12 सितंबर से शुरू हो रहा है पर्युषण पर्व
रायपुर – पर्युषण पर्व 12 सितंबर से मनाया जाएगा। इससे पहले टैगोर नगर स्थित लालगंगा पटवा भवन में उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि ने 10 और 11 सितंबर को पर्युषण पर्व क्यों मनाते हैं, और कैसे मनाते हैं बताया। उन्होंने कहा कि जैसा लक्ष्य होता है, वैसा नियोजन होता है। अगर आप लक्ष्य बना लें तो पर्युषण एक उत्सव बन जाएगा। जैसे आप दीपवाली, होली जैसे त्यौहार मनाते हैं, वैसे ही पर्युषण को एक त्यौहार के रूप में मनाएं। उक्ताशय की जानकारी रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने दी।
सोमवार को धर्मसभा को संबोधित करते हुए प्रवीण ऋषि ने कहा कि पर्युषण पर्व लक्ष्य है कि मुझे मेरे आत्मस्वरुप का साक्षात्कार हो जाए और दूसरे के परमात्मा स्वरुप के बोध हो जाए। मुझे मेरी वास्तविकता का बोध हो जाए और दूसरे में क्या श्रेष्ठ है, उसका अहसास हो जाए। मेरा भूत कैसा था, मेरा भविष्य कैसा हो सकता है। सामने वाले के श्रेष्ठ गुणों को देखो, उसकी कद्र करो। अगर आप किसी की श्रेष्ठता को देखेंगे तो आपके अंदर भक्ति जागेगी। अगर आप सामने वाले की कमियां देखते चलेंगे तो आपके अंदर घृणा का जागरण होगा और आप दूसरे की कद्र नहीं कर पाएंगे। उपाध्याय प्रवर ने कहा कि इस बार पर्युषण में ऐसा माहौल बनाओ कि जो यह पर्व नहीं मनाते है, वे भी मनाएं। पर्युषण में दान, तप, शील और भावना का माहौल बनाना चाहिए। जैसे क्रिसमस, दिवाली, होली जैसे त्यौहार सभी मनाते है, वैसे ही माहौल बनाओ कि हर धर्म के लोग पर्युषण पर्व मनाये। हर घर में पर्युषण स्थापित हो। उन्होंने कहा कि पर्युषण पर्व में कर्म की दुकान बंद करो और धर्म की दुकान खोलो। माहौल ऐसा बना दो कि जो धर्म करना नहीं चाहता, वह धर्म किए बिना नहीं रह सके। लोगों को ख़ुशी चाहिए, और धर्म ख़ुशी देता है।पर्युषण पर्व के कार्यक्रम के बारे में बताते हुए रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया कि 12 सितंबर से प्रातः 6 बजे प्रार्थना (भक्तामर स्त्रोत आराधना) होगी। 8.15 बजे सिद्ध स्तुति, 8.30 बजे अंतगड़ सूत्र का मूलपाठ शुरू होगा। 10 बजे मंगलपाठ के बाद उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि का प्रवचन शुरू होगा। दोपहर 2.30 से 3.30 बजे तीर्थेश मुनि कल्पसूत्र की आराधना कराएंगे। इसके बाद दोपहर 3 बजे विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे। शाम 6 बजे कल्याणमन्दिर स्त्रोत आराधना और सूर्यास्त के समय प्रतिक्रमण।