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पानी में डूबने वाले को बचाया जा सकता है, प्याली में डूबने वालों को नहीं, नशे से परिवार तबाह : पं. प्रदीप मिश्रा

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भिलाई – शिवधाम कोड़िया में छठवें दिन गुरुवार को कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा सिहोर वाले के गौ पितर शिवमहापुराण कथा को सुनने लाखों भक्त पहुंचे। पंडाल समय से पहले ही पैक हो गया। लोगों ने धूप में छतरी और साड़ी डालकर कथा सुनी। 44 एकड़ के ग्राउंड में श्रद्धालु खुले आसमान के नीचे जमे हुए थे। कथावाचक पं. मिश्रा ने कहा कि भोले शंकर को रिझाने के लिए धन-संपदा की नहीं, वे एक लोटा जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं। एक लोटा जल भी न मिले तो जल का दो बूंद ही काफी है। यजमान काशीनाथ सरोज साहू, प्रदीप जानकी साहू, रामभाऊ साहू , रूकमणी साहू, दिनेशचंद साहू, सोनकुंवर साहू ने शिवपोथी की पूजा अर्चना की।

भोले के दरबार में कोई भेद नहीं

कथावाचक पं. मिश्रा ने कहा कि चार बांस और 40 कंडे चाहे अमीर हो या गरीब दोनों के दाह संस्कार में लगते हैं। अमीर भी उसी बांस पर शमशान जाता है और गरीब भी। मेरे भोले ने कोई भेद नहीं किया। ये तो संसार के लोगों ने राजनीति के चक्कर में बांट दिया। शिव के दरबार में कोई भेद नहीं तो हम कौन होेते हैं भेद करने वाले।

तीन चीजों का नशा कभी खत्म नहीं होता

पं. मिश्रा ने कहा कि संसार में तीन चीजों का नशा कभी खत्म नहीं होता। पहला शराब, दूसरा धन और तीसरा भक्ति। उन्होंने कहा कि शराब का नशा अकेले को नहीं पूरे परिवार को बर्बाद कर देता है। पानी में डूबने वाले को बचाया जा सकता है प्याली में डूबने वालों को नहीं। धन या सत्ता का नशा जब तक यह रहती है, तब तक रहता है। उसके बाद अपने आप चली जाती है। तीसरी भक्ति का नशा। भक्ति का नशा ऐसा है जो जीवन भर साथ रहता है। उन्होंने छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा नशामुक्ति के लिए चलाए जा रहे अभियान की सराहना की।

तीन पुरियों को भस्म कर बने त्रिपुरारी

कथावाचक ने कहा कि तारकासुर के तीन बेटे तारकाक्ष, कमलाक्ष और विदुममाली थे। इन तीनों असुरों ने शिव की भक्ति की और कभी न मरने वाला वर मांगा। लेकिन तीनों को एक साथ एक जगह पर होने पर ही प्राण जाने का वर मिला। तीनों अलग-अलग पुरी बनाकर रहने लगे। तीनों असुरों का उपद्रव बहुत बढ़ गया तो भोलेनाथ के पास देवता गए। महादेव ने तीनों पुरियों को भस्म किया। तब शिव जी का नाम त्रिपुरारी पड़ा।

बेलपत्र की महिमा के लिए महाबलेश्वर की कथा सुनाई

पं. मिश्रा ने बेलपत्र की महिमा महाबलेश्वर कथा के जरिए लोगों को बताई। उन्होंने कहा कि एक ब्राम्हण की पत्नी, पति के मरने के बाद गलत संगत में पड़ गई। कर्मगति आगे बढ़ी और उसकी आखें चली गई। रोगी हो गई। भीख मांगकर पेट भरती। एक बार शिवरात्रि के दिन मेले में भीख मांग रही थी और उसके कटोरे में किसी ने बेलपत्र डाल दिया। उसने बेलपत्री फेंक दी जो हवा में उड़कर शिवलिंग पर चढ़ गई। जिससे इस नारी को महादेव ने दर्शन दिए व सारे पापों से मुक्त कर दिया।

त्रिपुरारी नाम का स्मरण कर ये करें उपाय

पं. मिश्रा ने त्रिपुरारी नाम को बड़ा सुख देने वाला बताया। उन्होंने कहा जब व्यक्ति के सभी रास्ते बंद हो जाएं। काम नहीं हो रहा हो। तब एक बेलपत्र, एक धतूरा, एक शमी पत्र, एक सफेद पुष्प, एक चांवल का दाना लेकर त्रिपुरारी नाम का स्मरण कर शिवलिंग पर समर्पित करें। व्यापार, फसल नहीं होना या फिर अन्य कोई कार्य नहीं हो रहा हो तो यह उपाय सफल करेगा। पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय कोड़िया पहुंचे। यहां व्यासपीठ और पं. मिश्रा से आशीर्वाद लिया। भिलाई में आयोजित शिवमहापुराण में पूर्व मंत्री पांडेय और जीवन आनंद फाउंडेशन के अध्यक्ष विनोद सिंह यजमान थे।