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विधानसभा में वित्तमंत्री चौधरी ने कहा, साय सरकार में नहीं होने देंगे भ्रष्टाचार, चिंगरी से लेकर बड़ी मछली और मगरमच्छ भी टेक्नोलाजी से पकड़ेंगे

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HIGHLIGHTS

  • विधानसभा में बजट पर सामान्य चर्चा के दौरान विपक्ष पर साधा निशाना
  • – पक्ष ने बजट को सभी वर्गों के लिए हितकारी तो विपक्ष ने निराशाजनक          बताया

रायपुर – विधानसभा में प्रश्नकाल, शून्य काल और ध्यानाकर्षक के बाद बजट पर सामान्य चर्चा हुई। इसमें पक्ष ने बजट को सभी वर्गों के लिए हितकारी तो विपक्ष ने निराशाजनक बताया। सामान्य चर्चा के अंत में वित्तमंत्री ओपी चौधरी ने पक्ष-विपक्ष को धन्यवाद देते हुए कहा कि बजट में प्रदेश की जीडीपी को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।

उन्होंने भ्रष्टाचार को लेकर कहा कि चिंगरी से लेकर बड़ी मछली, मगरमच्छ को भी टेक्नोलाजी से पकड़ेंगे। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार में कहीं भी भ्रष्टाचार नहीं होने देंगे। बजट से एक सपना देखने और लक्ष्य रखने की कोशिश की गई है। कांग्रेस की सोच रही है कि जितनी चादर है उतनी ही पैर पसारो। लेकिन, जब तक पैर को चादर से बाहर नहीं निकालेंगे, चादर बड़ी करने की सोच भी नहीं सकते।

वित्तमंत्री ने कहा, पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव देश में इकनामिक रिफार्म लाए थे। इसका क्रेडिट मनमोहन सिंह को दिया जाता था। उस रिफार्म के तीन बिंदु उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण थे। पीवी नरसिम्हा राव ने इन बिंदुओं का सूत्रपात किया था। ये राजनीतिक मजबूती नरसिम्हा राव में थी, जिस नरसिम्हा राव ने देश को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया, उनके पार्थिव शरीर को कांग्रेस भवन में लाने नहीं दिया गया। ये कांग्रेस की संकीर्ण मानसिकता को दिखाती है। जबकि, प्रधानमंत्री ने उन्हें भारत रत्न देने का काम किया है।
कल्चरल प्रोटेक्शन के नाम पर बस्तर का रोका गया विकास

वित्त मंत्री चौधरी ने कहा कि बस्तर और सरगुजा के विकास को लेकर सरकार समर्पित हैं। आज़ादी के बाद से दशकों तक बस्तर को उपेक्षित रखा गया। बस्तर को बाक़ी सभ्यता से कैसे जोड़ा जाए, इसको लेकर कोई प्रयास नही हुआ। कल्चरल प्रोटेक्शन के नाम पर बस्तर का विकास रोककर रखा गया। बंगाल में जमीन का असामान्य कारण नक्सलवाद का मुद्दा बना, बिहार में जाति इसकी वजह रही लेकिन बस्तर में यह दोनों नहीं था। बस्तर में नक्‍सलवाद की रूट को समझना होगा, तब जाकर इस समस्या को खत्म किया जा सकेगा। सरगुजा में सिंचाई परियोजनाओं के लिए 6400 करोड़ तथा बस्तर के लिए 2208 करोड़ का प्रविधान किया गया है। सड़कों के लिए भी राशि का प्रविधान है।