Home धर्म - ज्योतिष आत्मघात-महापाप : आचार्य विशुद्ध सागर

आत्मघात-महापाप : आचार्य विशुद्ध सागर

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बड़ौत – आचार्य श्री विशुद्धसागर जी ऋषभ सभागार मे दिगंबर जैन समाज समिति द्वारा आयोजित धर्मसभा में मंगल प्रवचन देते ही कहा कि- जो निज में वास न करने दे, नही है वासना। वासना के वश मानव हैवान बनकर अनर्थ कार्य करता है। वासना निज के वश नहीं रहने देती है। वासना के वश व्यक्ति यश को नाश कर अपयश को प्राप्त कर, इह भव एवं परभव में घनघोर भयंकर कष्टों को भोगता है । अति काम सेवी बीमारियों का शिकार हो, तड़क- तड़फ कर कु-मरण को प्राप्त होता है। वासना वश में नहीं रहने देती। वासना-कामना कष्ट के कारण हैं। सम्पूर्ण ज्ञान का सार सुख-शांति की प्राप्ति है। आत्म-शांति को अहंकार नाश कर देता है। साधक के लिए आत्म-शांति ही प्रधान होती है। स्व शक्ति का अहंकार अशांति का मूल है। आत्म निर्भरता ही परमशांति का उपाय है । आत्म-हत्या करना तो महापाप है , परन्तु संक्लेश परिणाम करना भी आत्म-हत्या है। विशुद्ध परिणामों का घात भी आत्मघात ही है। जो आत्मघात करता है, वह भव-भव में विपत्ति को प्राप्त करता है । धन मूल्यवान नहीं। धन कुछ है, पर धन सब कुछ नहीं है। धन से सामग्रियों एकत्रित की जा सकती हैं, सुख के साधन जुटाये जा सकते हैं, परन्तु धन से सुख-शांति प्राप्त नहीं बिकी जा सकती है। जब व्यक्ति किसी अपराध में फँस जाये, तो सम्पूर्ण धन व्यय कर भी यश बचाना चाहता है। यश महत्त्वपूर्ण है, प्राण मूल्यवान हैं। अस्वस्थ होने पर मानव धन व्यय कर स्वस्थ जीवन जीना चाहता है। मानव जीवन में स्वस्थता एवं यश महत्वपूर्ण है । आंतरिक निर्णय करो, जीवन में धन-धरती-मकान श्रेष्ठ है अथवा यश व आत्मशांति। सुख का साधन क्या है? शांति का उपाय क्या है। वह सुख भी सुख नहीं जो दुःख का कारण हो । अग्नि चाहे चंदन की लकड़ी की हो या बबूल की, यह ज्वलनशील ही होती है । भोगों की, कषाय की ज्याला में मत जलो, दीप की तरह जलो। स्वयं प्रकाशित रहो, जगत् को प्रकाशित करो । जियो और जीने हो।सभा का संचालन पंडित श्रेयांस जैन ने किया ।  मीडिया प्रभारी वरदान जैन ने बताया कि दसलक्षन पर्व के समापन पर आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के पावन सानिध्य मे 30 सितंबर को जलयात्रा और 1 अक्टूबर को चंद्रप्रभु भगवान की विशाल रथयात्रा निकाली जायेगी, जो कि दिगंबर जैन बड़ा मन्दिर जी से प्रारंभ होकर दिगंबर जैन कॉलेज ए फील्ड पहुुंचेगी, जहा पर भगवान का अभिषेक होगा और विशाल मेले(उछाव) का भी आयोजन किया जायेगा।जिसमे पूरे भारत से हजारो जैन अजैन श्रधालु बड़ौत पहुचेंगे। बड़ौत के उछाव पूरे भारतवर्ष मे प्रसिद्ध हैं।रथयात्रा मे देश के प्रसिद्ध दर्जनों बैंड,आकर्षक झांकिया सम्मिलित होंगी। रथयात्रा महोत्सव के मुख्य संयोजक दिनेश जैन नवकार इंड, मेला संयोजक पुनीत जैन,सतीश जैन,वीरेंदर पिन्टी, अशोक जैन, अनुज जैन और विवेक जैन को बनाया गया है।