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मनरेगा से बदली छत्‍तीसगढ़ के मजदूरों की जिंदगी, लक्ष्‍य से अधिक मिला काम

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केंद्र सरकार ने ग्रामीण इलाकों में लोगों को रोजगार की गारंटी देने के लिए वर्ष- 2006 में मनरेगा की शुरुआत की थी। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के अकुशल मजदूरों को एक वित्त वर्ष में कम से कम 100 दिनों के काम की गारंटी देना है, ताकि इससे होने वाली कमाई से गरीब ग्रामीण परिवारों के जीवन-यापन के स्तर को सुधारा जा सके।

छत्तीसगढ़ में पंजीकृत श्रमिकों को 150 दिनों का काम दिया जाता है। प्रदेश में मनरेगा के तहत पंजीकृत 84,91,206 श्रमिक हैं, जिसमें से जिसमें से 63,54,612 सक्रिय हैं। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 10 करोड़ मानव दिवस उपलब्ध कराने का लक्ष्य था। इसे पूरा करते हुए 11 करोड़ 73 लाख से अधिक मानव दिवस उपलब्ध कराया गया है।

ग्रामीण श्रमिकों को अपने पसीने की कमाई मिलने में किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसके लिए एक जनवरी से आधार बेस्ड पेमेंट सिस्टम (एबीपीएस) से भुगतान किया जा रहा है। आनलाइन होने से अब मजदूरी सीधे उनके खाते में आ रही है।

महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी कार्य करते हुए महिलाओं को मनरेगा के तहत समान रोजगार के अवसर एवं लाभ प्रदान किए जा रहे हैं। गर्भवती महिलाओं को मातृत्व भत्ता का लाभ भी दिया जा रहा है। 50 दिवस का रोजगार प्राप्त करने वाली गर्भवती महिलाओं को भत्ते के रूप में एक माह की मजदूरी के बराबर राशि दी जाती है।

श्रमिकों की डिजिटल हाजिरी

प्रदेश में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के दिशा-निर्देशों पर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून के तहत एक जनवरी 2023 से काम करने वाले मजदूरों की डिजिटल हाजिरी लगाई जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि केंद्र की ओर से जारी आदेश के अनुसार, मनरेगा के तहत काम करने वालों के लिए कार्यस्थल पर मोबाइल एप नेशनल मोबाइल मानिटरिंग सिस्टम पर रजिस्टर कराना अनिवार्य है। इस योजना में व्यक्तिगत लाभार्थी को छूट प्रदान की गई है।

10 हजार से ज्यादा श्रमिकों प्रशिक्षण

मनरेगा के तहत 100 दिवस कार्य पूर्ण करने वाले श्रमिकों को उन्नति योजना कौशल विकास अंतर्गत प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है, ताकि वे रोजगार शुरू कर सकें। इसके अंतर्गत मशरूम उत्पादन, सिलाई-कढ़ाई, अगरबत्ती और कैंडल बनाने समेत 56 तरह के कार्यों का प्रशिक्षण दिया जाता है। यह योजना वर्ष-2018 से संचालित हैं। अब तक 10,071 लोगों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 2,000 का प्रशिक्षण देने का लक्ष्य था। अब तक 5,614 लोगों को प्रशिक्षण दिया गया है।

फैक्ट फाइल

वित्तीय वर्ष में लक्ष्य के मुताबिक उपलब्ध कराए गए कार्यदिवस (लाख में)

वित्तीय वर्ष- लक्ष्य-उपलब्ध

2023-24 – 1,000- 1,113.87

2022-23 – 1,200-1,269.14

2021-22 – 1,560.13-1,460.26

2020-21 – 1,841.02- 1,705.62

2019-20 – 1,361.78- 1,361.75

मनरेगा अंतर्गत मातृत्व भत्ता का भुगतान (30.06.2023 तक की स्थिति में)

वित्तीय वर्ष महिलाओं की संख्या भुगतान राशि (लाख में)

2013-14- 14,460- 634.06

2014-15- 22,060- 1,005.99

2015-16- 2,150- 96.15

2016-17- 1,451- 65.49

2017-18- 844- 40.23

2018-19- 922- 48.04

2019-20- 632- 33.18

2020-21- 950- 51.39

2021-22- 1,153- 66.20

2022-23- 727- 42.70

2023-24- 169- 10.29

मनरेगा में महिलाओं की स्थिति

जिला- पंजीकृत-सक्रिय

बालोद- 1,88,309-1,52,921

बलौदाबाजार-2,40,414 -1,87,298

बलरामपुर- 1,08,163-88,110

बस्तर- 1,14,906- 58,409

बेमेतरा- 3,86,260 -1,14,656

बीजापुर- 44,200 – 40,930

बिलासपुर- 1,81,011- 1,25,261

दंतेवाड़ा- 42,331 – 32,080

धमतरी- 1,96,216 – 1,62,034

दुर्ग- 1,38,368-1,03,628

गरियाबंद- 1,64,933- 1,45,492

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही- 63,657- 55,849

जांजगीर-चांपा- 1,43,411- 1,01,140

जशपुर- 1,67,209 – 1,07,835

कांकेर-1,55,460- 1,19,130

कबीरधाम-1,99,794- 1,84,195

खैरागढ़-छुईखदान-गंडई- 83,550- 77,410

कोंडागांव- 1,24,768- 89,876

कोरबा- 1,30,759 – 94,978

कोरिया- 34,043 – 29,908

महासमुंद- 1,97,637-1,43,738

मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर- 71,035 – 63,159

मोहला मानपुर-अंबागढ़ चौकी- 72,358- 66,393

मुंगेली-1,37,150- 1,01,828

नारायणपुर- 28,682- 21,432

रायगढ़- 1,18,651 – 84,765

रायपुर- 1,69,829 – 1,29,988

राजनांदगांव- 1,54,307-1,38,929

सक्ती- 1,38,852- 94,483

सारंगढ़-बिलाईगढ़- 1,21,817- 98,029

सुकमा- 37,958- 33,687

सूरजपुर- 1,05,864- 93,623

सरगुजा- 1,04,795 – 79,544

फैक्ट फाइल

84,91,206-श्रमिक पंजीकृत

63,54,612-श्रमिक सक्रिय

74.84-प्रतिशत श्रमिक कर रहे काम

24,12,282 परिवार को वित्तीय वर्ष 2023-24 में मिला काम

42,69,939 लोगों ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में किए काम

2,74,515 परिवार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में पूरे किए 100 दिन