Home धर्म - ज्योतिष गुरुदेव के चरण वंदन के किया अकेले 650 किलोमीटर का पदविहार

गुरुदेव के चरण वंदन के किया अकेले 650 किलोमीटर का पदविहार

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अदभुत अपूर्व अविस्मरणीय एकल पदयात्रा

भोपाल – भारत की पावन वसुंधरा पर समय समय पर अनेकानेक संतो ऋषि मुनि महात्माओं ने जन्म लिया है । हां जी धरती बीछोना है आसमान ओढ़ना है अंजुली भर लेते है सागर भर देते है संयम तप त्याग  और साधना की साक्षात मूर्ति विष को अमृत और पतित को पावन कर देते है जहा  त्याग तपस्या संयम शील की बहती निर्मल धारा वो विद्या गुरु हमारा ऐसे संत शिरोमणि आचार्य 108 विद्या सागर जी महाराज ससंघ के दर्शनार्थ देव शास्त्र गुरु के परम भक्त स्वर्गीय श्री बाबूलाल जैन संस्कार वान श्रीमति माया देवी के सुयोग्य सुपुत्र अजय जैन  मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से डोंगरगड़ 550 किलोमीटर की पदयात्रा से घर से निकल जाते है। दृढ़ इच्छा शक्ति, प्रगाढ़ आत्म विश्वास, श्रद्धा और समर्पण से दुनिया में किसी भी कार्य में सफलता हासिल की जा सकती है। यह सार्वभौमिक सत्य है इसको नकारा नहीं जा सकता।  राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी 31 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले पारस जैन पार्श्वमणि कोटा को जानकारी देते हुए अजय जैन ने बताया कि सन 2021 में भोपाल से तिलवारा घाट जबलपुर लगभग 350 किलोमीटर एवम सन 2022 में भोपाल से शिरपुर महाराष्ट्र 650 की पदयात्रा संपन्न कर चुके है। भाई अजय जैन आचार्य श्रीविद्या सागर जी महाराज का फोटो हाथ में लिये केसरिया परिधान में धोती दुप्पटा पहने हुवे गुरुदेव के चरण वंदन के लिया पदविहार करते है । पारस जैन पार्श्वमणि ने जब  पूछा कि इतने लंबे रास्ते में  अकेले पद विहार में व्यवस्था केसे  होती है  आपके आगे पीछे कोई नही बस अकेले चलना है तो अजय जैन ने बताया कि यह सब गुरुदेव का मंगलमय आशीर्वाद से आगे से आगे व्यवस्था हो जाती है एक दिन में लगभग 30 से 35 किलोमीटर की पद यात्रा निर्विध्न संपन्न हो जाती है।  सच्ची भक्ति में ही शक्ति निहित होती है। अजय जैन के प्रति मन श्रद्धा से नत मस्तक हो गया । मैं सभी जैन बंधुओ से विनम्रता पूर्वक आग्रह करता हूं कि आप अजय भाई जिस शहर कस्बे से निकले उनके भोजन और रुकने व्यवस्था जरूर करे।