गिरिडीह – गिरिडीह जिला चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष श्री निर्मल झुनझुनवाला ने झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर यह मांग की है कि पारसनाथ मधुबन न्यू गिरिडीह रेल लाइन के निर्माण में होने वाले खर्चे को केंद्र व राज्य सरकार संयुक्त कोष से वहन करने इस लाइन को पूरा करने का अनुरोध किया है । उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि भारत सरकार की ओर से वर्ष 2018 19 के बजट में 49 किलोमीटर लंबी पारसनाथ मधुबन न्यू गिरिडीह लाइन को मंजूरी दी थी। यह परियोजना पारसनाथ को जैन धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थल सम्मेद शिखरजी तीर्थ स्थल मधुबन से होते हुए झारखंड के प्रमुख अभ्रक कोयला लौह अयस्क के केंद्र को गिरिडीह से जोड़ेगा । वर्ष 2019 में जब इस रेल परियोजना का शिलान्यास किया गया था तब उस समय इस परियोजना की संभावित लागत 902 करोड़ 86 लाख रुपए थी। इसमें 50 50% राशि रेलवे बोर्ड एवं झारखंड सरकार दोनों को शेयर मोड में देना है। माही केंद्रीय बजट 2022-23 में भी इस परियोजना को केंद्र सरकार द्वारा 50 करोड रुपए आवंटित कर दिया गया है लेकिन झारखंड सरकार की ओर से धनराशि को आवंटित करने में अपनी असमर्थता जताई गई है। अभी तक शेष राशि आवंटित नहीं होने के कारण इससे संबंधित भू अधिग्रहण नहीं हो सका है। और यह परियोजना आधार में लटकी पड़ी है। पारस न्यू गिरिडीह रेल लाइन का निर्माण राज्य सरकार के कोष से भी किया जाए । इस योजना के क्रियान्वयन से मधुबन में जैन धर्म का विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल सम्मेदशिखरजी स्थित जहां देश भर्ती सालोना हजारों जैन तीर्थ यात्रियों का आवागमन होता है। यात्रियों को पारसनाथ स्टेशन पर उतरकर मधुबन तक की यात्रा सड़क मार्ग से ही तय करनी पड़ती है। जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। झारखंड का गिरिडीह जिला देश के 250 अति पिछले जिलों में से एक है गरीबों के कारण यहां से पलायन आम बात है। पारसनाथ गिरिडीह रेल लाइन के निर्माण से न केवल आध्यात्मिक यात्रा करने वाले पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी बल्कि रोजगार के माध्यम का भी सृजन भी होगा ।
नई रेल लाइन के निर्माण से घटेगी नक्सल समस्या
आपको बता दें पीरटांड प्रखंड नक्सल के उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्र है । यदि नई रेल लाइन के निर्माण का निर्माण हो जाता है तो इस क्षेत्र से नक्सल की समस्या घटेगी । मैं इसके साथ ही पारसनाथ रेलवे स्टेशन इसरी से जिला मुख्यालय गिरिडीह से जुड़ने से मजदूर व्यापारी फल सब्जी विक्रेता के अलावा आम नागरिक को भी सुविधा मिलेगी। ऐसे में पारसनाथ न्यू गिरिडीह रेल लाइन के निर्माण से गिरिडीह से रांची की दूरी 313 किलोमीटर से घटकर मात्र 210 किलोमीटर ही रह जाएगी । इसके साथ ही टाटानगर की दूरी 281 किलोमीटर से घटकर 247 किलोमीटर और धनबाद की दूरी 154 किलोमीटर से घटकर 95 किलोमीटर हो जाएगी। ऐसे गिरिडीह के लोगों को ग्रेड कोड लाइन की ट्रेनों को पकड़ने का एक विकल्प भी मिल जाएगा और झारखंड के बड़े शहरों से दूरी भी कम हो जाएगी। इसके अलावा जसीडीह से बरकाकाना, डाल्टनगंज, रांची और टाटानगर की दूरी 37 किलोमीटर कम हो जाएगी व्यवसायिक एवं आर्थिक दृष्टिकोण से भी प्रस्तावित नई रेल लाइन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे होकर खनिजों खाद्यान्न का आवागमन भी सुचारू रूप से हो सकेगा। इसके साथ ही सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा। मेन लाइन ग्रेड कोड लाइन से जुड़ जाएगी। इसी के साथ उत्तर पूर्व के यात्रियों को भी सुगम यातायात की सुविधा उपलब्ध होगी। इस लाइन का निर्माण गिरिडीह शहर के साथ समस्त झारखंड राज्य के लोगों के लिए हितकारी साबित होगा। अपील प्रसिद्ध समाजसेवी हजारीबाग के श्री कमल कुमार विनायका जो बराबर इसके लिए सरकार को पत्र लिखते रहे हैं उन्होंने सभी से यह अपील की है की हम सभी जैन भाइयों को निवेदन करें कि वह अपनी तरफ से केंद्र और राज्य सरकार में पत्र लिखें l