अंबिकापुर – छत्तीसगढ़ का राजमाता देवेंद्र कुमारी सिंहदेव मेडिकल कालेज अंबिकापुर और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उदयपुर शीघ्र ही ड्रोन तकनीक से स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराएगा।भारत सरकार की महत्वकांक्षी योजना ड्रोन टेक्निक इन हेल्थ केयर के तहत इन दोनों स्वास्थ्य संस्थाओं का चयन कर स्व सहायता समूह से जुड़ी दो बहनों को रिमोट पायलट कोर्स का प्रशिक्षण भी दे दिया गया है। भारत सरकार के डायरेक्टर जनरल आफ सिविल एविएशन से अप्रूव्ड इस प्रशिक्षण के बाद सोमवार को ट्रायल भी किया गया।
ड्रोन फेडरेशन आफ इंडिया से पंजीकृत कंपनी रेड विंग बंगलुरू के कर्मचारियों ने ड्रोन से मेडिकल कालेज अंबिकापुर और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को 20-20 मिनट में जोड़ दिया। मेडिकल कालेज अंबिकापुर के डीन डा रमनेश मूर्ति, अस्पताल अधीक्षक डा आरसी आर्या की उपस्थिति में गंगापुर स्थित मेडिकल कालेज से दोपहर 12:30 बजे ड्रोन के माध्यम से तीन सैंपल भेजे गए। दोपहर 12:50 बजे ड्रोन उदयपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में सफलतापूर्वक लैंड कर गया। वहां चिकित्सक -कर्मचारियों ने सैंपल उतार लिए। उदयपुर अस्पताल से मरीजों का ब्लड सैंपल कल्चर जांच के लिए भेजा गया।
उदयपुर से उड़ान भरने के 20 मिनट के भीतर ड्रोन मेडिकल कालेज अस्पताल परिसर में लैंड कर गया। यहां आगवानी के लिए डीन डा रमनेश मूर्ति के साथ विशेषज्ञ चिकित्सक और मेडिकल के छात्र उपस्थित रहे। ड्रोन टेक्निक इन हेल्थ केयर का ट्रायल सफलतापूर्वक संपन्न होने पर डीन ने सभी को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए दूरगामी सोच का परिणाम है। इससे स्वास्थ्य सेवाओं में और वृद्धि होगी। हम सभी के लिए यह गर्व का विषय है कि भारत सरकार के परिवार व स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस नवीन तकनीक के लिए मेडिकल कालेज अंबिकापुर का चयन किया है।
चार कंपनियों के ट्रायल के बाद एक कंपनी का होगा चयन
ड्रोन टेक्निक इन हेल्थ केयर की अनुमति मिलने के बाद यह सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रबंधन ने निविदा आमंत्रित की थी। इनमें से चार कंपनियों को ट्रायल के लिए अनुमति दी गई है। बंगलुरू की रेड विंग कंपनी ने सफल तरीके से परीक्षण पूरा कर लिया है। अभी तीन और कंपनियां अपना ट्रायल देगी। सभी कंपनियों के ट्रायल के बाद उनकी कार्यक्षमता,कार्यदक्षता,कार्य अनुभव और उपलब्ध सुविधाओं, संसाधनों के आधार पर एक कंपनी को अनुमति दी जाएगी। वही कंपनी ड्रोन और कर्मचारी उपलब्ध कराएगी।स्थानीय स्तर पर दो महिला इसे ऑपरेट करेंगे।
रिमोट पायलट आरती अंबिकापुर और संध्या उदयपुर में देंगी सेवाएं
भारत सरकार के परिवार और स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय द्वारा ड्रोन सुविधा के रिमोट पायलट के लिए स्व सहायता समूह की बहनों को ड्रोन दीदी के रूप में नियुक्ति का आदेश दिया था। इसी के तहत महिला बाल विकास विभाग से समन्वय कर मेडिकल कालेज प्रबंधन ने दो बहनों आरती और संध्या का चयन किया था । इन दोनों को नई दिल्ली में डीजीसीए अप्रूव्ड रिमोट पायलट पाठ्यक्रम का प्रशिक्षण दिया गया है। इन दोनों ने सफलतापूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त कर प्रमाण पत्र प्राप्त किया है। अंबिकापुर मेडिकल कालेज से ड्रोन को उड़ाने का काम आरती और उदयपुर में संध्या करेंगी। इन्हीं के निर्देशन में दवा,सैंपल,वैक्सीन ,जांच रिपोर्ट ड्रोन के माध्यम से दोनों अस्पतालों में भेजने का काम किया जाएगा।
थर्मोकाल का एयरक्राफ्ट, वजन भी कम
बंगलुरू की रेड विंग कंपनी द्वारा ट्रायल के लिए छोटे और कम वजन का एयरक्राफ्ट प्रयोग किया गया। यह एयरक्राफ्ट थर्मोकाल से निर्मित है। हालांकि इसमें लगे सारे उपकरण अत्याधुनिक है। इसका वजन 12 से 15 किलो है। इंजीनियरों ने बताया कि एयरक्राफ्ट जितना हल्का होगा वह उतना ही बेहतर रहेगा। हवा की गति और विपरीत मौसम में यह खुद को नियंत्रित कर लेता है। यह पूरी तरीके से ऑटोमेटिक है।बैटरी चलित इकाई का कंट्रोल रिमोट से होता है। इसके लिए अस्थाई कंट्रोल रूम और हेलीपैड भी बनाया गया था।कंट्रोल रूम में एयरक्राफ्ट का लोकेशन भी देखा जा सकता है। कितने समय में यह गंतव्य तक पहुंचता है इसका सटीक अनुमान भी लग जाता है।
660 मेडिकल कालेज में से 25 का चयन,अरुणाचल प्रदेश में काम शुरू
भारत सरकार के परिवार और स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय द्वारा देश के 660 मेडिकल कालेज में से पहले चरण में 25 मेडिकल कालेज का चयन ड्रोन तकनीक इन हेल्थ केयर के लिए किया गया है। अंबिकापुर के लिए गर्व का विषय है कि छत्तीसगढ़ से राजमाता देवेंद्र कुमारी सिंह देव मेडिकल कालेज को भी इस महत्वाकांक्षी परियोजना में शामिल किया गया है।शेष राज्य सरकार के किसी भी मेडिकल कालेज को इसके लिए चयनित नहीं किया गया है।इसके अलावा रायपुर एम्स में भी यह सुविधा उपलब्ध होगी। परियोजना आरंभ होने के बाद अरुणाचल प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने ड्रोन तकनीक का प्रयोग आरंभ हो चुका है।कई निजी स्वास्थ्य संस्थाओं द्वारा उत्तर पूर्व के राज्यों के अलावा ओडिसा में भी इसका उपयोग सफलतापूर्वक किया जा रहा है।अंबिकापुर में ट्रायल देने पहुंची रेड विंग कंपनी भी स्वास्थ्य के क्षेत्र में ड्रोन तकनीक की सुविधा ओडिसा राज्य में उपलब्ध करा रही है।दुर्गम क्षेत्र के लिए यह बेहद लाभकारी है।
तीन माह बाद भारत सरकार करेगी समीक्षा
अधिकारियों ने बताया कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में ड्रोन तकनीक का उपयोग पायलट प्रोजेक्ट के तहत देश के अलग-अलग राज्यों के 25 मेडिकल कॉलेज और उससे संबंध एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में किया जा रहा है। तीन माह बाद नई दिल्ली में इस सुविधा को लेकर विचार मंथन होगा। जिन-जिन मेडिकल कॉलेज में या सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है वहां से फीडबैक लिए जाएंगे। सभी अनुभवों के आधार पर व्यवस्था में और सुधार के साथ अगले चरण में देश के अन्य मेडिकल कॉलेज में भी यह सुविधा उपलब्ध करा दी जाएगी।
पांच किलो तक वजन और 100 किलोमीटर की दूरी
अंबिकापुर में हुए ट्रायल के दौरान लगभग एक किलो वजन के सैंपल को बेहतर तरीके से पैक कर उदयपुर अस्पताल भेजा गया। अंबिकापुर से उदयपुर अस्पताल की हवाई दूरी लगभग 40 किलोमीटर की है। इसे 20 मिनट में पूरा किया गया। अधिकारियों ने बताया कि ड्रोन के माध्यम से पांच किलो वजन तक के समान 100 किलोमीटर से 120 किलोमीटर की हवाई दूरी वाले गंतव्य तक आसानी से भेजा जा सकता है। दवा, सैंपल, टीका आदि ड्रोन के माध्यम से भेजने में समय की बचत होगी।