इंदौर – आचार्य श्री विरागसागर जी के शिष्य आचार्य श्री विहर्ष सागर जी एवं आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी के शिष्य मुनि श्री प्रणीत सागर जी मुनि निर्मोह सागर जी महाराज गुरु परंपरा में चाचा भतीजे का मंगल मिलन वैशाली नगर गोपुर चौराहे पर आज दिनांक 1 फरवरी 2024 को हुआ गोपुर चौराहे पर मुनि श्री प्रणीत सागर जी गुरु आचार्य श्री विहर्श सागर जी की अगवानी करने के लिए वैशाली नगर समाज के साथ सुदामा नगर पहुंचे जहां पर भक्ति पूर्वक चरण वंदना की वात्सल्य भाव से गुरु ने शिष्य को गले लगाया यह भाव विभोर करने वाले दृश्य देखकर सभी के नेत्र सजल हो गए।सुदामा नगर से जुलूस प्रारंभ होकर गोपूर चौराहे मंच पर आचार्य श्री विहर्ष सागर जी को विराजित कर मुनि श्री प्रणीत सागर जी ने उनके चरण प्रक्षालन रत्न वृष्टि कर जिनवाणी भेंट की । गाेपुर चौराहे से समाज का विशाल जुलूस बाजे गाजे के साथ भक्ति मय वातावरण में वैशाली नगर जैन मंदिर पहुंचा जहां पर आचार्य श्री विहर्ष सागर जी महाराज का समाज द्वारा चरण पक्षालन किया गया । अजय सचिन राजेश पंचोलिया अनुसार आचार्य श्री भगवान महावीर स्वामी के दर्शन कर मंच पर विराजित हुए ।धर्म सभा में मुनि श्री प्रणित सागर जी ने बताया कि एक माता-पिता की संतान साथ में नहीं रह सकती है किंतु अलग-अलग माता पिता के साधु एक दूसरे से वात्सल्य भाव से मिलते हैं साथ रहते हैं,और समाज को इनके वात्सल्य से प्रेरणा लेना चाहिए।
इंदौर नगर गौरव मुनि श्री प्रणित सागर जी ने कहा कि जैन धर्म से, मंदिरों से युवाओं को जोड़ना जरूरी है। देव शास्त्र गुरु अर्चना का मार्ग है, देव शास्त्र गुरु की भक्ति पूजा अर्चना से पुण्य की प्राप्ति होती है और कर्मों की निर्जरा होती है। यह आपका भाग्य है कि आचार्य श्री विहर्ष सागर जी महाराज श्रावकों को अर्चना का भक्ति का अवसर दे रहे हैं ।साधु परमेष्ठी के जीवन से आपको प्रेरणा लेना चाहिए साधु समाज के लिए ऊर्जा के केंद्र हैं मुनि श्री विजय सागर जी महाराज ने बताया कि 9 10 और 11 फरवरी को इंदौर दयाल बाग में तीन दिवसीय मांगलिक कार्यक्रम का आयोजन समाज की एकता ,धर्म क्षेत्र की रक्षा, बच्चों के संस्कार और भगवान महावीर स्वामी के 2550 वे निर्वाण महोत्सव और आचार्य विद्यासागर जी के स्वास्थ्य लाभ के लिए आयोजित आयोजित किया गया है ।अपने सभी समाज जनों को कार्यक्रम में सम्मिलित होने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम के अंत में आचार्य श्री विहर्ष सागर जी ने बताया कि संत एक बार आहार लेते हैं ,अपने संयम और त्याग से सबको प्रेरणा देते हैं संत के आगमन, संत समागम से समाज को संस्कार मिलते हैं इसके लिए बच्चों को भी धर्म के प्रति संतों के नजदीक लाना जरूरी है इससे वह संस्कारित होंगे ।आचार्य श्री ने वर्तमान परिपेक्ष्य में तीर्थ क्षेत्र गिरनार जी ,सम्मेद शिखर जी, गोमटगिरी सहित अनेक जिन मंदिरों के विवाद पर चिंता व्यक्त कर समाज में एकता संगठन शक्ति मजबूत करने की प्रेरणा दी। धर्म संस्कृति की रक्षा के लिए समाज का संगठित होना बहुत जरूरी है ।आचार्य श्री ने बताया कि प्रतिभाशाली बच्चों को उच्च शिक्षा भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए मैंने संकल्प लिया है ।सभी को समाज की एकता के लिए और बच्चों के संस्कार के लिए प्रयास करना चाहिए।
आचार्य श्री विहर्ष सागर जी का विहार राजेंद्र नगर के लिए हुआ।
कार्यक्रम का संचालन नितिन देवेंद्र छाबड़ा ने किया।