मैट्स यूनिवर्सिटी में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्था आयोग के
चेयरमैन जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन का स्वागत समारोह सम्पन्न अल्पसंख्यकों के अधिकारों की दी विस्तृत जानकारी और नई शिक्षा नीति को बताया महत्वपूर्ण
रायपुर – राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्था आयोग (एनसीएमईआई) के चेयरमैन जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन ने शिक्षा को सबसे बड़ा दान बताते हुए कहा है कि शिक्षकों के पास जितना भी ज्ञान है उसे बच्चों को देना आवश्यक है क्योंकि ज्ञान जितना बांटेंगे उतना बढ़ता है। बच्चों को हर विषय के प्रति जागरुक बनाना आवश्यक है जिससे वे हर क्षेत्र में विकास कर सकें और भारत विश्व गुरू की राह पर अग्रसर हो सके।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्था आयोग (एनसीएमईआई) के चेयरमैन जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन के छत्तीसगढ़ आगमन पर मैट्स यूनिवर्सिटी, रायपुर द्वारा इम्पैक्ट सेंटर में स्वागत समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उन्होंने अल्पसंख्यकों से संबंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने छह समुदायों- मुस्लिम, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी को धार्मिक अल्पसंख्यक घोषित किया हुआ है। केंद्र ने भाषाई अल्पसंख्यक घोषित नहीं किए हैं। जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन ने नई शिक्षा की सराहना करते हुए कहा कि इससे विद्यार्थी अपनी स्थानीय भाषा में भी हर विषय का ज्ञान हासिल कर सकता है। उन्होंने महाभारत के अनेक प्रसंगों का उदाहरण देते हुए कहा कि क्वांटिटी (मात्रा) से ज्यादा महत्व क्वालिटी (गुणवत्ता) का होता है। दुर्योधन ने श्री कृष्ण की पूरी नारायणी सेना मांग ली थी जबकि अर्जुन ने केवल श्री कृष्ण को मांगा था और जीत क्वालिटी की हुई न कि क्वांटिटी की। उन्होंने कहा की हर विद्यार्थी में कोई न कोई प्रतिभा छिपी रहती है, किसी में विज्ञान की तो किसी में गणित, रसायन, कला, कम्प्यूटर आदि की। उस प्रतिभा को पहचान कर आगे बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने भारत को ऋषियों का देश बताते हुए कहा कि अनेकता में एकता ही भारत की विशेषता है। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ अल्पसंख्यक आयोग के सचिव श्री खान, मैट्स यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति श्री गजराज पगारिया, कुलपति प्रो. के.पी. यादव, श्रीमती विमला जैन, कुलसचिव श्री गोकुलानंदा पंडा सहित विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष एवं प्राध्यापकगण उपस्थित थे। कुलाधिपति श्री गजराज पगारिया ने सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। कुलसचिव श्री गोकुलानंदा पंडा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।