Home धर्म - ज्योतिष सत्य जानो, सत्य मानो, सत्यपूर्ण जीवन जियों- आचार्य विशुद्ध सागर

सत्य जानो, सत्य मानो, सत्यपूर्ण जीवन जियों- आचार्य विशुद्ध सागर

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बड़ौत – दिगम्बर जैन आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज ने अजितनाथ सभागार, मंडी घनश्याम गंज मे श्री अजितनाथ मन्दिर कमेटी मंडी बड़ौत द्वारा आयोजित धर्मसभा में मंगल प्रवचन करते हुए कहा कि- सत्य तो सत्य ही होता है, भीड़ से सत्य का निर्णय नहीं होता है। भीड़ में सत्य हो सकता है, पर भीड़ के साथ सत्य हो ही ,ये कोई आवश्यक नहीं है। सत्य को जानना होगा। विवेक पूर्वक सत्य का निर्णय करना होगा। सत्य धर्म है। सत्य को सुनना भी कठिन है, सत्य को मानना, स्वीकार करना और सत्य के मार्ग पर चलना अत्यंत कठिन है। सत्य जीवन, सत्याचरण सुखद ही होता है। सत्य का मार्ग कठिन हो सकता है, परन्तु सत्याचरण का फल सुखद ही होता है।सत्य जानो, सत्यसुनो, सत्य बोलो, सत्य पर चलो। सत्य आत्म धर्म है। जो हितकारी हो, सुखकारी हो, श्वपिर से शून्य हो, सर्वजनों को आनन्दप्रद हो, वही यथार्थ सत्य सत्य है । जो सत्य को जान लेता है, वह हमेशा खुश रहता है। जो यथार्थ सत्य को नहीं जानता है, वही चिंता करता है। सत्य का बोध होते ही आनन्द प्रारम्भ हो जाता है। सत्य पूर्ण जीवन ही श्रेयस्कर है।असत्य जीवन, असत्य भाषण, असत्य आचरण कष्टपूर्ण ही होता है। एक असत्य को छुपाने के लिए मानव अनेक असत्य बोलता है। असत्य का पढ़ा दुःखद ही होता है। असत्यवादी का कोई भी विश्वास नहीं करता है।परम सत्य का ज्ञाता माध्यस्थ जीवन जीता है। सत्यवादी विसम्बाद नहीं करता है। सत्य-ज्ञाता, जन जन को सत्य का बोध कराता है। सत्योपदेश वैराग्य वर्धक होता है। सत्य सज्जनों का शृंगार है। सत्य भाषण कुलीनों की कुल विद्या है। सत्य में ही सुख है, सत्य में ही शांति है।

    आचार्य श्री ने कहा कि इच्छायें करने से इच्छित वस्तु नहीं मिलती, पुण्य के फल में सामग्री मिलती है। एक व्यक्ति की अनन्त इच्छायें हैं, सामग्रियाँ अल्प हैं। एक व्यक्ति की इच्छायें भी पूर्ण नहीं की जा सकती हैं, अनन्तानन्त जीवों की इच्छायें कैसे पूर्ण की जा सकती हैं। सत्य को नहीं जानने वाला आकांक्षाओं में जीता है, परन्तु जो सत्य को जानता है वह, निसंग और निकांदा जीवन जीता है।सभा का संचालन पंडित श्रेयांस जैन और वरदान जैन ने किया।मंगलचरन श्री स्यादवाद महिला संगठन और श्री अजितनाथ पाठशाला की महिलाओ द्वारा किया गया।दीप प्रज्वलन भोपाल सिंह विपिन जैन द्वारा,पाद प्रक्षालन पवन कुमार हंस कुमार द्वारा,और शास्त्र भेंट जिनेंद्र कुमार संजोग जैन द्वारा किया गया।सभा मे सुभाष चंद जैन,राजकुमार जैन, अशोक जैन, हंस कुमार जैन, वरदान जैन, सुनील जैन,मुकेश जैन, सुधीर जैन, अंकुर जैन,विमल जैन, विकास जैन,राकेश जैन, वीरेंदर जैन,अतुल जैन,अनिल जैन,विपिन जैन,जिनेंद्र जैन, अमित जैन,अनुज जैन आदि उपस्थित थे।