नई दिल्ली – अपनी निर्भीकता, लड़ाका वृत्ति और संघर्षशीलता से संसद को ठप्प कराने से लेकर, हिंदी समेत भारतीय भाषाओं की लड़ाई लड़ते हुए, भाषाई समाचार पत्रों के साथ शूद्रों जैसा विज्ञापनी व्यवहार की खिलाफत करने वाले और अंतरराष्ट्रीय जगत तक बेमिसाल पत्रकारिता की छाप छोड़ने वाले प्रातः स्मरणीय डॉक्टर वेद प्रताप वैदिक की पहली पुण्य तिथि पर गत दिवस इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के समवेत सभागार में एक यादगार समारोह का आयोजन उनके अधूरे अभियानों को पूर्णता तक पहुंचाने के समवेत संकल्प के साथ और उनके नाम पर विशिष्ट विभूतियों को सम्मानित करने के साथ संपन्न हुआ ।
मुख्य अतिथि केरल के राज्यपाल महामहिम आरिफ मुहम्मद खान, समारोह अध्यक्ष मुर्धन्य पत्रकार राम बहादुर रॉय, मुख्य वक्ता पूर्व सांसद के सी त्यागी, जन दक्षेस मुख्यन्यासी डॉ मणीन्द्र जैन न्यासी नेशनल एक्सप्रेस के संपादक विपिन कुमार गुप्ता, पूर्व सांसद रवींद्र कुमार सिन्हा, हरियाणा के स्वामी संपूर्णानंद समेत तमाम ख्याति लब्ध वक्ताओं ने वैदिक जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनकी स्मरणांजलि को उत्सव धर्मिता में परिवर्तित कर गीता के वचनों को साकार स्वरूप प्रदान कर इतिहास रच दिया।
चूंकि कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया के सांसद आवास पर रहकर उनकी शिक्षा और राजनीतिक दीक्षा हुई, इसलिए बात बात में कमांडर का स्मरण भी किया गया । जिनके कारण मेरा भी नाता वैदिक जी से1978 से जुड़ा और अंग्रेजी हटाओ आंदोलन का इटावा जिला संयोजक और अध्यक्ष मुझे बनाया गया और अनेक कार्यक्रमों सम्मेलनों अभियानों आंदोलनों में वैदिक जी ने मुझे भी तराशा, इसलिए उनके नाम पर आयोजन में मुझे भी पुनः सम्मान समारोह में सम्मिलित होने अवसर प्राप्त हुआ ।
इस अवसर पर डा वैदिक सामाजिक सौहार्द्र सम्मान प्रसिद्ध धर्मगुरु आचार्य डॉक्टर लोकेश मुनि को, डा वैदिक वैश्विक संबंध सम्मान पूर्व राजदूत श्री अशोक सज्जनहार को, डा वैदिक हिंदी भाषा सम्मान कवि लेखक श्री गिरीश पंकज को, डा वैदिक हिंदी पत्रकारिता सम्मान वरिष्ठ पत्रकार लेखिका श्रीमती श्रुति व्यास जी को राज्यपाल अध्यक्ष आदि द्वारा प्रदान कर एक नवीन परंपरा का शुभारंभ किया गया ।
कार्यक्रम के मुख्य संयोजक जन दक्षेस के मुख्य न्यासी और एशियन अरब चैंबर ऑफ़ कॉमर्स के चेयरमैन डॉक्टर मानींद्र जैन (अनुज संगीतकार रवींद्र जैन) ने सपत्नीक, न्यासी विपिन गुप्ता धरनेंद्र जैन ने आत्मीय वक्तृता प्रस्तुत कर अतिथियों और सहभागियों के प्रति कृतज्ञता भाव और सम्मान एवं आहार से सबको तृप्ति प्रदान करने में कसर नहीं छोड़ी ।
वैदिक जी के आंदोलनों के हमराह डॉक्टर विद्याकान तिवारी पहुंच पाने में सफल नही हो पा रहे थे, उनका संदेश आयोजक तक पहुंच गया और वे पल पल पर जिज्ञासु बने रहे ।