डोंगरगढ़। चंद्रगिरी तीर्थ में आचार्य विद्यासागर महाराज 18 फरवरी को ब्रम्हलीन हो गए थे। 25 फरवरी को पूरे देशभर में आचार्य विद्यासागर को विनयांजलि दी गई। आचार्य विद्यासागर ने मुनि समय सागर महाराज को उत्तराधिकारी घोषित किया है। मध्य प्रदेश के कुंडलपुर तीर्थ में आचार्य पदारोहण संस्कार किए जाएंगे। जैन संतों ने कुंडलपुर की ओर विहार करना शुरू कर दिए हैं।
आचार्य विद्यासागर महाराज के ब्रह्मलीन होने के बाद बुधवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संवेदना पत्र चंद्रगिरी तीर्थ पहुंचा। संवेदना पत्र के माध्यम से पीएम मोदी ने कहा कि आचार्य विद्यासागर महाराज का ब्रह्मलीन होना देश के लिए एक अपूर्णीय क्षति है। इस असीम दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके सभी अनुयायियों और शुभचिंतकों के साथ है। भारत की पावन भूमि में ऐसे महान विभूतियों ने जन्म लिया जिनका जीवन ज्ञान एवं अध्यात्म के प्रचार प्रसार और समाज सुधार के लिए समर्पित रहा है। मेरा सौभाग्य है कि मुझे राष्ट्र की सेवा में निरंतर उनका आशीर्वाद मिलता रहा। इस महान संत परंपरा को आगे ले जाने में आचार्य विद्यासागर महाराज का प्रमुख स्थान रहा है। उनके जीवन का हर अध्याय अद्भुत ज्ञान, असीम करुणा और मानवता के उत्थान के लिए अटूट प्रतिबद्धता से सुशोभित है।
अंतिम मुलाकात सदा याद रहेंगी
बता दें कि नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव प्रचार-प्रसार के दौरान पीएम मोदी ने विद्यासागर महाराज का आशीर्वाद लेने डोंगरगढ़ चंद्रगिरी पहुंचे थे। मोदी ने संवेदना पत्र भेजकर कहा कि सेवा समर्पण और तपस्या से परिपूर्ण आचार्य का जीवन भगवान महावीर के आदर्शों और जैन धर्म की मूल भावना का प्रतीक रहा है वे जीवन पर्यंत गरीबी उन्मूलन के साथ-साथ समाज में स्वास्थ्य और शिक्षा को बढ़ावा देने में जुटे रहे। जैन समुदाय के साथ ही अन्य विभिन्न समुदायों के भी बड़े प्रेरणा स्त्रोत रहे। विभिन्न पंथों परंपराओं और क्षेत्र के लोगों को उनके सानिध्य मिला। विशेष रूप से युवाओं में आध्यात्मिक जागृति के लिए उन्होंने अथक प्रयास किए।
उन्होंने लिखा कि यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे राष्ट्र की सेवा में निरंतर उनका आशीर्वाद मिलता रहा। पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ के चंद्रगिरी जैन मंदिर में उनसे हुई भेंट में उन्होंने देश की प्रगति और विश्व पटल पर भारत को मिल रहे हैं। उनसे मेरी यह अंतिम मुलाकात मुझे सदैव याद रहेगी। आचार्य का जाना मेरे लिए एक मार्गदर्शक को खोने जैसा है। मुझे विश्वास है कि आचार्य विद्यासागरजी महाराज देशवासियों के हृदय और मन मस्तिष्क में सदैव जीवित रहेंगे और उनके संदेश लोगों के जीवन को आलोकित करते रहेंगे। आचार्य के मूल्यों को आत्मसात करते हुए उनके बताए रास्ते पर चलकर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देते देशवासियों की उन्हें यह एक विनम्र श्रद्धांजलि होगी।