Home धर्म - ज्योतिष प्रवीण ऋषि ने रायपुर वासियों को जीवन जीने का नया तरीका सीखाया…

प्रवीण ऋषि ने रायपुर वासियों को जीवन जीने का नया तरीका सीखाया…

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  • 5 माह के चातुर्मास का समापन, 27 को विहार करेंगे उपाध्याय प्रवर
रायपुर – इस वर्ष का चातुर्मास 2 जुलाई से शुरू हुआ और इसका समापन 27 नवंबर को होगा। लालगंगा पटवा भवन में 5 महीनों तक भक्ति की गंगा बहती रही, और रायपुर वासियों ने इस गंगा में जमकर डुबकी लगाई। उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि की पावन निश्रा में ये 5 महीने कैसे बीते पता ही नहीं चला। इस वर्ष का चातुर्मास रायपुर नगरी और रायपुर श्रमण संघ के लिए ऐतिहासिक रहा। इस चातुर्मास में ऐसे अनूठे आयोजन हुए, जो शायद ही कभी हो पाएंगे। 5 महीनों में एक से बढ़कर एक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ, जिसमे सकल जैन समाज शामिल हुआ। रायपुर के अलावा देशभर-विदेश के श्रावकों ने लालगंगा पटवा भवन में उपाध्याय प्रवर के प्रवचनों का लाभ लिया। उक्ताशय की जानकारी रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने दी।
उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि ने इन 5 महीनों में रायपुर वासियों को जीवन को जीने का एक नया तरीका सीखा दिया । उनके प्रवचन, उनकी आराधना और उनकी वाणी में ऐसा जादू है कि जिसने उनको सुना, वह उनका होकर रह गया। चातुर्मास शुरू होने से इसके समापन तक एक से बढ़कर एक कार्यक्रम आयोजित हुए, और शायद ही कोई कार्यक्रम हो, जो यादगार न हो । चाहे आनंद जन्मोत्सव हो या 1008 अट्ठाई, अंतगढ़ सूत्र हो या उत्तराध्ययन श्रुतदेव आराधना, सभी कार्यक्रम ऐतिहासिक रहे। इस दौरान महावीर गाथा में श्रावकों ने महावीर कैसे महावीर बने और पुच्छिंसुणं (वीर स्तुति) आराधना के जरिए महावीर क्यों महावीर हैं जाना। उपाध्याय प्रवर के मुखारविंद से इन कथाओं को सुनते सुनते श्रावक भी महावीर से जुड़ते चले गए ।
रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया कि चातुर्मास के समापन अवसर पर रविवार को कृतज्ञता दिवस मनाया गया। उपाध्याय प्रवर ने रायपुर वासियों के प्रति कृत्यग्यता ज्ञापित की। इसके बाद 5 माह के कार्यक्रम में सहयोगी समितियों का बहुमान किया गया। उन्होंने बताया कि सोमवार प्रातः 7.15 बजे प्रार्थना होगी, इसके बाद उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि विहार करेंगे।
ललित पटवा ने कहा कि यह उपाध्याय प्रवर का आशीर्वाद था कि जो कार्यक्रम हमने आयोजित किये वे बेहद सफल हुए। कुछ कार्यक्रम तो ऐसे रहे जो पहले कभी नहीं हुए, और अगर हुए भी थे तो इस स्तर पर नहीं हुए था। राष्ट्रसंत आचार्य आनंदऋषि मासा के 124वें जन्मोत्सव पर 16 से 18 अगस्त तक आनंद जन्मोत्सव मनाया गया। इस दौरान पहली बार एक साथ 1008 अट्ठाई हुई। इसमें रायपुर के अलावा विदेश में बसे जैन परिवारों ने भी अट्ठाई की थी। 1008 अट्ठाई का लक्ष्य था, लेकिन 1050 से ज्यादा अट्ठाई हुई थी। ऐसे ही रायपुर में पहली बार 1008 नवकार तीर्थ कलश अनुष्ठान का आयोजन किया गया, जिसमे देश-विदेश से लोग भी शामिल हुए। इसके बाद 21 दिवसीय उत्तराध्ययन श्रुतदेव आराधना, श्रीपाल-मैनासुन्दरी का प्रसंग के साथ अनेक गाथाओं के जरिये उपाध्याय प्रवर ने श्रावकों और महावीर के बीच एक अटूट बंधन बांध दिया । इन सभी कार्यक्रमों के अलावा अर्हम विज्जा के कई ट्रेनिंग सेशन भी चले। रायपुर में कई ट्रेनर्स का सर्टिफिकेशन कोर्स हुआ। इसके अलावा अर्हम गर्भसंस्कार, पेरैंटिंग सहित कई शिविरों का भी आयोजन हुआ। वहीं अर्हम विज्जा के इतिहास में पहली बार रायपुर के लालगंगा पटवा भवन में 9 फैकल्टी के 500 ट्रेनर्स का सर्टिफिकेशन कोर्स 24-25 नवंबर को हुआ। इस दौरान कर्मा, अर्हम पेरैंटिंग, डिस्कवर, अर्हम गर्भसंस्कार, बीइंग अर्हम, मृत्युंजय, ब्लिसफुल कपल, कल्याण मित्र, अर्हम योग के भावी ट्रेनर्स को सर्टिफिकेट प्रदान किया गया।