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चांदखेड़ी में धूमधाम से मनाया गया संत शिरोमणि आचार्य भगवन विद्यासागर जी महाराज का 78 वा अवतरण दिवस

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चांदखेड़ी – दिगंबर जैन आचार्य संत शिरोमणि 108विद्यासागर जी महाराज का 78 वा अवतरण दिवस कल रविवार को चांदखेड़ी में बड़ी धूमधाम से मनाया गया। चांदखेड़ी में चातुर्मास कर रहे ऐलक 105श्री नम्रसागर जी महाराज के सानिध्य में आचार्य श्री का संगीतमय पूजन भक्ति भाव से किया गया । दीप प्रज्वलन एवं मंगलाचरण के साथ इस कार्यक्रम की शुरुआत हुई। कार्यक्रम में सकल जैन समाज, खानपुर के सभी महिला पुरुष श्रावक ने भाग लिया। सांगोद से काफी संख्या में लोग चांदखेड़ी इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। आचार्य श्री के पूजन में बड़े सुंदर सजे धजे जल, चंदन, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य, दीपक इत्यादि अष्ट द्रव्यों के थाल पूजन के एक एक छंद के साथ चढाकर आचार्य श्री के चरणों में समर्पित किए गए। 78वे अवतरण दिवस के उपलक्ष में हर द्रव्य 78 की संख्या में चढ़ाए गए। 78 दीपक, 78 श्रीफल, इत्यादि। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रंखला में कई प्रकार की प्रतियोगिता में आयोजित की गई । जिसमें मल्लप्पा एवम् श्रीमती बनो, विद्याधर बनो, विद्याधर से विद्यासागर, इस प्रकार आचार्य श्री की जीवनी से संबंधित प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। एवं छोटे बच्चो एवम् समाज की अन्य महिला पुरुषों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लिया। महाराज श्री के कर कमलो से खानपुर में विराजित ब्रह्मचरणी श्री चंदा दीदी, नगर गौरव बाल ब्रह्मचारिणी उषा दीदी, ब्रह्मचारिणी सविता दीदी का बहुमान किया गया। इस पावन अवसर पर ब्रह्मचारिणी ऋतुकला दीदी ने बड़े बाबा के समक्ष महाराज के आशीर्वाद से तीन प्रतिमा जी के व्रत ग्रहण किए। कार्यक्रम में संपूर्ण चातुर्मास में अपनी अप्रतिम सेवाएं दे रहे श्री प्रशांत जैन लिमि एवं अन्य श्रावको को का स्वागत किया गया। सभी को उपहार में चांदी का श्रीफल भेंट किया गया।

कार्यक्रम के पश्चात स्नेह भोज आयोजित किया गया। एवं शाम को सामूहिक संध्या आरती, महाराज की देशना हुई। नम्र सागर जी महाराज ने आचार्य श्री की जीवनी पर प्रकाश डाला। आचार्य श्री का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन कर्नाटक के सदलगा गांव में हुआ। 9 वी तक शिक्षा ग्रहण करने के बाद राजस्थान के अजमेर में उन्होंने गुरु ज्ञान सागर जी महाराज से दीक्षा ग्रहण की। जैसे ही उनके माता पिता एवम् तीन भाइयों को जानकारी लगी तो उनको वापस लेने गए। लेकर तो नही आ पाए अपितु 2 भाई भी उनके साथ संयम मार्ग पर चले गए। कुछ समय पश्चात उनके ग्रहस्थ जीवन के माता पिता ने एवम् 2 वर्ष पूर्व सबसे बड़े भाई ने भी कुंडलपुर में जैनेश्वरी दीक्षा ग्रहण कर ली। पूरे परिवार ने वैराग्य धारण कर लिया। उनके द्वारा देश में स्वरोजगार देने एवम् स्वदेशी वस्त्र अपनाओ के उद्देश्य से “हथकरघा अपनाओ”, भारत वर्ष में हजारों गौशालाओ में लाखो “गौवंश को संरक्षण”, देश का नाम “इंडिया नही भारत बोलो”, “मातृभाषा हिंदी अपनाओ”, बालिकाओं की शिक्षा क्षेत्र में “प्रतिभास्थली”, “शाकाहार अपनाओ” इत्यादि संकल्प चल रहे है। इसके बाद शाम को गरबा का आयोजन किया गया। योगेश जैन देवरी के अनुसार यह समस्त कार्यक्रम सकल जैन समाज, खानपुर के तत्वाधान में श्री चांदखेड़ी अतिशय क्षेत्र में आयोजित किया गया।