रायपुर (विश्व परिवार)। भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर के एक वकील के रूप में नामांकन और सनद (1923 -2023) प्राप्त करने के 100 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाने के लिए मुंबई विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह हॉल में ‘डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर एक न्यायविद के रूप में’ विषय पर एक सेमिनार आयोजित किया गया था। शनि (9 सितम्बर)
महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस की अध्यक्षता में आयोजित सेमिनार में बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय, महाधिवक्ता डॉ. बीरेंद्र सराफ, मुंबई विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रवींद्र कुलकर्णी, डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर अनुसंधान और प्रशिक्षण के महानिदेशक उपस्थित थे। संस्थान (BARTI) सुनील वारे, बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र और गोवा के उपाध्यक्ष एडवोकेट उदय वारुंजिकर, अधिवक्ता परिषद कोंकण प्रांत के राष्ट्रीय सचिव एडवोकेट। अंजलि हेलेकर और अन्य।
राज्यपाल ने ‘चिंतनतिल क्रांतिसूर्य डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर’ और ‘कारवीर संस्थान, बैरिस्टर अंबेडकर आनी कोर्ट कचेरिटिल बहिष्कृत’ पुस्तकों का विमोचन किया। कार्यक्रम की शुरुआत संविधान की प्रस्तावना के सामूहिक पाठ से हुई।
सेमिनार का आयोजन BARTI द्वारा मुंबई विश्वविद्यालय, बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा और ‘अधिवक्ता परिषद’ कोंकण प्रांत के सहयोग से किया गया था।