अयोध्या में निर्माणाधीन मंदिर में एक महीने पहले 22 जनवरी को रामलला विराजमान हो चुके हैं. भगवान के इस विग्रह के दर्शन के लिए देश विदेश से खूब श्रद्धालु भी आ रहे हैं. इससे अयोध्यावासियों में खूब खुशी है, लेकिन इस खुशी की एक और बड़ी वजह है. यहां के लोगों को हॉस्पटलिटी के क्षेत्र में ना केवल खूब रोजगार मिला है, बल्कि जिनके अपने दुकान मकान हैं, उनकी कमाई में 50 से 100 गुना तक बढोत्तरी भी हुई है. जिन लोगों को 300 रुपये महीने के किराए में भी मुश्किल से किराएदार नहीं मिल रहे थे, वहीं लोग अब 2000 से 3000 रुपये प्रतिदिन के किराए पर एक-एक कमरा उठा रहे हैं.
इस खबर में हम ऐसे ही कुछ लोगों से बात करने की कोशिश करेंगे. अयोध्या में एक दिहाड़ी मजदूर है दीपक पांडेय, वह कहते हैं कि हालतक वह एक से दूसरे शहर में रोजगार के लिए चक्कर काट रहे थे. अब वह अयोध्या में ही जमीन खरीदना चाहते हैं, ताकि अपना घर बना सकें. दीपक के मुताबिक 22 जनवरी से पहले तक यहां एक कमरे के किराए के रूप में महीने के 300 रुपये भी मुश्किल से मिलते थे. अब रामलला के विराजमान होने के बाद परिस्थिति बदली है और 3000 रुपये रोज पर भी किराएदारों की कमी नहीं है.
100 गुना तक हुई कमाई
दीपक के मुताबिक उनके जैसे ही रामपथ पर कई अन्य भवन मालिक भी हैं, जिन्होंने अपने घर किराए पर उठाया है और 100 गुना तक कमाई कर रहे हैं. एक अन्य भवन मालिक राम दुलार के मुताबिक 22 जनवरी तक यहां ठहरने वाले लोगों की संख्या बहुत कम होती थी. जो लोग रुकते भी थे, वो होटलों में चले जाते थे. चूंकि 22 जनवरी के बाद अमीर हो या गरीबी और देशी हो या विदेशी श्रद्धालु व पर्यटकों की बाढ़ सी आ गई है. इनमें ज्यादातर लोग होटलों में रुकने के बजाय अयोध्यावासियों के घरों में रुकना चाहते है.
गाइड के रूप में मिला रोजगार
ऐसे में प्रतिदिन के हिसाब से किराए के कमरों की डिमांड बढ़ गई है. इसे देखते हुए यहां ज्यादातर मकानों में लोगों ने घरों के छोटे छोटे कमरों को बड़ा कर गेस्ट हाउस बना दिया है. यही नहीं, यहां के लोगों को गाइड के रूप में भी काफी रोजगार मिला है. वह कहते हैं कि अब हर गली के मोड़ पर दो चार लोग ऐसे मिल जाएंगे जो पर्यटकों को बताएंगे कि कहां कमरा खाली है, या फिर कहां घूमने लायक स्थान है. ये लोग पर्यटक या श्रद्धालु के कहने पर उन स्थानों का भ्रमण भी कराएंगे.
कई गुना हुआ कारोबार
चूंकि बाहर से आए लोगों को यहां के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती, ऐसे में उनके लिए भी गाइड काफी सहायक होते हैं और इससे उन्हें अच्छी आमदनी हो जा रही है. यहां फ्रूट चाट की दुकान करने वाले राम बहादुर कहते हैं कि हालतक उनकी दुकान से मुश्किल से 500 रुपये रोज का कारोबार होता था, लेकिन अब तो उन्हें खुद नहीं पता होता कि किस दिन कितने हजार की बिक्री हो जाएगी. राम बहादुर के मुताबिक पहले वह अकेले दुकान पर बैठते थे, लेकिन अब परिवार के चार लोग मिलकर दुकान संभाल रहे हैं.