
- विधानसभा सम्मेलनों के माध्यम से कार्यकर्ताओं में भरा जा रहा जोश
इधर भाजपा ने अपनी पहली ही सूची में विधानसभा चुनाव से तीन माह पहले कांग्रेस छोड़कर आए चिंतामणि महाराज को शामिल कर सभी को चौंका दिया था। भाजपा प्रत्याशी के नाम की घोषणा होते ही कांग्रेस में पेंच फंस गया। अचानक से पूर्व मंत्री अमरजीत भगत का नाम सामने आ जाने के कारण कांग्रेस की दूसरी सूची में भी सरगुजा संसदीय सीट के प्रत्याशी का नाम शामिल नहीं हो सका। पूरी संभावना है कि सोमवार को कांग्रेस की सूची में सरगुजा संसदीय सीट के प्रत्याशी की भी घोषणा हो जाएगी। वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य में प्रचार अभियान में भाजपा आगे निकल चुकी है।
लोकसभा के लिए केंद्रीय चुनाव कार्यालय के साथ विधानसभा स्तरीय कार्यालय में देर रात तक भाजपा की चुनावी रणनीति बन रही है। उस अनुरूप अगले दिन के प्रचार अभियान को गति दी जा रही है। भाजपा ने विधानसभा स्तरीय सम्मेलनों के माध्यम से अपने प्रत्याशी को खड़ा कर कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम भी शुरू कर दिया है। राज्य में सरकार होने का फायदा इन सम्मेलनों में भी दिख रहा है लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ता अभी भी असमंजस में हैं। प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं होने से प्रचार अभियान भी पूरी मजबूती से आरंभ नहीं हो सका है।
छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद कांग्रेस को पहली जीत की तलाश उत्तर छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव कांग्रेस के लिए मजबूत चेहरे हैं। पारिवारिक कारणों से वे भी इन दिनों सरगुजा से बाहर हैं। सिंहदेव के नहीं रहने का असर भी कांग्रेस संगठन में देखने को मिल रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद से कांग्रेस को सरगुजा संसदीय सीट से पहली जीत की तलाश है । भाजपा लगातार चार चुनाव जीतकर बढ़त बना चुकी है।हर बार नया प्रत्याशी उतारकर भाजपा ने जीत हासिल की है।
कांग्रेस भी इस बार नए प्रत्याशी पर दांव लगाने की तैयारी में हैं। कांग्रेस का प्रत्याशी तय नहीं होने के कारण अभी की स्थिति में चुनाव प्रचार भाजपा के लिए खुले मैदान के समान है। कांग्रेस प्रत्याशी के मैदान में आने के बाद ही यहां चुनावी सरगर्मी तेज होगी। डैमेज कंट्रोल का भी प्रयास विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस ने तत्कालीन विधायक चिंतामणि महाराज, बृहस्पत सिंह और विनय जायसवाल की टिकट काट दी थी। इन तीनों विधायकों ने टिकट नहीं मिलने पर तत्कालीन उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव पर गंभीर आरोप लगाए थे। तत्कालीन प्रदेश प्रभारी सैलजा भी निशाने पर थी। कांग्रेस ने इन सभी को पार्टी से निलंबित कर दिया था।
इनमें से चिंतामणि महाराज ने कांग्रेस छोड़ दी। भाजपा में प्रवेश करने के बाद उन्हें पार्टी ने प्रत्याशी भी बना दिया। विनय जायसवाल की फिर से कांग्रेस में वापसी हो गई। चुनाव के बीच मे कांग्रेस संगठन के लिए यह डैमेज कंट्रोल है। विनय जायसवाल के बहाने कांग्रेस ने उनसे जुड़े लोगों को भी पार्टी के लिए मजबूती से काम करने का अवसर दिया है। विनय जायसवाल का क्षेत्र कोरबा संसदीय सीट में आता हैं जहां से ज्योत्स्ना महंत कांग्रेस की टिकट पर चुनाव मैदान में हैं लेकिन रामानुजंगज से विधायक रहे बृहस्पत सिंह को लेकर अभी भी असंमजस बरकरार है। निलंबित कांग्रेसजनों की वापसी करा कर कांग्रेस सभी को साथ मिलकर मेहनत करने का संदेश देने प्रयास कर रही है।