भोपाल – जैन समाज की महिलाओं ने अक्षय दशमी( कलश दशमी) पर्व श्रद्धा भक्ति के साथ मनाया महिलाओं ने मंदिरों में प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की अष्ट द्रव्य से पूजा अर्चना कर जगत के सभी जीवो के कल्याण की भावना भाई महिला संगठन द्वारा सामूहिक भक्ति के भजन गरबा भी रखे गए समाज के प्रवक्ता अंशुल जैन ने बताया आज महिलाओं का निर्जल उपवास था नंदीश्वर जिनालय में अखिल भारतीय महिला परिषद पद्मावती संभाग के तत्वावधान में महिलाओं ने जैन दर्शन और जैन सिद्धांत को प्रतिपादित करती हुई सांस्कृतिक प्रस्तुति की पंखिड़ा ओ पंखिड़ा उड़ के जाना रे प्रभु आदिनाथ की भक्ति कर वंदना करना केसरिया केसरिया आज हमारे रंग भयो केसरिया आदि भजनों पर भक्ति नृत्य कर गरबा नृत्य कर आराधना की महिलाओं ने 16 श्रृंगार कर धार्मिक इतिहास और भारतीय संस्कृति एवं परंपरा के स्वरूप तिलक लगया और श्रंगार सामग्री बाटी मंगल गीत गाकर खुशियां मनायी मेहंदी प्रतियोगिता चूड़ी सजाओ प्रतियोगिता आदि महिलाओं ने प्रतियोगिता के द्वारा अपनी कला का प्रदर्शन किया अंशुल जैन के अनुसार जैन पौराणिक इतिहास मैं कथा का स्वरूप बताया गया है जिसके अनुसार प्राचीन काल में राजग्रह नगर में राजा मेघनाथ रानी पृथ्वी देवी हुई जिनमें पूर्व कम उदय के कारण संतान नहीं हो रही थी उस समय नगर में अनंत तप धारी मुनिराज शुभंकर पधारे राजा रानी को बताया पिछले जन्म में अपने मुनिराज की अहार चर्या में विध्न किया था जिसके फल स्वरुप आपको संतान नहीं हो रही मुनिराज ने उन्हें श्रावण शुक्ल दशमी का व्रत करने को बोला जिसके निरंतर व्रत फल स्वरुप रानी को संस्कार वान सुंदर सी सात पुत्री और सात पुत्रों को जन्म दिया तभी से अक्षय दशमी व्रत की शुरुआत हुई इस कलश दशमी और सुहाग दशमी भी कहा जाता है इसमें महिलाएं प्रभु क्यों आराधना कर निर्जल व्रत उपवास रखकर पति के साथ परिवार समाज और देश के कल्याण की भावना भाती हुई सभी के मंगल मय जीवन की प्रार्थना करती हैं कार्यक्रम में प्रमुख रूप से मिली नम्रता सोनल सरिता हरशु श्रुति प्रेरणा पिंकी अदिति समीक्षा सहित अनेक महिलाएं मौजूद थी ।