बनारस – हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी में वत्सल भारत अंतर्गत पंडित मदन मोहन मालवीय सभागार में छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ रंगकर्मी डॉ. पुरुषोत्तम चंद्राकर को आमंत्रित किया गया। इस अवसर पर डॉ. पुरुषोत्तम चंद्राकर द्वारा छत्तीसगढ़ की लोक कला संस्कृति में संस्कारों का महत्व विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया गया जिसमें जन्म उत्सव से लेकर के विवाह एवं अंत्येष्टि तक सभी संस्कारों को गीत के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। व्याख्यान के अंतर्गत पर्व और त्योहार व्यक्तित्व निर्माण के गुण श्रेष्ठ संतान उत्पत्ति के लिए तथा विवाह, अंत्येष्टि दाह संस्कार, जन्म से मृत्यु तक सांस्कृतिक उद्देश्य, नैतिक उद्देश्य, आध्यात्मिक प्रगति, व्यक्तित्व निर्माण, शिक्षा, संस्कृति, दया, करुणा सहिष्णुता,अच्छा फल और व्यक्ति के गुण, समाज, पवित्रता आदि को विशेष रूप से परिभाषित करते हुए लेक्चर एवं गीतों के माध्यम से प्रस्तुत किया । भारत भर से आए अतिथियों ने इसकी भूरी भूरी प्रशंसा की। पूर्व में वरिष्ठ संस्कृति कर्मी डॉ. पुरुषोत्तम चंद्राकर द्वारा गुवाहाटी असम में लोकमंथन कार्यक्रम में आदिवासियों का विवाह परंपरा और पर्यावरण विषय पर व्याख्यान एवं नृत्य नाटिका प्रस्तुत किया गया था। एवं भारत भवन भोपाल में छत्तीसगढ़ के विलुप्त हो रहे लोक वाद्य का संस्कारों में महत्व पर व्याख्यान दिए थे। लोक रंजनी के माध्यम से छत्तीसगढ़ की लोक कला संस्कृति को समूचे भारत के विभिन्न राज्यों में लोकमंच द्वारा मनोहरी सांस्कृतिक प्रस्तुति विभिन्न महोत्सव एवं मंचों पर जारी है।