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हर बड़ा आदमी विनम्र होता है, सबसे पहले विनय को धारण करना सीखो – मुनि विनम्र सागर

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  • सामूहिक धर्म ध्यान का विशेष महत्व है
  • विद्यासागर पाठशाला के बच्चों ने किया आचार्य श्री का पूजन
तालबेहट (ललितपुर) – कस्बे के पारसनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में मुनि विनम्र सागर महाराज ने धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि हर बड़ा आदमी विनम्र होता है, सबसे पहले विनय को धारण करना सीखो। जिसने जिन शासन को स्वीकार किया, उसके मन्त्रों की अचिंत्य महिमा से वह तर गया। सीता, लव-कुश और अग्नि परीक्षा का संस्मरण सुनाया एवं कहा कि यदि किसी को अपने पुरुषार्थ पर संदेह नहीं है तो उसे रोने की आवश्यकता नहीं। मुनि श्री ने कहा कि सभी की चार गतियाँ अनर्थ, व्यर्थ, सार्थ और परमार्थ हैं जिसको समझना होगा। जिसे किसी ने बताया नहीं और कोई अब तक समझ नहीं पाया, ग्रन्थ हर किसी से बात नहीं करते लेकिन निर्ग्रन्थ की आवाज जन-जन तक पहुँच जाती है। जब जागो तभी सबेरा इसलिए यह अच्छी तरह समझ लो तन, मन, धन, वचन, समय या किसी वस्तु का उपयोग, उपभोग या प्रयोग करते वक्त यह चिंतन करना चाहिए की इससे अनर्थ, व्यर्थ, सार्थ और परमार्थ किस गति का बंध होगा इसी में मानव जीवन की सार्थकता है। सुबह मुनि विनम्र सागर महाराज के साथ मुनि निस्वार्थ सागर, मुनि निर्मद सागर, मुनि निसर्ग सागर, मुनि श्रमण सागर एवं क्षुल्लक हीरक सागर के सानिध्य में सामूहिक अभिषेक शांतिधारा पूजन एवं विधान का आयोजन किया गया। विद्यासागर पाठशाला के बच्चों ने अष्ट द्रव्य को सुसज्जित कर आचार्य श्री की पूजन की। इस मौक़े पर मुनि विनम्र सागर महारज ने कहा जिन सेन स्वामी 8 वर्ष की आयु में दिगम्बर वेश धारण कर घर से निकल गये, लेकिन अब वह माँ कहाँ होती हैं, जो बच्चों में सहनशीलता का भाव जगायें कि वह मुनि अवस्था को धारण कर आत्म कल्याण करे, आज की माता तो अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर, सी ए, ऑफीसर बनाना चाहती हैं। मुनि श्री ने संत की उपमा उस मिट्टी के घड़े या कलश से की जिसने कुल को छोड़ा, गधे पर सवार हुआ, कूट-पीट कर सीधा किया गया, उसके बाद चाक पर घुमाया, सिर को काटा गया, धूप और शीत को सहा, अग्नि में झोंक दिया गया तब रूप विकसित हुआ और फिर धनी और ग्राहक ने खूब ठोका तब कहीं हम सुन्दर रूपवती नारी के सिर की शोभा बना है। मुनि श्री ने कहा कुछ भी हो जब तक उपयोग का है संभाल के रखो उसके बाद त्याग करो दान में दे दो। जीवन में सामूहिक धर्म ध्यान का महत्व विशेष है, मन वचन काया नहीं तो अनुमोदना से निश्चित ही पुण्य का संचय हो जायेगा। दोपहर में दिगम्बर जैन मंदिर समिति एवं पंचकल्याणक समिति ने कार्यक्रम स्थल मर्दन सिंह ग्राउंड पहुंचकर 20 से 26 जनवरी तक आयोजित होने वाले पंचकल्याणक एवं गजरथ महोत्सव की तैयारियों का जायजा लिया एवं बैठक आयोजित कर आगे की रणनीति तैयार की। सायं काल की बेला में गुरु भक्ति एवं मंगल आरती की गयी। जिसमें वीर सेवा दल, अहिंसा सेवा संगठन, जैन युवा सेवा संघ, जैन मिलन, पं. विजय कृष्ण, चौधरी धर्मचंद्र, जयकुमार, ऋषभ जैन, सुरेंद्र पवैया, मोदी कमल कुमार, मिठ्या संत प्रसाद, सनत कुमार, सुकमाल, मुलायम चंद्र, अशोक कुमार, सुमत प्रकाश, गजेंद्र जैन, राजीव कुमार, सुनील जैन, प्रकाश चंद्र, विनोद जैन, नरेश कुमार, डॉ. महेंद्र जैन, निर्मल बुखारिया, अनिल कुमार, यशपाल जैन, आदेश मोदी, विशाल पवा, सौरभ मोदी, आकाश चौधरी, सौरभ पवैया, अमित कुमार, अभिषेक कुमार, आशीष जैन, अंकित, पीयूष, मयूर, आयुष, मुकुल, वैभव, हर्ष जैन सहित सकल दिगम्बर जैन समाज का सक्रिय सहयोग रहा। संचालन चौधरी चक्रेश जैन एवं आभार व्यक्त मोदी अरुण जैन बसार एवं अजय जैन अज्जू ने संयुक्त रूप से किया।