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जैन धर्मावलंबियों के आत्मशुद्धि का महापर्व दशलक्षण आज से शुरू

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  •  10 दिनों तक बहेगी अध्यात्म की धारा, श्रद्धालु करेंगे तप-त्याग

पटना – जैन धर्मावलंबियों का तप, त्याग, साधना और आत्मशुद्धि का सबसे बड़ा पावन पवित्र त्योहार पर्वाधिराज दशलक्षण आज मंगलवार से आरंभ हो रहा है जो 28 सितम्बर तक मनाया जाएगा । इसे पर्युषण महापर्व भी कहा जाता है । दिगम्बर आम्नाय में दशलक्षण पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष पंचमी से अनंत चतुर्दशी 10 दिनों तक श्रद्धापूर्वक धूमधाम से मनाया जाता है।इस दौरान जैन श्रद्धालु जैन मंदिरों में नित्य अभिषेक-पूजन, शांतिधारा सहित दशलक्षण धर्म पूजा, भक्ति-आराधना कर उत्सवी महौल में कई विशेष पूजन-अर्चना का धार्मिक अनुष्ठान करते है ।

  • पूरे विश्व के लिए यह एक उत्तम और उत्कृष्ट पर्व है :

पर्युषण महापर्व मात्र जैनों का ही पर्व नही बल्कि सभी समुदाय के लिए यह एक सार्वभौम पर्व है। पूरे विश्व के लिए यह एक उत्तम और उत्कृष्ट पर्व है , क्योंकि इसमें आत्मा की उपासना की जाती है। यह त्योहार आध्यात्मिक संस्कारों का पर्व है जिसमें जैन समाज के लोग धर्म आराधना में लीन रहते है और कठिन तप, व्रत एवं साधना करते है।

  • 10 दिवसीय इस महापर्व में दस धर्मों की जाएगी आराधना

पर्युषण पर्व में जैन धर्म के सिद्धांतों की अनुशरणा की जाती है । जैन अनुयायियों की तपस्या, संयम एवं श्रद्धा का पर्व दशलक्षण उत्तम क्षमा से शुरू होकर उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम शौच, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम आकिंचन, उत्तम ब्रह्मचर्य तक 10 दिनों का महत्वपूर्ण धर्म पूजा होता है।यह पर्व आत्मशुद्धि का पर्व है जो भक्तों के लिए जीवन कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है । इन दिनों जैन श्रावक दस दिनों तक पूरे भक्ति-भाव, प्रभु समर्पण के साथ विशेष तौर पर भगवान की धर्म ध्यान कर आराधना करते है । जिसमें कुछ जैन श्रद्धालु यथाशक्ति व्रत, उपवास, तप-त्याग करके दशलक्षण पर्व मनाते है ।